बैंको से कर्ज़ के लेन-देन में भारी गिरावट: आरबीआई
अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर सरकार को झटके लगना जारी है. अब आरबीई के ताज़ा आंकड़ों में बताया गया है कि बैंको से क़र्ज़ लेना कम हो गया है और इसमें लगातार गिरावट दर्ज हो रही है. इस साल की सितम्बर महीने की तिमाही में क्रेडिट का सालाना ग्रोथ रेट महज़ 8.9 फ़ीसदी रहा जबकि पिछले जून की तिमाही में ग्रोथ रेट 11.7 था. यानी जून की तिमाही के मुक़ाबले सितबंर की तिमाही में तक़रीबन 3 फ़ीसदी की गिरावट आ गई है.
वहीं अगर पिछले साल की सितम्बर की तिमाई से तुलना करें तो ग्रोथ रेट में लगभग 4.2 की गिरावट हो चुकी है. पिछले साल की सितंबर में क्रेडिट का सालाना ग्रोथ रेट 13.1 फ़ीसदी था जोकि अब घटकर 8.9 फ़ीसदी पर आ गया है. इसका सीधा मतलब है कि एनपीए की लगातार बढ़ती समस्या और आए दिन उजागर होने वाले घोटालों के चलते बैंकिंग सिस्टम में भय का माहौल है. सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद बैंकों से कर्ज़ देने और लेने की रफ़्तार सुस्त हो गई है.
हालात सबसे ज़्यादा चिंतानजनक शहरी इलाक़ों में है. इस साल जून के मुक़ाबले सितंबर की तिमाही में लगभग 4.3 परसेंट की गिरावट दर्ज हुई है। पिछले साल इसी तिमाही का आकड़ा 12.2 परसेंट था जोकि अब घटकर 7.2 रह गया है. इसका मतलब है कि लोग अपनी ज़रूरतों या काम धंधों के लिए कर्ज़ नहीं ले रहे हैं.
हालांकि ग्रामीण इलाक़ों में हालात थोड़ा बेहतर है। इस तिमाही में क्रेडिट ग्रोथ रेट 14.8 दर्ज़ हुई जो पिछले जून की तिमाई से लगभग 1 फ़ीसदी ज़्यादा है। ये ताजा आंकड़े आरबीआई ने विभिन्न बैंकों की तकबरीबन डेढ लाख ब्रांचो से जुटाकर जारी किये है। इससे भविष्य में व्यापारिक गतिविधिओ में तेजी लाना कठिन दिखाई दे रहा है।