आपके लिए क्यों ज़रूरी है कोरोना का टीका लगवाना और अफ़वाहों से बचना ?
कुछ लोग यह कहते पाये जाते हैं कि वैक्सीन का कोई फायदा नहीं है लेकिन यह एक ग़लतफहमी है...

कोरना टीकाकरण की प्रक्रिया सारे देश में 16 शुरु हो रही है। सीरम इस्टीट्यूट की जिस वैक्सीन कोवीशील्ड को सरकार ने मंज़ूरी दी है उसकी पहली खेप कई राज्यों में पहुँच गयी है। पहले चरण में तीन करोड़ फ्रंटलाइन और स्वास्थ्य क्रमचारियों को टीका दिया जायेगा। अगले छह महीने में आम लोगों तक टीका पहुँ जाएगा। वैक्सीन को लेकर लोगों के मन में कई आशंकाएँ हैं। आख़िर किसी भी वायरल बीमारी के लिए वैक्सीन कितनी ज़रूरी है, यहाँ समझिए…
वायरस से लड़ने के लिए वैक्सीन कितनी ज़रूरी ?
वैक्सीन कोरोना जैसी वायरल बीमारियों से लड़ने में मददगार साबित होगी। वैक्सीन से शरीर में एंटीबॉडी बनती है जिससे कोरोना होने का ख़तरा ख़त्म हो जाता है। क्या कोविड वैक्सीन लगवाने के बाद किसी की मौत हुई है ? नहीं। कोरोना वायरस की वैक्सीन लगाने के बाद अभी तक एक भी ऐसा मामला सामने नहीं आया है जिसमें किसी शख्स की मौत हो गई हो। दूसरी तरफ कोरोना वायरस की चपेट में आने से 20 लाख से ज़्यादा मरीज़ मारे गए हैं। किसी भी वैक्सीन को तभी मंज़ूरी मिलती है जब वो अपने ट्रायल के अलग-अलग चरणों में सफलतापूर्वक सुरक्षित साबित होती है। इसी कसौटी पर खरे उतरे टीको के आधर पर कई देशों में कोविड टीकाकरण अभियान चल रहा है। दुनिया में ढ़ाई करोड़ से ज़्यादा लोगों को कोविड का टीका लगया जा चुका है। वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया में इसका ट्रायल जानवर और इंसान, दोनों पर होता है। अगर ट्रायल के दौरान किसी वॉलंटियर में गंभीर साइड इफेक्ट नजर आते हैं तो उसकी गहनता से जांच की जाती है। दुनिया में इस्तेमाल की जा रही फाइज़र और मॉडर्ना की वैक्सीन का हज़ारों लोगों पर परीक्षण किया गया है और यह 85 फीसदी से ज़्यादा कारगर साबित हुई है। परीक्षणों से गुज़रने के बाद मंज़ूर की गयी वैक्सीन से साइड इफेक्ट की समस्या ना के बराबर है। अगर आपको वायरस से ज़्यादा वैक्सीन से डर लगता है ! इसकी जाँच आप खुद करें और देखें कि आख़िर वैक्सीन को लेकर आपके मन में क्या शंकाएँ हैं। इसके लिए वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों की वेबसाइट पर वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया और उसकी पूरी जानकारी पढ़ सकते हैं। यह भी देखें कि ट्रायल के दौरान कितने लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल हुआ है और इसके प्रभाव की क्षमता कितनी है। एक बात ध्यान देने की है कि कुछ वैक्सीन के ट्रायल के दौरान उसके वॉलंटियर में साइड इफेक्ट की समस्या देखी गई है। हालांकि ये समस्याएं सिर्फ प्लेसिबो ग्रुप के वॉलंटियर में देखी गई। किसी भी क्लिनिकल ट्रायल के दौरान वॉलंटियर्स को दो भागों में बाँटा जाता है जिनमें एक भाग को वैक्सीन के डोज़ दिये जाते हैं जबकि दूसरे को प्लेसिबो लगाया जाता है जिसमें कोई दवा नहीं होती। भारत में दो वैक्सीन को आपात्काल इस्तेमाल की मंज़ूरी मिली है। इनमें एक पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट की बनाई कोवीशील्ड है और दूसरी कोवैक्सीन को हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने बनाया है। फिलहाल इस्तेमाल में लाई जाने वाली वैक्सीन सीरम इंस्टीट्यूट की बनायी कोवीशील्ड है। वैक्सीन को मंज़ूरी देते हुए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया वी.जी सोमानी ने वैक्सीन के 110 फीसदी सुरक्षित होने का दावा किया था। साथ ही उन्होंने कहा था कि हल्का बुख़ार, बदन में दर्द और एलर्जी की समस्या किसी भी वैक्सीन के इस्तेमाल के बाद, आम है। वैक्सीन के फ़ायदे
