उस दिन तेजस्वी के मंच से वीआईपी नहीं 'विजयश्री' कूदी थी!
तेजस्वी यादव की धुआँधार बैटिंग के बावजूद अगर महागठबंधन बिहार का मैच हार गया तो इसमें कहीं न कहीं दोष टीम के चुनाव का भी है। तेजस्वी ने अपनी टीम से कुछ ऐसे खिलाड़ियों को निकल जाने दिया जो एनडीए के सिक्सर को बाउंड्री पर कैच कर सकते थे। लेकिन उन्होंने पाला बदला और एक-एक, दो-दो रन जोड़कर एनडीए की असंभव लग रही जीत को संभव बना दिया।
कुछ महीने पहले तक बिहार के विपक्षी महागठबंधन का रंग इंद्रधनुषी था। इस इंद्रधनुष में ऐसे बाण थे जो सत्ता की मछली की आँख को भेद सकते थे। तब महागठबंधन में आरएलएसपी के उपेंद्र कुशवाहा, वीआईपी के मुकेश साहनी और हिंदुस्तान अवाम मोर्चा यानी हम के जीतनराम माँझी नज़र आ रहे थे, जो ख़ुद बड़ी ताकत तो नहीं थे लेकिन किसी के साथ जुड़कर उसकी ताक़त काफ़ी बढ़ा सकते थे।
लेकिन महागठबंधन इन्हें साधे रखने में नाकाम रहा और चुनाव के ऐन पहले इन बाणों ने रुख मोड़ लिया। याद कीजिए 3 अक्टूबर को वह प्रेस कान्फ्रेंस जिसमें तेजस्वी यादव ने महागठबंधन के दलों के बीच सीट शेयरिंग का फार्मूला घोषित किया था।