EPF में ढाई लाख से ज़्यादा जमा करने पर टैक्स छूट खत्म, मगर क्यों ?
घाटे में चल रही सरकार पैसे जुगाड़ने के सभी जतन कर रही है। इसी कड़ी में अब बजट में पहली बार सरकार ने कर्मचारियों के एम्प्लॉयी प्रोविडेंट फंड यानी भविष्य निधि में जमा पैसे पर टैक्स लगाने का प्रावधान किया है। यह टैक्स उन खातों पर लगेगा जिसमे कर्मचारी एक साल में 2.5 लाख रुपये से ज्यादा जमा कराता है। सरकार ने प्रस्ताव दिया है कि भविष्य निधि में 2.5 लाख रुपये से अधिक के योगदान पर मिलने वाले ब्याज पर कर छूट उपलब्ध नहीं होगी।
वैसे तो यह ईपीएफ में योगदान करने वाले सभी वेतनभोगी लोगों की चिंता का सबब है, पर वास्तव में केवल उन लोगों को प्रभावित करेगा जो एक वर्ष में 2.5 लाख रुपये से अधिक का योगदान ईपीएफ में करते हैं - और यह प्रावधान 31 मार्च के बाद दिये जाने वाले योगदान पर ही लागू होगा।
बजट प्रस्ताव में उल्लेख किया गया है कि सरकार के सामने ऐसे मामले सामने आये है जहाँ कुछ कर्मचारी EPF में हर माह बड़ी रकम जमा करा रहे है और उन्हें सभी चरणों में कर छूट का लाभ मिल रहा है - यानी जमा करने, उसपे ब्याज कमाने और पैसे निकालने में। सरकार का तर्क है की शीर्ष 20 हाई वैल्यू खातों में लगभग 825 करोड़ और प्रमुख 100 योगदानकर्ताओं के खातों में 2,000 करोड़ से अधिक हैं। ऐसे हाई वैल्यू ट्रांसक्शन को रोकने के लिए ही सरकार ने कर छूट के लिए पैसे जमा करने की सीमा 2.5 लाख रुपये सालाना करने का निर्णय लिया है।