बिहार में नेताओं के परिजन बुरी तरह हारे, क्या परिवारवाद ले डूबा महागठबंधन को ?
बिहार में जनता ने जेडीयू-बीजेपी को सत्ता सौंप दी है जबकि 243 सीटों वाली विधानसभा में महागठबंधन को 110 सीटों से ही संतोष करना पड़ा है। नतीजों पर गौर करे तो महागठबंधन की हार के पीछे परिवारवाद भी एक कारण नज़र आता है । प्रदेशभर में दो दर्जन से ज्यादा सीटों पर कांग्रेस और आरजेडी ने दिग्गज नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट दी लेकिन इनमे आधे से ज्यादा उम्मीदवारों को हार का समाना करना पड़ा।
यह भी सच है की बिहार की राजनीती में परिवारवाद का अपना एक इतिहास रहा है और इस चुनाव में भी कई बड़े और दिग्गज नेताओं के बेटा-बेटी, पति, भाई और दादा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई थी। आइये आपको बताते है बिहार के चुनावी राण में किन नेताओं के परिजनों को सफलता मिली और किन्हे हार का मुँह देखना पड़ा ।
सबसे पहले बात करते है, बिहार विधानसभा चुनाव में अपने पिता की राजनीतिक विरासत बचाने उतरे आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद के दोनों बेटे तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव की, जो चुनाव जीतने में कामयाब रहे।