वैक्सीन कोरोना जैसी वायरल बीमारियों से लड़ने में मददगार साबित होगी। वैक्सीन से शरीर में एंटीबॉडी बनती है जिससे कोरोना होने का ख़तरा ख़त्म हो जाता है। क्या कोविड वैक्सीन लगवाने के बाद किसी की मौत हुई है ? नहीं। कोरोना वायरस की वैक्सीन लगाने के बाद अभी तक एक भी ऐसा मामला सामने नहीं आया है जिसमें किसी शख्स की मौत हो गई हो। दूसरी तरफ कोरोना वायरस की चपेट में आने से 20 लाख से ज़्यादा मरीज़ मारे गए हैं। किसी भी वैक्सीन को तभी मंज़ूरी मिलती है जब वो अपने ट्रायल के अलग-अलग चरणों में सफलतापूर्वक सुरक्षित साबित होती है। इसी कसौटी पर खरे उतरे टीको के आधर पर कई देशों में कोविड टीकाकरण अभियान चल रहा है। दुनिया में ढ़ाई करोड़ से ज़्यादा लोगों को कोविड का टीका लगया जा चुका है। वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया में इसका ट्रायल जानवर और इंसान, दोनों पर होता है। अगर ट्रायल के दौरान किसी वॉलंटियर में गंभीर साइड इफेक्ट नजर आते हैं तो उसकी गहनता से जांच की जाती है। दुनिया में इस्तेमाल की जा रही फाइज़र और मॉडर्ना की वैक्सीन का हज़ारों लोगों पर परीक्षण किया गया है और यह 85 फीसदी से ज़्यादा कारगर साबित हुई है। परीक्षणों से गुज़रने के बाद मंज़ूर की गयी वैक्सीन से साइड इफेक्ट की समस्या ना के बराबर है। अगर आपको वायरस से ज़्यादा वैक्सीन से डर लगता है ! इसकी जाँच आप खुद करें और देखें कि आख़िर वैक्सीन को लेकर आपके मन में क्या शंकाएँ हैं। इसके लिए वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों की वेबसाइट पर वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया और उसकी पूरी जानकारी पढ़ सकते हैं। यह भी देखें कि ट्रायल के दौरान कितने लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल हुआ है और इसके प्रभाव की क्षमता कितनी है। एक बात ध्यान देने की है कि कुछ वैक्सीन के ट्रायल के दौरान उसके वॉलंटियर में साइड इफेक्ट की समस्या देखी गई है। हालांकि ये समस्याएं सिर्फ प्लेसिबो ग्रुप के वॉलंटियर में देखी गई। किसी भी क्लिनिकल ट्रायल के दौरान वॉलंटियर्स को दो भागों में बाँटा जाता है जिनमें एक भाग को वैक्सीन के डोज़ दिये जाते हैं जबकि दूसरे को प्लेसिबो लगाया जाता है जिसमें कोई दवा नहीं होती। भारत में दो वैक्सीन को आपात्काल इस्तेमाल की मंज़ूरी मिली है। इनमें एक पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट की बनाई कोवीशील्ड है और दूसरी कोवैक्सीन को हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने बनाया है। फिलहाल इस्तेमाल में लाई जाने वाली वैक्सीन सीरम इंस्टीट्यूट की बनायी कोवीशील्ड है। वैक्सीन को मंज़ूरी देते हुए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया वी.जी सोमानी ने वैक्सीन के 110 फीसदी सुरक्षित होने का दावा किया था। साथ ही उन्होंने कहा था कि हल्का बुख़ार, बदन में दर्द और एलर्जी की समस्या किसी भी वैक्सीन के इस्तेमाल के बाद, आम है। वैक्सीन के फ़ायदे
- किसी भी संक्रामक बीमारी की रोकथाम के लिए वैक्सीन सबसे अहम है क्योंकि इससे संक्रमण ख़त्म होता है।
- अगर आप वैक्सीन नहीं लगवाते हैं तो कोरोना वायरस की चपेट में आने से आपके लिए गंभीर ख़तरा पैदा हो सकता है।
- अगर आप वैक्सीन नहीं लगवाते हैं तो आप ख़ुद के और परिवार के लिए ख़तरा बन सकते हैं और आपकी गिनती ऐसे लोगों में होगी जो अवैज्ञानिक दावों पर भरोसा कर बैठे हैं।
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