भारतीय अर्थव्यवस्था पर छाई अनिश्चितता, भविष्य का अनुमान लगाना मुश्किल: आरबीआई
भारतीय अर्थव्यवस्था पर छाई मंदी को लेकर रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया का कहना है की आने वाला समय अनिश्चिंतायो से भरा हुआ है। आरबीआई की अक्टूबर महीने के लिए जारी मॉनिटरी पॉलिसी में कहा है चालू वित वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी में अभूतपूर्व 23.9 फीसदी की गिरावट और घरेलू आर्थिक गतिविधियाँ महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुईं है । इसके चलते उद्योग और सेवाओं से संबंधित सूचकांक एक मिलीजुली तस्वीर पेश करते हैं। आसान भाषा में कहे तो भविष्य को लेकर ठोस रूप से नहीं जा सकता।
आरबीआई का कहना है प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोज़गार योजना और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के तहत बढ़ी हुई मजदूरी से ग्रामीण क्षेत्रों में मांग मज़बूत हो रही है किंतु शहरी इलाक़ो में मांग कमजोर बनी हुई है। आसान भाषा में कहे तो कोरोना और उसकी रोकथाम के लिए लॉकडाउन ने गावों से ज्यादा शहरों पर असर डाला है।
अगर बात करे कंस्यूमर कॉन्फिडेंस यानि उपभोक्ता के अर्थव्यवस्था, रोज़गार और आमदनी को लेकर विश्वास की तो सितम्बर महीने में ये ग्राफ रिकॉर्ड तोड़ नीचे चला गया। आसान भाषा में कहे तो सितम्बर महीने में मुजौदा आर्थिक परिस्तिथियों में उपभोक्ता बेहद ही निराश था। हालांकि, भविष्य को लेकर उसके नज़रिये में ज़रूर थोड़ा सुधार हुआ है।