कोरोना वारियर नहीं मानती सरकार पर 37 मीडियाकर्मियों ने गँवायी जान!
कोरोना के ख़तरे से जूझने के लिए लगाये गये लॉकडाउन के दौरान जब सब कुछ रुक गया था, कई लोग फिर भी अपनी ड्यूटी निभा रहे थे। इनमें डॉक्टर, नर्स, पुलिस और अर्धसैनिक बल और तमाम ज़रूरी सेवाओं से जुड़े लोगों के साथ-साथ मीडिया भी शामिल था। खतरा सभी के लिए बराबर था तो स्वाभाविक है कि कोरोना संक्रमण से जान देने वाले कोरोना वारियर्स में मीडियाकर्मी भी शामिल हैं।
अब केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय की पत्रकार कल्याण योजना के तहत इन पत्रकारों के परिवारों की मदद की जाएगी। इस योजना के तहत पीड़ित परिवार को मृतक के पत्रकार के तौर पर काम करने का प्रमाण, इनकम सर्टिफिकेट, मृत्यु प्रमाण पत्र और चिकित्सा दस्तावेज द्वारा यह साबित करना होगा की पत्रकार की मौत कोविद -19 के चलते हुई। सरकारी प्रेस रिलीज़ में इसके लिए फ़िलहाल कोई समय सीमा तह नहीं की गई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस योजना के तहत पीड़ित परिवारों को 5 लाख रुपए तक की सरकारी मदद की जाएगी।
विभिन्न मीडिया संस्थानों से जुटाये गये आंकड़ों के मुताबिक कोरोनाकाल में 37 मीडियाकर्मी मारे गये। सबसे ज्यादा मौतें उत्तरप्रदेश में हुईं जहाँ 5 मीडियाकर्मियों की जान गयी। इसके अलावा महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में 4-4 मीडियाकर्मियों को ड्यूटी निभाते हुए जान गँवानी पड़ी। असम, तमिल नाडु में 3-3, बिहार, पश्चिम बंगाल में 2-2 और हिमाचल प्रदेश, जम्मू, हरियाणा, झारखंड, त्रिपुरा और कर्नाटक में 1-1 मीडियाकर्मी की कोरोना काल के दौरान संक्रमण के चलते मौत हुई। सार्वजनिक सेवा प्रसारकों, प्रसार भारती और ऑल इंडिया रेडियो ने अपने दो पत्रकार कर्मचारियों को महामारी में खो दिया है।
वैसे गौरतलब यह भी है सरकार ने सभी कोरोना वारियर्स की ड्यूटी के दौरान हुई मौत के लिए सहायता का ऐलान किया हुआ है लेकिन मीडिया को इससे बाहर रखा गया है। हाँलाकि, कई राज्य अपने स्तर पर पीड़ित मीडियाकर्मी परिवारों की मदद के लिए सामने आये हैं। मसलन ओडिशा की नवीन पटनायक सरकार कोरोना के चलते जान गवाने वाले पत्रकारों के परिवारों को 15 लाख रुपए सहायता देने का ऐलान कर चुकी है।