सुस्त जीवनशैली वालों को कोरोना संक्रमण से मौत का खतरा 32 फीसदी अधिक : स्टडी
कोरोना महामारी पूरे विश्व में लगातार अपने पैर पसार रही है और भारत में दिन भर दिन बदहाल होती व्यवस्था तो हमारी आंखों के सामने ही है। मौत का आंकड़ा दिन भर दिन आसमान को छू रहा है। इस सब के बीच एक अध्ययन सामने आया है जो यह दावा करता है कि सुस्त जीवनशैली वालों के लिए कोरोना ज़्यादा घातक है।
इस अध्ययन में कहा गया है कि कोरोना संक्रमित होने से पहले जो व्यक्ति व्यायाम नहीं करता है, उसके गंभीर रूप से बीमार होने की संभावनाएं ज़्यादा हैं। आलसी लोग या किसी भी तरह की शारीरिक गतिविधि न करने वालों में कोरोना संक्रमण की वजह से अस्पताल में, आईसीयू में और कोरोना से मौत का खतरा क्रमश: 20, 10 और 32 प्रतिशत अधिक है। यह दावा ब्रिटिश जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन में प्रकाशित स्टडी में किया गया है।
स्टडी में यह भी दावा किया गया है कि धूम्रपान, मोटापा और हाइपरटेंशन के मुकाबले शारीरिक तौर पर निष्क्रिय होना अधिक ख़तरनाक है। अब तक किए गए शोध के अनुसार बढ़ती उम्र, डायबिटीज, मोटापा या कार्डिवैस्क्युलर बीमारी की वजह से कोरोना संक्रमण होने पर मरीज गंभीर रूप से बीमार पड़ रहा है। किंतु अमेरिका में 48,440 कोरोना संक्रमित व्यस्कों पर किए गए शोध में यह बात सामने आई है कि महामारी आने से पहले न्यूनतम दो वर्षों तक निष्क्रिय जीवनशैली बिताने वाले लोगों के लिए कोरोना बेहद ख़तरनाक साबित हो सकता है।