कोरोना की उत्पत्ती से पहले वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के शोधकर्ता हो गए थे बीमार: WSJ
इसी साल मार्च महीने की आख़िरी में विश्व स्वास्थ्य संगठन और चीन ने एक रिपोर्ट प्रकाशित कर वायरस के लैब से लीक होने के दावे को 'बेहद असंभव' बताया था...

कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर लगातार यह क़यास लगाए जा रहे हैं कि इसे चीन ने लैब में तैयार किया है। इसी कड़ी में अमेरिकी अख़बार दि वॉल स्ट्रीट जर्नल ने भी एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें बताया गया है कि 2019 के नवंबर महीने में चीन के वुहान स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के तीन शोधकर्ताओं को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
इसके एक महीने बाद चीन ने कोरोना के पहले मामले की जानकारी सार्वजनिक की थी। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अमेरिकी खूफिया विभाग के हवाले से यह रिपोर्ट प्रकाशित की है। अख़बार का कहना है कि इस अघोषित रिपोर्ट से (कोविड से) प्रभावित शोधकर्ताओं की संख्या, उनके बीमार पड़ने का समय और उनको अस्पताल में भर्ती कराना, इन सबसे यह झलकता है कि कोविड चीन के लैब से ही बाहर निकला है।
अख़बार ने एक अज्ञात शख़्स के हवाले से कहा है कि इससे 'आगे की जांच और अतिरिक्त पुष्टि' में मदद मिल सकती है। कोरोना का पहला केस चीन के वुहान में ही पाया गया था, जहां वो लैब स्थित है जिसपर संक्रमण को तैयार करने के आरोप लग रहे हैं। हालांकि चीन इन आरोपों को लगातार ख़ारिज करता रहा है। साथ ही चीन यह भी कहने लगा है कि कोरोना चीन से पहले किसी और देश में घूम रहा था। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट को भी चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने सोमवार को ख़ारिज कर दिया। उन्होंने शोधकर्ताओं के बीमार पड़ने के दावे को 'पूरी तरह से असत्य' बताया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका वायरस के लैब से लीक होने को प्रचारित कर रहा है, क्या वो ट्रैसबिलिटी की परवाह करता है या यह सिर्फ ध्यान भटकाने की कोशिश है?' रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक प्रवक्ता का कहना है कि टेक्निकल टीम अगली जांच की तैयारी कर रही है। इस दौरान वायरस के वेट मार्केट से निकलने और लैब हाइपोथेसिस की जांच होगी। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की प्रवक्ता से भी इस बारे में पूछा गया लेकिन उन्होंने इसपर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। लेकिन उनका कहना है कि वायरस की उत्पत्ती को लेकर बाइडन प्रशासन चिंतित है और पिपुल्स रिब्लिक ऑफ चाइना के भीतर इसकी उत्पत्ती को लेकर गंभीर प्रश्न है।' साथ ही उन्होंने कहा कि अमेरिकी सरकार विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य सदस्यों के साथ महामारी की उत्पत्ती की जांच को लेकर गठित विशेषज्ञों की टीम का समर्थन करने के लिए काम कर रहा है। ग़ौरतलब है कि इसी साल मार्च महीने की आख़िरी में विश्व स्वास्थ्य संगठन और चीन ने एक रिपोर्ट प्रकाशित कर वायरस के लैब से लीक होने के दावे को 'बेहद असंभव' बताया था। रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि 'वुहान के भीतर कोरोना वायरस पर काम करने वाली तीन लैब अच्छी तरह से प्रबंधित थे, हाई-क्वालिटी बायोसेफ्टी लेवल लगे हुए थे और शुरुआती महीने में इसके स्टाफ में भी संक्रमण के कोई केस नहीं मिले।' उधर ट्रंप प्रशासन ने भी अपने आख़िरी दिनों में इस बात का ज़िक्र किया था कि 'अमेरिकी सरकार के पास यह मानने का ठोस कारण है कि 2019 में वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के