UP विधानसभा चुनाव पर महत्वपूर्ण अपडेट जो आपको जानना चाहिए
1. अखिलेश यादव ने काफी सोच-विचार के बाद उत्तर प्रदेश का चुनाव लड़ने का फैसला किया है। अखिलेश यादव आज़मगढ़ से लोकसभा सांसद हैं और इससे पहले उन्होंने कभी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा।उन्होंने पहले कहा था कि वो चुनाव नहीं लड़ेंगे और राज्य की हर सीट पर अपने उम्मीदवारों के लिए प्रचार करना पसंद करेंगे। वो किस विघानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे, इसका ऐलान फिलहाल नहीं हुआ है।
सूत्रों ने कहा कि समाजवादी पार्टी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री पर भाजपा के योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री के पहली बार राज्य चुनाव लड़ने का फैसला करने के बाद दबाव था।
योगी आदित्यनाथ पूर्वी यूपी के गोरखपुर सदर से चुनाव लड़ेंगे और बीजेपी इस क्षेत्र में प्रभावशाली गोरखपुर मठ के प्रमुख पुजारी-राजनेता को मैदान में उतारकर बड़े लाभ का आकलन करती है।
सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश यादव पूर्वी यूपी या हाई-प्रोफाइल लखनऊ जैसे केंद्रीय निर्वाचन क्षेत्र से एक सीट चुन सकते हैं। यह भी हो सकता है कि वो एक से ज़्यादा सीटों पर चुनाव लड़ें।
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अखिलेश यादव की भाभी अपर्णा यादव यूपी चुनाव से कुछ हफ्ते पहले बीजेपी में शामिल हो गई हैं। अपर्णा मनमुताबिक़ टिकट न मिलने से नाराज़ थीं। उन्होंने समाजवादी पार्टी से लखनऊ कैंट की टिकट मांगी थी लेकिन पार्टी ने परिवार के सदस्य को सीट देने से इनकार कर दिया।
अपर्णा यादव पहले ही से बीजेपी के पक्ष में बोलती रही हैं और वो राज्य के सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ भी नज़र आ चुकी हैं। अपर्णा यादव अखिलेश यादव के भाई और मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक यादव की पत्नी हैं।
समाजवादी पार्टी के लिए यह बड़ा झटका है। अखिलेश यादव को अब पारिवारिक कलह का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि पहले योगी कैबिनेट के तीन मंत्री पार्टी छोड़कर समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल में शामिल हो चुके हैं।
यूपी के तीन पूर्व मंत्री जिनका अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी में स्वागत किया, वे हैं स्वामी प्रसाद मौर्य, धर्म सिंह सैनी और दारा सिंह चौहान। माना जा रहा है कि बीजेपी को इन मंत्रियों और विधायकों के टूटने से चुनाव में पार्टी को भारी नुक़सान उठाना पड़ सकता है।