चीन ही नहीं, नेपाल और बांग्लादेश से भी सुस्त रही भारत की जीडीपी प्रति व्यक्ति वृद्धि दर
अब यह बात किसी से छिपी नहीं रही कि देश की आर्थिक दशा ख़राब होती जा रही है। नोटबंदी और जीएसटी जैसे कानूनों के देश को काफी हद तक पटरी से उतार दिया है। नतीजा यह है कि पिछले दस सालों में यानि 2010 से 2020 तक भारत में 'जीडीपी पर कैपिटा' वृद्धि दर बेहद सुस्त पाई गई है।
जीडीपी पर कैपिटा का मतलब होता है कुल अर्थव्यवस्था का कितना हिस्सा एक नागरिक के हिस्से आता है। इसकी वृद्धि दर से मालूम पड़ता है कि देश में नागरिकों की आर्थिक स्थिति कितनी मज़बूत या कमजोर हो रही है।
वर्ल्ड मोनेटरी फंड और वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों पर अगर ग़ौर करें तो मालूम पड़ता है की देश में साल 2000 से 2010 तक जीडीपी पर कैपिटा वृद्धि तक़रीबन 12 फीसदी हुई थी लेकिन अगले दशक यानि 2010 से 2020 तक यह घटकर मात्र 3.1 फीसदी रह गयी।