'डिजिटल इंडिया' में बढ़ी डिजिटल चोरी, साइबर अपराधियों ने पांच साल में उड़ाए 828 करोड़

by Sarfaroshi Dec 11, 2021 • 05:53 PM Views 945

भारत में “डिजिटल इंडिया” अभियान के साथ ऑनलाइड फ्रॉड भी तेज़ी से बढ़ी है। केन्द्र सरकार ने संसद में बताया है कि पिछले पांच साल में साइबर अपराधी 800 करोड़ रूपये से ज़्यादा उड़ा ले गए।

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने लोकसभा में पिछले पांच सालों में लोगों के साथ हुआ आर्थिक धोखाधड़ी से जुड़ा प्रश्न किया था। केंद्र का इसके जवाब में दिए गए डेटा से पता चलता है कि 2016-2021 के बीच देशभर में 2,40,018 आर्थिक साइबर धोखाधड़ी के मामले सामने आए और पांच सालों में 828.24 करोड़ी की ठगी हुई।

यह वह मामले हैं जिनमें लोग इंटरनेट बैंकिंग करते समय या फ़िर क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड इस्तेमाल करते समय धोखाधड़ी का शिकार हुए। 

2016-17 में 3,223 आर्थिक फ्रॉड हुए जिनमें लोगों ने 45.5 करोड़ गंवाए। वहीं 2020-21 में धोखाधड़ी के मामले बढ़कर 69,410 हो गए और इस साल 200.22 करोड़ की धोखाधड़ी हुई। 

बता दें कि भारत साइबर सिक्योरिटी पर हर साल अरबों डॉलर ख़र्च कर रहा है। फॉर्ब्स पत्रिका ने स्टेटिस्टा के आंकड़ों के हवाले से लिखा कि देश में 2019 में साइबर सिक्योरिटी पर 2 बिलियन डॉलर ख़र्च किए गए जबकि 2022 तक इस बजट को बढ़ा कर 3 बिलियन डॉलर करने का लक्ष्य है।

भारतीय क़ानून में धारा 406 के तहत अपराधिक धोखाखड़ी के लिए तीन साल की सज़ा का प्रावधान है। यह फ्रॉड अगर किसी बैंकर या एजेंट द्वारा किया जाए तो सज़ा 10 साल तक बढ़ सकती है।

केंद्र सरकार ने एक बयान में कहा था कि ऑनलाइन बैंक फ्रॉड महामारी के बाद से बढ़ गए हैं। आंकड़े भी इस बात को सच साबित करते हैं। महामारी के दौरान फ्रॉड बढ़ने का संबंध बड़े हुए डिजिटल ट्रांजेक्शन से है।

कोविड के आने से लोगों ने कैश की जगह डिजिटल पेमेंट का विकल्प ज़्यादा चुना। इसके साथ ही लोगों के साथ हुए ऑनलाइन फ्रॉड में बढ़ोतरी हुई।

भारत सरकार 6 सालों से डिजिटल इंडिया नाम का अभियान चला रही है जिसके तहत देशवासियों को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है।

हालांकि देश में हर साल बढ़ रहे इंटरनेट बैंकिंग फ्रॉड के आधार पर कहा जा सकता है कि भारत में डिजिटल पेमेंट को सुनिश्चित करने के लिए मज़बूत नीति की भी ज़रूरत है।