महिलाएं कितनी सशक्त? अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर देखिए गोन्यूज़ की ये सात ख़ास रिपोर्ट

by GoNews Desk Mar 08, 2021 • 07:42 PM Views 710

भारत में महिलाएं काम के मामले में सबसे पीछे हैं। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में महिला कामगारों की दर चीन के मुक़ाबले बहुत कम है। रिपोर्ट से मालूम पड़ता है कि चीन में जहां हर पांच महिलाओं में तीन कामगार हैं, तो भारत में हर पांच में महज़ एक ही महिला श्रम से जुड़ी हैं। देखिए रिपोर्ट

जैसे जैसे भारत कथित आधुनिक हो रहा है, वैसे-वैसे यहां महिलाओं पर अत्याचार भी बढ़ रहा है। साल 2020 में महिलाओं को पहले से कहीं ज़्यादा हिंसा का सामना करना पड़ा। हमारा देश किसी और क्षेत्र में आगे बढ़े या नहीं पर महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध करने की श्रेणी में निरंतर ऊपर चढ़ता जा रहा है। महामारी के दौरान लॉकडाउन में महिलाओं के ख़िलाफ हिंसा के मामले अपने छह साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं। देखिए रिपोर्ट

वर्ल्ड बैंक ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की। महिला, कारोबार और कानून 2021 के नाम से जारी रिपोर्ट में इस बात का ज़िक्र है कि दुनिया के अलग अलग देशों में महिलाओं और पुरुषों के बीच कितनी समानता है। रिपोर्ट के मुताबिक़ दुनिया के महज़ दस देश ही हैं जहां महिलाओं को पुरुषों के मुक़ाबले समान अधिकार हासिल है। इस लिस्ट में भारत समेत 180 देश महिलाओं को समान अधिकार दे पाने में असफल रहा है। लिस्ट में भारत 123वें स्थान पर है। देखिए रिपोर्ट

महामारी के दौरान महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा के मामलों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई। महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा ख़त्म करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस बहुत मायने रखता हैं। ऐसे में ज़रूरी है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए सरकार को ठोस क़दम उठाए और महिलाओं की सुरक्षा के लिए महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती हो। नेश्नल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों से मालूम पड़ता है कि देश में हर दस पुलिसकर्मियों में एक महिला पुलिसकर्मी हैं और देश में महिला पुलिस की तादाद महज़ 9 फीसदी है। देखिए रिपोर्ट

वंचित समुदाय की महिलाओं के साथ यौन हिंसा के मामले बढ़े हैं। एनसीआरबी के आंकड़े इस बात का सबूत हैं कि वंचित समुदाय की महिलाओं के साथ यौन हिंसा की आशंका ज़्यादा होती है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2018 में देशभर में 2,957 दलित महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ। रिपोर्ट के मुताबिक़ दलित समुदाय की सबसे ज़्यादा 526 महिलाएं उत्तर प्रदेश में बलात्कार का शिकार हुईं। देखिए रिपोर्ट

भारत में महिला सशक्तिकरण के दावे भले ही ज़ोर-शोर से किए जाते हों लेकिन पुलिस विभाग में महिलाओं की हिस्सेदारी निराश करने वाली है। हाल ही में इंडिया जस्टिस ने एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत में हर दस पुलिसकर्मियों में मात्र एक महिला पुलिस है। अगर अधिकारी रैंक में महिलाओं की हिस्सेदारी देखें तो हर 100 पुरुष अधिकारियों में महज़ सात अधिकारी महिला हैं। देखिए रिपोर्ट

एनसीआरबी के आंकड़ों से पचा चलता है कि हर दिन औसतन दस दलित महिलाएं बलात्कार का शिकार हो रही हैं। ऐसे तो इस मामले में 27 फीसदी आरोपी को ही सज़ा मिलती है लेकिन अगर महिलाएं दलित समुदाय से हैं तो उनके गुनहगार को सज़ा मिलने की दर महज़ 2 फीसदी है। यानि वंचित महिलाओं को न्याय मिलना बेहद मुश्किल है। देखिए रिपोर्ट