क़ीमत गिरने का फल भोग रहे हैं फल-किसान
देश में किसान साल दर साल फसलों का बंपर उत्पादन कर रहे हैं, इसके बावजूद उनकी माली हालत में सुधार नहीं हो रहा है। कर्ज़ के कुचक्र में फँसकर हर साल हज़ारों किसान ख़ुदकुशी कर लेते हैं क्योंकि कई बार उनकी उगाई फसलों से लागत भी नहीं निकल पाती।
अब मंडियों के ताज़ा आँकड़े बता रहे हैं की फलों की कीमतों में 80 फीसदी तक कमी आ गयी। मंडी के व्यापारियों का मानना है की आयात-निर्यात पर लगी रोक और कोरोना के चलते डिमांड में भारी कमी दर्ज़ हुई जिसके चलते कीमतें पाताल पहुँच गयी हैं।
मसलन 2019 में एक किलो अमरुद की खुदरा बाजार में कीमत 50 रुपए थी, वह इस साल घटकर 15 से 25 रुपए किलो रह गई है। यही हाल कमोबेश पपीता का है जिसकी कीमत खुदरा बाजार में 30 रुपए किलो थी, वह इस वर्ष घटकर 20 से 25 रह गयी है।