लोगों को क्यों नहीं है कोरोना वैक्सीन पर भरोसा ?

कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया था कि भारत में पूरे विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम होगा। 16 जनवरी से यह अभिया शुरु भी हो गया, पर पहले हफ्ते की तस्वीर देखें तो हालात दावों से बिलकुल उलट लगते हैं।ऐसा लगता है कि सरकार अभी तक जनता के मन में कोरोना की वैक्सीन को लेकर विश्वास पैदा नहीं कर पाई है। यहाँ तक कि डॉक्टरों और हेल्थ केयर वर्क्स में भी टीके को लेकर आशंकाएँ हैं।
यह बात सामने आयी है YOUGOV के एक ताज़ा सर्वे से जिसमें पता चला है कि भारत में 41% लोग अभी कुछ महीने इंतज़ार करने के बाद कोरोना का टीका लेना चाहते हैं। वहीं 33% लोगों का मानना है कि जैसे ही सबके लिए कोरोना की वैक्सीन उपलब्ध होगी वैसे ही वे बिना हिचक टीका लगवाएँगे।
वहीं 13% लोगों का कहना है कि वे कोरोना का टीका तब ही लगवायेंगे अगर सरकार इसे सबके लिए अनिवार्य करेगी और 11% का कहना है कि वे कोरोना का टीका तब ही लगवायेंगे जब उनका संस्थान इसे लगाने के लिए कहेगा। साफ़ पता चलता है कि लोग जितनी आस से कोरोना के टीके का इंतज़ार कर रहे थे अब वे उतने ही मन से इससे बचने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि यह हाल सिर्फ़ भारत का है। इससे पहले लोकलसर्कल्स ने जनवरी में एक सर्वे कराया था। इसमें 8,723 लोगों ने हिस्सा लिया था। इसमें बताया गया था कि पिछले साल नवंबर और दिसंबर में वैक्सीन को लेकर जो हिचक लोगों में थी, वह जनवरी में भी कायम है। सर्वे में पता चला था कि 69% लोगों ने कहा कि वे वैक्सीन को लेकर किसी तरह की जल्दबाजी में नहीं हैं। इससे पहले दिसंबर में भी 69% लोगों में वैक्सीन को लेकर हिचक दिखी थी। नवंबर में 59% और अक्टूबर में 61% लोगों ने कहा था कि वे वैक्सीन को लेकर जल्दबाजी में नहीं हैं। वहीं दूसरी तरफ़ अगर दोनो वैक्सीन की बात करें तो कोवैक्सिन को लेकर लोगों के मन में ज़्यादा संदेह है। कहा जा रहा है कि उसके ट्रायल के सभी चरणों के नतीजे आने के पहले मंज़ूरी मिली है। कोवैक्सीन के टीके के साथ क्लीनिकल ट्रायल का सहमति पत्र भी भरवाया जा रहा है।वैसे भारत बायोटेक का दावा है कि उसकी कोवैक्सिन 12 साल से ऊपर के बच्चों के लिए भी सुरक्षित है लेकिन उसने चेताया भी है कि गर्भवती महिलाएँ या एलर्जी, बुखार या किसी गंभीर बीमारी की दवा ले रहे लोग टीका न लगवायें। यही वजह है कि स्कूली बच्चों के अभिभावकों में टीके के लोकर संदेह है। सिर्फ 26% भारतीय पैरेंट्स ने कहा कि अप्रैल 2021 या स्कूल सेशन से पहले तक वैक्सीन उपलब्ध हुई, तो वे अपने बच्चों को जरूर लगवाएंगे। वहीं, 56% पैरेंट्स ने कहा कि वे तीन और महीने इंतजार करना चाहेंगे। तब तक ज्यादा डेटा मिल चुका होगा और नतीजे आ चुके होंगे। तब वे इस पर फैसला लेंगे। 12% पैरेंट्स ने तो सीधे-सीधे कह दिया कि वे अपने बच्चों को वैक्सीन नहीं लगवाने वाले। भारत में कोरोना के टीकाकरण के बाद क़रीब 600 लोगों के बीमार होने की जानकारी सामने आई है और छह लोगों की मौत हो चुकी हे। सरकर की मानें तो यह आँकड़ा दुनिया के किसी भी देश की तुलना में कम है। भारत में अब तक आठ लाख स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना का टीका दिया जा चुका है। स्वास्थमंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा है कि 'कोरोना को अगर जड़ से खत्म करना है तो वैक्सीन लगवाना जरूरी है। ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग राजनीतिक फायदा लेने के लिए वैक्सीनेशन को लेकर गलत बातें फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसी का असर है कि कुछ लोग वैक्सीन लगवाने में कतरा रहे हैं। सरकार बिल्कुल भी किसी की सेहत के साथ खिलावाड़ नहीं करेगी। सभी को सुरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है।’ साइड इफेक्ट को लेकर डॉ. हर्षवर्धन ने कहा है कि ये एक सामान्य बात है। हर वैक्सीन में इस तरह के मामले सामने आते हैं। कोरोना के टीके के बाद बीमार होने और मौत की ख़बरें सिर्फ़ भारत से ही नहीं आ रही हैं। कुछ दिनों पहले नॉर्वे से भी ऐसी ही ख़बर आयी थी जहाँ कोरोना के टीके के बाद 33 लोगों की मौत हो गई थी पर चाहे भारत हो या नॉर्वे, हर जगह की सरकार का बस यही कहना है कि मौत टीकाकरण की वजह से नहीं हुई है। बहरहाल इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि लोगों के मन में डर कायम है। आबादी के हिसाब से बात करें तो भारत में 0.0486% लोगों को अभी तक वैक्सीन लगी है। जबकि अमेरिका में 4.73%, चीन में 1.042%, यूनाइटेड किंगडम में 7.44%, इजराइल में 31.92% और संयुक्त अरब अमीरत में 21.70% लोगों को कोरोना की वैक्सीन लग चुकी है।
