गोरखपुर शहर से चुनाव लड़ेंगे योगी आदित्यनाथ, BJP ने नहीं दी अयोध्या की टिकट !

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भारतीय जनता पार्टी ने गोरखपुर की टिकट दी है। अब वो अगले महीने गोरखपुर से चुनाव लड़ेंगे। भाजपा ने शनिवार दोपहर अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की है जिसमें यह ऐलान किया गया है।
यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को पार्टी ने प्रयागराज ज़िले के सिराथू सीट से टिकट देने का फैसला किया है।
योगी आदित्यनाथ गोरखपुर (शहरी) से मैदान में होंगे जहां 3 मार्च को मतदान होना है। 2017 में भी आदित्यनाथ गोरखपुर से ही जीतकर विधानसभा पहुंचे थे और उससे पहले वो गोरखपुर से ही पांच बार लोकसभा सांसद भी रहे थे। धर्मेंद्र प्रधान ने बताया, "योगी जी ने कहा, 'मैं किसी भी सीट से चुनाव लड़ूंगा, अगर पार्टी मुझसे पूछती है'... यह पार्टी का फैसला था कि योगी गोरखपुर सीट से चुनाव लड़ें।" प्रेस कांफ्रेंस में केन्द्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के ऐलान के बाद से योगी के अयोध्या या मथुरा से चुनाव लड़ने की अटकलें ख़त्म हो गई है। यह तब हुआ जब भाजपा के कोर ग्रुप ने इन सीटों से योगी को मैदान में उतारने में दिलचस्पी दिखाई, खासकर तब जब पूर्वी उत्तर प्रदेश के मतदाता के भाजपा से दूर जाने को एक ख़तरे के रूप में देखा गया। योगी के चुनाव लड़ने के फैसले के बाद समाजवादी पार्टी के मुखिया और यूपी सीएम के संभावित उम्मीदवार अखिलेश यादव ने कहा कि “योगी को बीजेपी ने पहले ही घर भेज दिया है। उन्हें वहीं रहना पड़ेगा।” इस सप्ताह योगी आदित्यनाथ सरकार से तीन मंत्रियों सहित उत्तर प्रदेश के 10 विधायकों ने पार्टी की सदस्यता छोड़ दी। योगी कैबिनेट में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य गुट ने 14 जनवरी को समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर लिया और बीजेपी छोड़कर आए कुछ अन्य नेता आरएलडी में शामिल हो गए। जानकार मान रहे हैं कि इस दलबदल से बीजेपी को चुनाव में नुक़सान होना तय है। राज्य में मौर्य (ओबीसी) वोट 4 फीसदी से ज़्यादा है और कम से कम 100 सीटों पर इस जाति का प्रभुत्व है। बीजेपी की टिकट से 2017 में 102 ओबीसी नेताओं ने जीत हासिल की थी। इसके उलट मौजूदा विधानसभा में ओबीसी के 12, बीएसपी के पांच, अपना दल के पांच और कांग्रेस के एक विधायक हैं। राज्य में ओबीसी की आबादी 54 फीसदी है और बीजेपी की 300 पार की जीत के लिए राज्य का यह तबक़ा सबसे अहम है। ज़ाहिर है राज्य का चुनाव अब क़ानून व्यवस्था, बेरोजगारी और महंगाई से शिफ्ट होकर कास्ट और कम्युनिलज़्म पर चला गया है। जानकार मानते हैं- यही वजह है कि योगी आदित्यनाथ अपने मीडिया चैनलों के साथ इंटरव्यू में 80-20 के फॉर्मूले की चर्चा कर रहे हैं। जबकि उधर से स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी 85-15 का फॉर्मूला खोज लिया है।
योगी आदित्यनाथ गोरखपुर (शहरी) से मैदान में होंगे जहां 3 मार्च को मतदान होना है। 2017 में भी आदित्यनाथ गोरखपुर से ही जीतकर विधानसभा पहुंचे थे और उससे पहले वो गोरखपुर से ही पांच बार लोकसभा सांसद भी रहे थे। धर्मेंद्र प्रधान ने बताया, "योगी जी ने कहा, 'मैं किसी भी सीट से चुनाव लड़ूंगा, अगर पार्टी मुझसे पूछती है'... यह पार्टी का फैसला था कि योगी गोरखपुर सीट से चुनाव लड़ें।" प्रेस कांफ्रेंस में केन्द्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के ऐलान के बाद से योगी के अयोध्या या मथुरा से चुनाव लड़ने की अटकलें ख़त्म हो गई है। यह तब हुआ जब भाजपा के कोर ग्रुप ने इन सीटों से योगी को मैदान में उतारने में दिलचस्पी दिखाई, खासकर तब जब पूर्वी उत्तर प्रदेश के मतदाता के भाजपा से दूर जाने को एक ख़तरे के रूप में देखा गया। योगी के चुनाव लड़ने के फैसले के बाद समाजवादी पार्टी के मुखिया और यूपी सीएम के संभावित उम्मीदवार अखिलेश यादव ने कहा कि “योगी को बीजेपी ने पहले ही घर भेज दिया है। उन्हें वहीं रहना पड़ेगा।” इस सप्ताह योगी आदित्यनाथ सरकार से तीन मंत्रियों सहित उत्तर प्रदेश के 10 विधायकों ने पार्टी की सदस्यता छोड़ दी। योगी कैबिनेट में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य गुट ने 14 जनवरी को समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर लिया और बीजेपी छोड़कर आए कुछ अन्य नेता आरएलडी में शामिल हो गए। जानकार मान रहे हैं कि इस दलबदल से बीजेपी को चुनाव में नुक़सान होना तय है। राज्य में मौर्य (ओबीसी) वोट 4 फीसदी से ज़्यादा है और कम से कम 100 सीटों पर इस जाति का प्रभुत्व है। बीजेपी की टिकट से 2017 में 102 ओबीसी नेताओं ने जीत हासिल की थी। इसके उलट मौजूदा विधानसभा में ओबीसी के 12, बीएसपी के पांच, अपना दल के पांच और कांग्रेस के एक विधायक हैं। राज्य में ओबीसी की आबादी 54 फीसदी है और बीजेपी की 300 पार की जीत के लिए राज्य का यह तबक़ा सबसे अहम है। ज़ाहिर है राज्य का चुनाव अब क़ानून व्यवस्था, बेरोजगारी और महंगाई से शिफ्ट होकर कास्ट और कम्युनिलज़्म पर चला गया है। जानकार मानते हैं- यही वजह है कि योगी आदित्यनाथ अपने मीडिया चैनलों के साथ इंटरव्यू में 80-20 के फॉर्मूले की चर्चा कर रहे हैं। जबकि उधर से स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी 85-15 का फॉर्मूला खोज लिया है।
ताज़ा वीडियो