लॉकडाउन से देश का बंटाधार, 1990 के मुक़ाबले और ग़रीबी की ओर भारत
देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई की ताज़ा रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि चालू वित्त वर्ष में राज्यों की अर्थव्यवस्था को 38 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है जो देश की सकल राज्य घरेलू उत्पाद यानी जीएसडीपी का 16.9 फीसदी है। गोन्यूज़ के एडिटर-इन-चीफ पंकज पचौरी ने इसका विश्लेषण किया है और बताया है कि इसका आपकी जेब पर क्या असर पड़ेगा…
महामारी को क़ाबू में करने के लिए किए गए लॉकडाउन से देश को कोई ख़ास फायदा नहीं हुआ। इस दौरान संक्रमण के मामले भी बढ़े और देश की अर्थव्यवस्था भी ध्वस्त होती चली गई। रिपोर्ट के मुताबिक़ लाखों करोड़ के नुकसान में सबसे ज़्यादा पांच लाख 39 हज़ार 344 करोड़ का झटका महाराष्ट्र को लग सकता है। उद्योग के लिहाज़ से महाराष्ट्र निवेशकों की पहली पसंद होती है लेकिन महामारी के चलते सबसे ज़्यादा नुकसान इसी राज्य को उठाना पड़ रहा है।
इनके अलावा दक्षिणी राज्य तमिलनाडु को तीन लाख 51 हज़ार 140 करोड़, उत्तर प्रदेश को तीन लाख 11 हज़ार 850 करोड़, देश के कथित मॉडल राज्य गुजरात को तीन लाख सात हज़ार 41 करोड़ और राजधानी दिल्ली को एक लाख 66 हज़ार 977 करोड़ रूपये का नुकसान उठाना पड़ सकता है।
यही नहीं देश में प्रति व्यक्ति आय में भी भारी गिरावट का अनुमान है। आंकड़े बताते हैं कि देश में प्रति व्यक्ति आय का राष्ट्रीय औसत एक लाख 21 हज़ार है लेकिन कोरोना और लॉकडाउन के चलते इसमें 20 फ़ीसदी की कमी आने की आशंका है। देश में प्रति व्यक्ति आय के मामले में गोवा पहले नंबर पर है लेकिन अब यहां प्रति व्यक्ति आमदनी में एक लाख पांच हज़ार 906 रूपये की गिरावट आने की आशंका है।
इनके अलावा राजधानी दिल्ली में प्रति व्यक्ति आय में 87 हज़ार 223, चंडीगढ़ में 77 हज़ार 545 रुपए, तेलंगाना में 67 हज़ार 883 रुपए, हरियाणा में 52 हज़ार 696 रुपए और तमिलनाडु के लोगों की आमदनी में 45 हज़ार 897 रुपए की कमी आने की आशंका है।
देशवासियों की आय में आ रही गिरावट और राज्यों की घटती आमदनी से साफ है कि देश एक बार फिर भयंकर ग़रीबी की चपेट में जा सकता है। प्लानिंग कमिशन (अब नीति आयोग) ने पहले ही आंकड़े जारी कर बताए हैं कि देश पर भयंकर ग़रीबी का ख़तरा मंडरा रहा है। देश में ग़रीबी जहां 1993-94 में 45.3 फीसदी पर था वो अब 2020-21 में बढ़कर 46.3 फीसदी पर पहुंचने की आशंका है। यानि 90 के दशक से अगर तुलना करें तो 2021-21 में भारत और ज़्यादा ‘ग़रीब’ हो रहा है।