वहीं 13% लोगों का कहना है कि वे कोरोना का टीका तब ही लगवायेंगे अगर सरकार इसे सबके लिए अनिवार्य करेगी और 11% का कहना है कि वे कोरोना का टीका तब ही लगवायेंगे जब उनका संस्थान इसे लगाने के लिए कहेगा। साफ़ पता चलता है कि लोग जितनी आस से कोरोना के टीके का इंतज़ार कर रहे थे अब वे उतने ही मन से इससे बचने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि यह हाल सिर्फ़ भारत का है। इससे पहले लोकलसर्कल्स ने जनवरी में एक सर्वे कराया था। इसमें 8,723 लोगों ने हिस्सा लिया था। इसमें बताया गया था कि पिछले साल नवंबर और दिसंबर में वैक्सीन को लेकर जो हिचक लोगों में थी, वह जनवरी में भी कायम है। सर्वे में पता चला था कि 69% लोगों ने कहा कि वे वैक्सीन को लेकर किसी तरह की जल्दबाजी में नहीं हैं। इससे पहले दिसंबर में भी 69% लोगों में वैक्सीन को लेकर हिचक दिखी थी। नवंबर में 59% और अक्टूबर में 61% लोगों ने कहा था कि वे वैक्सीन को लेकर जल्दबाजी में नहीं हैं। वहीं दूसरी तरफ़ अगर दोनो वैक्सीन की बात करें तो कोवैक्सिन को लेकर लोगों के मन में ज़्यादा संदेह है। कहा जा रहा है कि उसके ट्रायल के सभी चरणों के नतीजे आने के पहले मंज़ूरी मिली है। कोवैक्सीन के टीके के साथ क्लीनिकल ट्रायल का सहमति पत्र भी भरवाया जा रहा है।वैसे भारत बायोटेक का दावा है कि उसकी कोवैक्सिन 12 साल से ऊपर के बच्चों के लिए भी सुरक्षित है लेकिन उसने चेताया भी है कि गर्भवती महिलाएँ या एलर्जी, बुखार या किसी गंभीर बीमारी की दवा ले रहे लोग टीका न लगवायें। यही वजह है कि स्कूली बच्चों के अभिभावकों में टीके के लोकर संदेह है। सिर्फ 26% भारतीय पैरेंट्स ने कहा कि अप्रैल 2021 या स्कूल सेशन से पहले तक वैक्सीन उपलब्ध हुई, तो वे अपने बच्चों को जरूर लगवाएंगे। वहीं, 56% पैरेंट्स ने कहा कि वे तीन और महीने इंतजार करना चाहेंगे। तब तक ज्यादा डेटा मिल चुका होगा और नतीजे आ चुके होंगे। तब वे इस पर फैसला लेंगे। 12% पैरेंट्स ने तो सीधे-सीधे कह दिया कि वे अपने बच्चों को वैक्सीन नहीं लगवाने वाले। भारत में कोरोना के टीकाकरण के बाद क़रीब 600 लोगों के बीमार होने की जानकारी सामने आई है और छह लोगों की मौत हो चुकी हे। सरकर की मानें तो यह आँकड़ा दुनिया के किसी भी देश की तुलना में कम है। भारत में अब तक आठ लाख स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना का टीका दिया जा चुका है। स्वास्थमंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा है कि 'कोरोना को अगर जड़ से खत्म करना है तो वैक्सीन लगवाना जरूरी है। ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग राजनीतिक फायदा लेने के लिए वैक्सीनेशन को लेकर गलत बातें फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसी का असर है कि कुछ लोग वैक्सीन लगवाने में कतरा रहे हैं। सरकार बिल्कुल भी किसी की सेहत के साथ खिलावाड़ नहीं करेगी। सभी को सुरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है।’ साइड इफेक्ट को लेकर डॉ. हर्षवर्धन ने कहा है कि ये एक सामान्य बात है। हर वैक्सीन में इस तरह के मामले सामने आते हैं। कोरोना के टीके के बाद बीमार होने और मौत की ख़बरें सिर्फ़ भारत से ही नहीं आ रही हैं। कुछ दिनों पहले नॉर्वे से भी ऐसी ही ख़बर आयी थी जहाँ कोरोना के टीके के बाद 33 लोगों की मौत हो गई थी पर चाहे भारत हो या नॉर्वे, हर जगह की सरकार का बस यही कहना है कि मौत टीकाकरण की वजह से नहीं हुई है। बहरहाल इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि लोगों के मन में डर कायम है। आबादी के हिसाब से बात करें तो भारत में 0.0486% लोगों को अभी तक वैक्सीन लगी है। जबकि अमेरिका में 4.73%, चीन में 1.042%, यूनाइटेड किंगडम में 7.44%, इजराइल में 31.92% और संयुक्त अरब अमीरत में 21.70% लोगों को कोरोना की वैक्सीन लग चुकी है।
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