दिल्ली हिंसा को भड़काने में सोशल मीडिया का हुआ जमकर इस्तेमाल
दिल्ली को आग में झोकने में सोशल मीडिया की ख़तरनाक भूमिका सामने आई है. दिल्ली पुलिस ने शुरुआती तफ्तीश के बाद दावा किया है कि उसे संदिग्धों के मोबाइल फोन से ऐसे व्हाट्सप्प ग्रुप मिले हैं जिनका इस्तेमाल हिंसा भड़काने में किया गया. हालांकि दंगों में सोशल मीडिया और वॉट्सएप की ऐसी भूमिका पहले भी उजागर हो चुकी है. 2013 का मुज़्ज़फ़पुर दंगा भी पाकिस्तान के एक फेक वीडियो से शुरू हुआ था.
राजधानी में तीन दिन तक चली सांप्रदायिक हिंसा में सोशल मीडिया और मोबाइल एप्लीकेशन की भूमिका उजागर हुई है. उत्तर पूर्वी दिल्ली की पुलिस ने गिरफ्तार लोगों और संदिग्धों के मोबाइल फोन ज़ब्त किए हैं. दिल्ली पुलिस का दावा है कि फेसबुक, ट्वीटर और मोबाइल एप्लीकेशन व्हाट्सप्प पर भड़काऊ वीडियो डालकर हिंसक भीड़ को जमा किया गया और फिर लूटपाट और आगज़नी का खुला खेल शुरू हुआ.
हिंसा भड़काने के लिए कई दंगाइयों ने सेल्फी वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड किया था. ऐसा ही एक वीडियो हिंसाग्रस्त भजनपुरा इलाक़े से अपलोड किया था जिसे बाद में स्थानीय लोगों ने पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया.
मौजपुर से एक शख्स दंगा करने जाफराबाद पहुंचा था जिसे स्थानीय लोगों ने पकड़ लिया. इसके बाद उस शख़्स के घरवालों को फोन करके इत्तेला दी गई. इससे पहले भी हिंसा भड़काने में सोशल मीडिया का काफी हाथ रहा है। देखना होगा सरकार क्या अब कुछ सीख लेकर इनके खिलाफ कोई कार्रवाई करती है की नहीं।