फैंटेसी स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म : करोड़ों का खेल या जुआ!

by Siddharth Chaturvedi 2 years ago Views 66299

Fantasy Sports Platform: Sports or gambling worth
भारत में क्रिकेट शब्द सिर्फ़ एक खेल नहीं एक भावना है और इसके आशिक़ साल दर साल अपनी संख्या बढ़ाते ही जा रहे हैं। वैसे यह बात कुछ साल पुरानी है, जब भारत में टी-20 फॉर्मेट को लेकर क्रिकेट फैन्स की दीवानगी बढ़ती जा रही थी। 2008 में इंडियन प्रीमियर लीग यानी IPL की शुरुआत हुई थी। और उसी मौक़े पर चौका मारते हुए भवित सेठ और हर्ष जैन ने 2008 में फैंटेसी स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म Dream11 लॉन्च किया था।

सबसे पहले तो आपको यह बता दें कि फैंटेसी स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म होते क्या हैं?


फैंटेसी स्पोर्ट्स में यूजर मोबाइल ऐप या वेबसाइट पर अपनी वर्चुअल टीम बनाता है और प्वॉइंट्स कमाता है। प्वॉइंट्स के हिसाब से यूजर की कमाई भी होती है। कई ऐप्स मुफ्त में खेलने का मौका देते हैं और कई ऐप्स इसके लिए पैसे लेते हैं। अभी भारत में 140 से ज्यादा फैंटेसी प्लेटफॉर्म मौजूद हैं। 2016 के बाद तो फैंटेसी स्पोर्ट्स सेगमेंट ने सफलता की सीढ़ी इस तरह चढ़ना शुरू कियाकि वो किसी की भी नज़र से अछूता नहीं रहा।

फेडरेशन ऑफ इंडियन फैंटेसी स्पोर्ट्स और केपीएमजी की रिपोर्ट के मुताबिक, फैंटेसी स्पोर्ट्स के साल 2016 में महज 20 लाख यूज़र थे। वहीं अब 3 साल में 4400% की बढ़ोतरी के साथ 2019 तक यूजर्स का आंकड़ा 9 करोड़ को पार कर गया है।इस्तेमाल करने वालों की संख्या बढ़ी है तो इससे होने वाली कमाई में बढ़ोतरी होना भी लाज़मी है। 2016 में इसे खेलने वालों ने 350 करोड़ रुपए कमाए थे। 2019-20 में यूजर्स की कमाई का आंकड़ा 40 गुना बढ़कर 14 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच गया।

2016 में फैंटेसी स्पोर्ट्स ऑपरेटर्स की संख्या सिर्फ 10 थी जो 2019 तक 14 गुना बढ़कर 140 से ज्यादा हो गई।

ICC की एक स्टडी के मुताबिक, दुनिया भर में 100 करोड़ से ज्यादा क्रिकेट फैन हैं। इनमें से 90% तो सिर्फ भारतीय उपमहाद्वीप में ही मौजूद हैं। इसलिए फैंटेसी स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म पर क्रिकेट का वर्चस्व कोई हैरानी की बात नहीं है।

FIFS-KPMG के एक सर्वे में पता चला कि 77 प्रतिशत लोगों ने माना की वो क्रिकेट के लिए फैंटेसी प्लेटफॉर्म पर आए थे। फुटबाल 47% और कबड्डी 9% लोगों के साथ दूसरे और तीसरे नंबर पर रहे। BARC Nielsen के मुताबिक, IPL 2020 को 2019 के मुकाबले 28% ज्यादा लोगों ने देखा। इस साल IPL का टाइटल स्पॉन्सर भी Dream11 था इसलिए फैंटेसी स्पोर्ट्स की तरफ लोगों का ध्यान ज़्यादा जाना लाज़मी था।

हर सिक्के के दो पहलू होते हैं और फैंटेसी स्पोर्ट्स पर भी यह कहावत एकदम सटीक बैठती है। फैंटेसी स्पोर्ट्स खेल के मौसम में कमाल दिखाता है तो वहीं ऑफ सीजन में यूजर्स की भारी कमी भी झेलता है। अब फैंटेसी स्पोर्ट्स इंडस्ट्री प्रो कबड्डी लीग, इंडियन सुपर लीग, हॉकी इंडिया लीग, सुपर बॉक्सिंग लीग, प्रीमियर बैडमिंटन लीग वगैरह पर भी फोकस कर रही है, जिससे पूरे साल यूजर्स का फ्लो बना रहे।

भारत में फैंटेसी स्पोर्ट्स जितने लुभावने लगते हैं, उतने ही विवादित भी है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, ओडिशा, असम, नागालैंड और सिक्किम जैसे राज्यों में फैंटेसी स्पोर्ट्स पर प्रतिबंध लगा है। इन राज्यों का मानना है कि ऑनलाइन गेमिंग की आड़ में जुए का चलन बढ़ रहा है। तमिलनाडु सरकार ने मद्रास हाईकोर्ट में बताया था कि राज्य में फैंटेसी स्पोर्ट्स में हारने के बाद सुसाइड के 30 मामले सामने आ चुके हैं।

सेंटर फॉर रिसर्च ऑन साइबर क्राइम एंड साइबर लॉ के चेयरमैन अनुज अग्रवाल तो यहाँ तक कहते हैं कि इनमें से कई फैंटेसी प्लेटफॉर्म मनी लॉन्ड्रिंग में भी शामिल हो सकते हैं। कौन-सा यूजर कितना जीत रहा है, इस पर नजर न होने की वजह से मनी लॉन्ड्रिंग भी की जा सकती है।

वहीं,मद्रास हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ऐसे प्लेटफॉर्म्स की पब्लिसिटी करने वाले सेलिब्रिटीज को नोटिस जारी किया है। इन पर लॉटरी का प्रचार करने का आरोप लगाया गया है।इसमें एमएस धोनी, विराट कोहली और सौरभ गांगुली जैसे खिलाड़ी भी शामिल हैं।

लीगल एक्सपर्ट का मानना है कि फैंटेसी स्पोर्ट्स को लेकर भारत में अभी कोई अलग कानून नहीं है।वहीं फैंटेसी स्पोर्ट्स के समर्थक कहते हैं कि ये विशेषज्ञता का खेल है, इसलिए इसे सट्टेबाजी और जुए से अलग माना जाये, लेकिन विरोधी इसे डिजिटल सट्टेबाजी का ही एक ज़रिया मानते हैं। नीति आयोग ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है।इसमें कहा गया है कि फैंटेसी स्पोर्ट्स पर बैन लगाना समाधान नहीं है। आयोग के मुताबिक, इन प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगाने से तेजी से बढ़ते इस सेक्टर में इनोवेशन रुक जाएगा।

नीति आयोग ने अनुमान लगाया है कि आने वाले सालों में इस सेक्टर में 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा FDI आ सकता है। साथ ही ये इंडस्ट्री 2023 तक 150 करोड़ का ऑनलाइन ट्रांजैक्शन कर सकती है।आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, पूरे देश में फैंटेसी स्पोर्ट्स को लेकर एक कानून होना चाहिए। कुछ राज्यों में जो कानूनी चुनौतियां हैं, उन्हें भी दूर किया जाना चाहिए।

तो अब देखने वाली बात यह है कि इन सभी विवादों को किनारे कर क्या पूरे देश में फैंटेसी स्पोर्ट्स के लिए एक क़ानून बन पाएगा।

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