जातिवाद के खिलाफ दलित छात्रा दीपा मोहनन कई दिनों से भूख हड़ताल पर

by GoNews Desk Nov 05, 2021 • 07:21 PM Views 968

भारत में रोजाना दलितों के साथ भेदभाव की खबरें आती रहती हैं। कहीं दलित समाज के लोगों को धार्मिक संस्थानों में प्रवेश से रोका जाना तो कभी दलित होने के कारण उत्पीड़न और भेदभादव का सामना करने जैसी खबरें रोज़ अखबारों की सुर्खिया बनती हैं। ऐसा ही केरल की छात्रा का एक मामला स्थानीय मीडिया में रिपोर्ट किया जा रहा है। केरल की महात्मा गांधी युनिवर्सिटी में रिसर्च स्कॉलर दीपा मोहानन 29 अक्टूबर से भूख हड़ताल पर हैं। दीपा ने कॉलेज प्रशासन पर  जातिगत भेदभाव का आरोप लगाया है। वह साल 2011 से कोट्टयम की MGU में नेनोटेक की छात्रा हैं।

दीपा के मुताबिक उनके साथ एमफिल में दाखिला लेने की शुरूआत से ही भेदभाव किया जा रहा है। मोहाना के आरोप के मुताबिक विज्ञान की स्कॉलर होने के बावजूद उन्हें कॉलेज की लैब इस्तेमाल नहीं करने दी जाती। उनका परीक्षाओं में गलत तरीके से मूल्यांकन किया जाता है और कॉलेज उनके सामने बाधा खड़ी कर रहा है। दीपा ने बताया कि उन पर दलित होने के कारण कई बार आपत्तिजनक टिप्पणियां की गई हैं। मसलन उनसे कई बार कहा गया है कि ‘दलितों में रिसर्च करने लायक समझ नहीं होती।’ ‘वह अधिकतर चोरी का काम करते हैं।’ और ‘दलितों की मौजूदगी से इंस्टीट्यूट की प्रतिष्ठा पर बुरा असर पड़ता है।’ 

दीपा ने अपने विभाग के जॉइंट डायरेक्टर नंदकुमार कलारिक्कल को भेदभाव का कसूरवार ठहराया है। उनका आरोप है कि प्रोफेसर नंदकुमार दलित होने के कारण उनकी शिक्षा में रूकावटें खड़ी कर रहे हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय के वाइंस चांसलर सबु थोमस पर भी नंदकुमार को बचाने का आरोप लगाया है। दीपा का कहना है कि उन्होंने प्रोफेसर के खिलाफ  शिकायत दर्ज की है और इसकी जांच भी जारी है लेकिन इसके बावजूद कलारिक्कल संस्था में पढ़ा रहे हैं। उन्हें न ही अब तक उनके पद से हटाया गया है और न ही निलंबित किया गया है बल्कि इसके ठीक उलट दीपा मोहानन को ही दो बार हिरासत में लिया जा चुका है।