जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने से अल्पसंख्यकों के अधिकार प्रभावित- संयुक्त राष्ट्र
जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य के दर्ज़े को समाप्त करने के फैसले को को संयुक्त राष्ट्र के दो स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने खतरे की घंटी बताया है। यूएन के अल्पसंख्यक मुद्दों के विशेषज्ञ फर्नांड डे वर्नेस और धर्म की स्वतंत्रता के विशेषज्ञ अहमद शहीद ने संयुक्त बयान में कहा है की धारा 370 ख़त्म होने से भारत राजनीतिक और अन्य गतिविधियों में अल्पसंख्यकों की भागीदारी को सीमित कर रहा है।
उन्होंने कहा - केंद्र सरकार के इस आदेश से हुए ऑटोनोमी और लोकतंत्र के नुकसान से पता चलता है कि जम्मू-कश्मीर के लोगों की अब अपनी सरकार नहीं है और वे अल्पसंख्यक के तौर पर अपने अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इस क्षेत्र में कानून बनाने या संशोधन करने की शक्ति खो चुके हैं।
कश्मीर भारत का एकमात्र मुस्लिम बहुल राज्य था, भारत ने आज़ादी के समय उन्हें अपने लोगों की जातीय, भाषाई और धार्मिक पहचान कायम रखने के लिए आंशिक स्वायत्तता प्रदान की थी । इसके लिए बाकायदा संविधान में अनुच्छेद 370 और आर्टिकल 35A को जोड़ा गया।