GoNews Special: 'मेरा नाम नेता', ममता की सत्ता
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में प्रचार-प्रसार का दौर जारी है। सबकी निगाहें नंदीग्राम और ममता बनर्जी पर टिकी हैं। सीएम ममता चोटिल होने के बाद अलग तेवर में नज़र आ रही हैं। वो व्हीलचेयर से घूम-घूम कर कैंपेन कर रही हैं। दीदी के नाम से मशहूर ममता देश में फिलहाल इकलौती महिला मुख्यमंत्री हैं और माना जा रहा है कि इस बार का चुनाव मोदी बनाम दीदी ही है। गोन्यूज़ की इस ख़ास सीरीज में हम इस बार के विधानसभा चुनाव में गए कुछ नेताओं के कार्यकाल और उनके राजनीतिक जीवन पर रौशनी डालेंगे। तो गोन्यूज़ की इस सीरीज में सबसे पहले बात ममता बनर्जी की।
ममता बनर्जी साल 2016 में पश्चिम बंगाल की नौवीं मुख्यमंत्री बनीं। वो राज्य के मुख्यमंत्री पद पर चुनी गईं अबतक की पहली महिला हैं। 19 मई 2016 को लगातार दो बार जीतने वाली ममता एकमात्र महिला मुख्यमंत्री बनीं। आठवें मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के अंत में ज़बरदस्त जीत के तुरंत बाद उन पर भ्रष्टाचार के कई आरोप भी लगे। साल 1997 तक कांग्रेस पार्टी की हिस्सा रहीं ममता ने पार्टी से अलग होने का फैसला किया और ख़ुद की पार्टी बनाईं अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस या एआईटीएमसी।
लंबी संघर्ष के बाद पश्चिम बंगाल के साल 2011 के विधानसभा चुनाव में ममता की पार्टी को बड़ी जीत मिली। इस जीत ने राज्य में 34 साल पुरानी वाम मोर्चा सरकार को उखाड़कर फेंक दिया। यह दुनिया की सबसे लंबी सेवा करने वाली लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित कम्युनिस्ट सरकार थी। ममता बनर्जी को देश की पहली महिला रेल मंत्री होने का कीर्तिमान भी हासिल है। उन्होंने दो बार रेल मंत्री का पद संभाला। इनके अलावा उन्होंने मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री, कोयला मंत्री, महिला और बाल विकास मंत्री और युवा मामले और खेल विभाग शामिल हैं। मई 2013 में भारत के सबसे बड़े भ्रष्टाचार विरोधी संघ, इंडिया अगेन्स्ट करप्सन द्वारा ममता बनर्जी को भारत की सबसे ईमानदार लीडर चुना गया था।