शोधकर्ता संक्रमण का पहला केस मिलने से पहले बीमार हो गए थे। इसमें कोविड संक्रमण और मौसमी बीमारियों के सिंम्पटम्स देखे गए थे।' इससे पहले ऑस्ट्रेलियाई मीडिया आउटलेट दि ऑस्ट्रेलियन ने भी अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि चीन साल 2015 से ही कोरोना वायरस को लेकर रिसर्च कर रहा था। इतना ही नहीं चीनी वैज्ञानिकों ने अपने रिसर्च पेपर में इस बात का ज़िक्र भी किया था कि कोरोना को एक हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि इस रिपोर्ट को भी चीन ने ख़ारिज कर दिया था।
अख़बार ने एक अज्ञात शख़्स के हवाले से कहा है कि इससे 'आगे की जांच और अतिरिक्त पुष्टि' में मदद मिल सकती है। कोरोना का पहला केस चीन के वुहान में ही पाया गया था, जहां वो लैब स्थित है जिसपर संक्रमण को तैयार करने के आरोप लग रहे हैं। हालांकि चीन इन आरोपों को लगातार ख़ारिज करता रहा है। साथ ही चीन यह भी कहने लगा है कि कोरोना चीन से पहले किसी और देश में घूम रहा था। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट को भी चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने सोमवार को ख़ारिज कर दिया। उन्होंने शोधकर्ताओं के बीमार पड़ने के दावे को 'पूरी तरह से असत्य' बताया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका वायरस के लैब से लीक होने को प्रचारित कर रहा है, क्या वो ट्रैसबिलिटी की परवाह करता है या यह सिर्फ ध्यान भटकाने की कोशिश है?' रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक प्रवक्ता का कहना है कि टेक्निकल टीम अगली जांच की तैयारी कर रही है। इस दौरान वायरस के वेट मार्केट से निकलने और लैब हाइपोथेसिस की जांच होगी। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की प्रवक्ता से भी इस बारे में पूछा गया लेकिन उन्होंने इसपर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। लेकिन उनका कहना है कि वायरस की उत्पत्ती को लेकर बाइडन प्रशासन चिंतित है और पिपुल्स रिब्लिक ऑफ चाइना के भीतर इसकी उत्पत्ती को लेकर गंभीर प्रश्न है।' साथ ही उन्होंने कहा कि अमेरिकी सरकार विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य सदस्यों के साथ महामारी की उत्पत्ती की जांच को लेकर गठित विशेषज्ञों की टीम का समर्थन करने के लिए काम कर रहा है। ग़ौरतलब है कि इसी साल मार्च महीने की आख़िरी में विश्व स्वास्थ्य संगठन और चीन ने एक रिपोर्ट प्रकाशित कर वायरस के लैब से लीक होने के दावे को 'बेहद असंभव' बताया था। रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि 'वुहान के भीतर कोरोना वायरस पर काम करने वाली तीन लैब अच्छी तरह से प्रबंधित थे, हाई-क्वालिटी बायोसेफ्टी लेवल लगे हुए थे और शुरुआती महीने में इसके स्टाफ में भी संक्रमण के कोई केस नहीं मिले।' उधर ट्रंप प्रशासन ने भी अपने आख़िरी दिनों में इस बात का ज़िक्र किया था कि 'अमेरिकी सरकार के पास यह मानने का ठोस कारण है कि 2019 में वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के शोधकर्ता संक्रमण का पहला केस मिलने से पहले बीमार हो गए थे। इसमें कोविड संक्रमण और मौसमी बीमारियों के सिंम्पटम्स देखे गए थे।' इससे पहले ऑस्ट्रेलियाई मीडिया आउटलेट दि ऑस्ट्रेलियन ने भी अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि चीन साल 2015 से ही कोरोना वायरस को लेकर रिसर्च कर रहा था। इतना ही नहीं चीनी वैज्ञानिकों ने अपने रिसर्च पेपर में इस बात का ज़िक्र भी किया था कि कोरोना को एक हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि इस रिपोर्ट को भी चीन ने ख़ारिज कर दिया था।
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