26 नवंबर को कृषि कानूनों के खिलाफ करेंगे दिल्ली कूच, 500 किसान संगठनों के संयुक्त मोर्चे का ऐलान

केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी प्रदर्शन को किसनों द्वारा और उग्र करने की तैयारी कर ली है। देशभर के अलग-अलग किसान संगठनों के नेताओं ने ऐलान किया कि 26 नवंबर संविधान दिवस के दिन पड़ोसी राज्यों के किसान पांच प्रमुख मार्गों से दिल्ली कूच करेंगे।
यह फैसला गुरुवार की शाम चंडीगढ़ स्थित किसान भवन में हुई संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में लिया गया। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति, राष्ट्रीय किसान महासंघ और भारतीय किसान संघ के विभिन्न धड़ों ने तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने के लिये केन्द्र सरकार पर दबाव बनाने के उद्देश्य से साथ मिलकर संयुक्त किसान मोर्चा बनाया है। इस मोर्चे को 500 से अधिक किसान संगठनों का समर्थन हासिल है।
विभिन्न किसान नेताओं ने 26 नवंबर के दिल्ली चलो मार्च के संबंध में कामकाज में समन्वय बनाए रखने के लिये सात सदस्यीय समिति का भी गठन भी किया गया है। समिति के सदस्य और स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेन्द्र यादव ने बताया 26 नवंबर किसान पांच राजमार्गों अमृतसर-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग जोकि कुंडली सीमा, हिसार-दिल्ली राजमार्ग जोकि बहादुरगढ़, जयपुर-दिल्ली राजमार्ग जो धारूहेड़ा, बरेली-दिल्ली राजमार्ग जो हापुड़ से और आगरा-दिल्ली राजमार्ग जोकि बल्लभगढ़ से होते हुए शांतिपूर्वक दिल्ली की ओर बढ़ेगा। वहीं श्चिम बंगाल से सात बार के सांसद और ऑल इंडिया किसान सभा के प्रेजिडेंट हन्नान मोल्लाह और ऑल इंडिया किसान महा संघ के संयोजक शिव कुमार काकाजी ने कहा कि प्रदर्शन तभी समाप्त होगा जब नए कानूनों को भंग करने की उनकी मांग को पूरा कर दिया जाता है। जबकि भारतीय किसान यूनियन के हरियाणा ईकाई के प्रमुख गुरुनाम सिंह छाधुनी ने कहा, कि वो खुद नहीं जानते हैं कि प्रदर्शन कितना लंबा चलेगा, लेकिन वो तब तक नहीं रुकेंगे जब तक किसानों मांगें पूरी नहीं हो जातीं। उन्होंने आगे कहा कि सरकार लोगों को राजधानी जाने से नहीं रोक सकती है। यदि ऐसा होता है तो उनके पास इसका भी वैकल्पिक प्लान मौजूद है। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि उनका दूसरा प्लान क्या है। दरअसल, सितंबर महीने में तमाम विपक्षी दलों समेत एनडीए के सहयोगी शिरोमणी अकाली दल ने भी संसद से तीन कृषि कानूनों को विरोध किया था और इस दौरान अकाली दल से केंद्र में मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा भी देदिया था। लेकिन तमाम विरोधों के बावजूद केंद्र सरकार ने संसद के दोनों सदनों से इन तीन कानूनों को पास करा लिया। जिन्हे बाद में राष्ट्रपति ने मंज़ूरी भी देदी थी ।
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विभिन्न किसान नेताओं ने 26 नवंबर के दिल्ली चलो मार्च के संबंध में कामकाज में समन्वय बनाए रखने के लिये सात सदस्यीय समिति का भी गठन भी किया गया है। समिति के सदस्य और स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेन्द्र यादव ने बताया 26 नवंबर किसान पांच राजमार्गों अमृतसर-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग जोकि कुंडली सीमा, हिसार-दिल्ली राजमार्ग जोकि बहादुरगढ़, जयपुर-दिल्ली राजमार्ग जो धारूहेड़ा, बरेली-दिल्ली राजमार्ग जो हापुड़ से और आगरा-दिल्ली राजमार्ग जोकि बल्लभगढ़ से होते हुए शांतिपूर्वक दिल्ली की ओर बढ़ेगा। वहीं श्चिम बंगाल से सात बार के सांसद और ऑल इंडिया किसान सभा के प्रेजिडेंट हन्नान मोल्लाह और ऑल इंडिया किसान महा संघ के संयोजक शिव कुमार काकाजी ने कहा कि प्रदर्शन तभी समाप्त होगा जब नए कानूनों को भंग करने की उनकी मांग को पूरा कर दिया जाता है। जबकि भारतीय किसान यूनियन के हरियाणा ईकाई के प्रमुख गुरुनाम सिंह छाधुनी ने कहा, कि वो खुद नहीं जानते हैं कि प्रदर्शन कितना लंबा चलेगा, लेकिन वो तब तक नहीं रुकेंगे जब तक किसानों मांगें पूरी नहीं हो जातीं। उन्होंने आगे कहा कि सरकार लोगों को राजधानी जाने से नहीं रोक सकती है। यदि ऐसा होता है तो उनके पास इसका भी वैकल्पिक प्लान मौजूद है। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि उनका दूसरा प्लान क्या है। दरअसल, सितंबर महीने में तमाम विपक्षी दलों समेत एनडीए के सहयोगी शिरोमणी अकाली दल ने भी संसद से तीन कृषि कानूनों को विरोध किया था और इस दौरान अकाली दल से केंद्र में मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा भी देदिया था। लेकिन तमाम विरोधों के बावजूद केंद्र सरकार ने संसद के दोनों सदनों से इन तीन कानूनों को पास करा लिया। जिन्हे बाद में राष्ट्रपति ने मंज़ूरी भी देदी थी ।
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