किसान प्रदर्शन का एक सालः वक़्त के साथ मज़बूत होता आंदोलन
केंद्र सरकार के लाए गए तीन विवादित 'कृषि कानूनों' के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन को 1 साल पूरा हो गया है। 2020 में 17 सितंबर के दिन यह कानून पारित किए गए थे और इनके खिलाफ बड़ी संख्या में यूपी, पंजाब और हरियाणा के किसानों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था। आम आदमी पार्टी और शिरोमणि अकाली दल ने 17 सितंबर को बिल के खिलाफ 'काला दिवस' के रूप में मनाने का ऐलान किया था।
केंद्र सरकार का दावा है कि यह कानून ज़रूरी 'सुधार ' हैं जो किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए ज़रूरी थे जबकि किसानों का कहना है कि यह कानून कृषि क्षेत्र पर 'कॉर्पोरेट कब्ज़े' को बढ़ावा देते हैं।
केंद्र के तीन नए 'कृषि कानूनों' में किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020, आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, और मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता शामिल हैं, जिन्हें ऐसे समय लागू किया गया था जब देश में कोरोना संक्रमण की पहली लहर के हालात बेकाबू हो रहे थे और लोगों को तुरंत राहत की ज़रूरत थी। कांग्रेस पार्टी के पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र से कानूनों को खत्म करने और किसानों की मांगों को सुनने का आह्वान किया है।