असम: एनआरसी लिस्ट से बाहर कर दिये गए दो हज़ार ट्रांसजेंडर
एनआरसी लिस्ट से बाहर कर दिये जाने के खिलाफ 2000 समलैंगिक समुदाय को लोगों ने सुप्रीम कोर्ट से मदद की गुहार लगाई है. असम की पहली ट्रांसजेंडर जज और याचिकाकर्ता स्वाती बिधान बरुआ ने कहा है कि 1971 से पहले के कागजात नहीं होने से अधिकतर ट्रांसजेंडर बेसहारा हो गए हैं.
दिक़्क़त ये भी है कि एनआरसी ड्राफ्ट में थर्ड जेंडर कैटेगरी का जिक्र नहीं होने से ट्रांसजेंडर महिलाएं या पुरुष का जेंडर चुनने के लिये मजबूर हैं. असम में कुल ट्रांसजेंडरों की संख्या 20 हज़ार है जिनमें से 2000 के नाम लिस्ट में नहीं है.