अब उत्तराखंड सरकार का यू टर्न- चार धाम देवास्थानम बोर्ड भंग करने का फैसला
चुनाव के नज़दीक आते ही भारतीय जनता पार्टी की सरकार अपनी “ग़लतियों” को सुधारने में जुटी हुई है। केन्द्र के कृषि क़ानूनों को वापस लिए जाने की बाद अब बीजेपी की उत्तराखंड सरकार ने बहुविवादित Uttarakhand Char Dham Devasthanam Management Board को भंग करने का फैसला किया है। साल 2019 में त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार विधानसभा में विरोध के बावजूद इस बोर्ड को बनाने के लिए एक बिल लेकर आई थी।
भारी विरोधों के बीच इस बिल को विधानसभा से पारित कराया गया था। उसके बाद से ही साधु संत समाज इससे नाराज़ थे। इस बिल के पास हो जने के बाद राज्य में स्थित बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री सहित 53 मंदिरों का नियंत्रण सरकार ने अपने हाथ में ले लिया था। मुख्यमंत्री इसके अध्यक्ष बनाये गए थे और सरकारी अफसरों को ये मंदिर चलाने की कमान सौंपी गयी थी।
अब चुनाव से ठीक पहले यू टर्न लेते हुए उत्तराखंड सरकार ने चार धाम बोर्ड को निरस्त कर दिया है और इस बोर्ड को बनाने के लिए लाए गए बिल भी वापस ले लिए गए हैं। इसका गठन पिछले साल ही हुआ था लेकिन विपक्ष और महंतो ने इसके खिलाफ मुहिम चला रखी थी। बोर्ड को भंग करने की घोषणा खुद मुख्यमंत्री धामी ने देहरादून में की।