लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था की हालत ख़स्ता, 7.7 फ़ीसदी सिकुड़ जायेगी जीडीपी
कोविद 19 या कोरोना संक्रमण रोकने के लिए मोदी सरकार ने 24 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा करके अनजाने में ही अर्थव्यवस्था को बहुत गहरी चोट पहुंचायी। 70 दिन तक चले सख्त लॉकडाउन से देश में उद्योग-धंधों की कमर टूट गई और भविष्य को लेकर संकट गहरा गया। हालांकि, अर्थव्यवस्था के बलि चढ़ जाने के बावजूद कोरोना महामारी को रोका न जा सका और और देश में संक्रमण के मामले 1 करोड़ के पार हो गये।
केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक भारत की जीडीपी यानि सकल घरेलू उत्पाद की कीमत वित्त वर्ष 2021 में 7.7 फीसदी सिकुड़ जाएगी। ध्यान रहे, चालू वित्त वर्ष 2021 के मार्च में खत्म होगा। देश के लिए यह पूर्वानुमान किसी खतरे की घंटी से कम नहीं क्योंकि यह रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के आकलन से भी ख़राब है जिसने साल 2021 में भारत की जीडीपी 7.5 फीसदी सिकुड़ने की बात कही थी। अगर ऐसा होता है की यह 1952 के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में आई सबसे बड़ी गिरावट होगी।
ज़ाहिर है इस आर्थिक तबाही का सीधा असर पड़ेगा भारत के लोगों पर। हालत तो पहले ही ख़राब थी पर अब तो हालात बेहद चिंताजनक हो चुके हैं। मसलन जहाँ साल 2019 के नवंबर में नई निजी गाड़ियों की बिक्री में 16.2 फीसदी गिरावट दर्ज़ हुई थी, वह 2020 के नवंबर में 24.6 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज हुई। इसी तरह मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में जहाँ 2019 के अक्टूबर में 0 .01 फीसदी की गिरावट दर्ज़ हुई थी, वह 2020 के इसी महीने 19.7 फीसदी घट गयी।