जब आमदनी के स्रोत सूखे हैं तो ख़र्च कैसे चलाएगी मोदी सरकार?

अर्थव्यवस्था की बर्बादी पर विकास दर के निराशजनक आंकड़ों ने मुहर लगा दी है. नए आंकड़े बताते हैं कि चालू वित्त वर्ष के 4 महीने में ही सरकार ने अपने निर्धारित वित्त घाटे के लक्ष्य को छू लिया है. अब सरकार की सबसे बड़ी चुनौती ये है कि निवेश और टैक्स वसूली के मोर्चे पर पिछड़ने के बाद वो अपने ख़र्च और योजनाओं के लिए पैसा कहां से लाएगी?
संकट में फंसी अर्थव्यवस्था के बीच सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने ख़र्च और कल्याणकारी योजनाओं के लिए पैसा जुटाना है. तमाम आंकड़े बता रहे हैं कि अर्थव्यवस्था की रफ़्तार सुस्त पड़ने के साथ-साथ उसकी आमदनी भी घटती जा रही है. कैग के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक राजस्व यानि कमाई और व्यय यानि खर्च के बीच अंतर 8.21 लाख करोड़ रुपये या बजटीय अनुमान के 103 फ़ीसदी तक पहुंच गया. बीते वित्त वर्ष की इसी अवधि में सरकार बजट लक्ष्य के 79 फ़ीसदी के आंकड़े पर थी.
बता दें कि केंद्रीय बजट 2020-21 में देश का अनुमानित राजकोषीय घाटा लक्ष्य 7.96 लाख करोड़ रुपये या सकल घरेलू उत्पाद का 3.5% था. हालांकि उम्मीद की जा रही थी कि इसे संशोधित किया जाएगा क्योंकि सरकार ने कोरोना संकट से निपटने के लिए अपने उधार लक्ष्य को बढ़ा दिया था. अगर बात करें कमाई की तो सरकार की राजस्व प्राप्ति चालू वित्त वर्ष के लिए निर्धारित लक्ष्य का 11.3 फ़ीसदी है. हालांकि बीते वित्त वर्ष की इसी अवधि में सरकार ने अपने लक्ष्य के मुकाबले 19.5 फ़ीसदी का लक्ष्य हासिल कर लिया था। बता दें कि अप्रैल-जुलाई 2020 में सरकार का राजस्व 2.27 लाख करोड़ रुपये था. आसान भाषा में कहें तो केंद्र सरकार की आय के स्रोत कम हो रहे हैं जबकि योजनाओं को चलाने के लिए हाथ में पैसे नहीं हैं. इसकी सबसे ज्यादा मार पड़ रही है राज्यों पर. देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने हाल में ही एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया था कि चालू वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था को 38 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है. राज्यों को उम्मीद थी कि इस कोरोना संकट के समय में केंद्र सरकार उनका बकाया जीएसटी का पैसा रिलीज़ करके उनकी मदद करेगी लेकिन केंद्र सरकार ने पैसा देने की बजाए राज्यों को सलाह दी है कि वे रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया से कर्ज़ा लेकर फ़िलहाल अपना खर्च चलाएं.
बता दें कि केंद्रीय बजट 2020-21 में देश का अनुमानित राजकोषीय घाटा लक्ष्य 7.96 लाख करोड़ रुपये या सकल घरेलू उत्पाद का 3.5% था. हालांकि उम्मीद की जा रही थी कि इसे संशोधित किया जाएगा क्योंकि सरकार ने कोरोना संकट से निपटने के लिए अपने उधार लक्ष्य को बढ़ा दिया था. अगर बात करें कमाई की तो सरकार की राजस्व प्राप्ति चालू वित्त वर्ष के लिए निर्धारित लक्ष्य का 11.3 फ़ीसदी है. हालांकि बीते वित्त वर्ष की इसी अवधि में सरकार ने अपने लक्ष्य के मुकाबले 19.5 फ़ीसदी का लक्ष्य हासिल कर लिया था। बता दें कि अप्रैल-जुलाई 2020 में सरकार का राजस्व 2.27 लाख करोड़ रुपये था. आसान भाषा में कहें तो केंद्र सरकार की आय के स्रोत कम हो रहे हैं जबकि योजनाओं को चलाने के लिए हाथ में पैसे नहीं हैं. इसकी सबसे ज्यादा मार पड़ रही है राज्यों पर. देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने हाल में ही एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया था कि चालू वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था को 38 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है. राज्यों को उम्मीद थी कि इस कोरोना संकट के समय में केंद्र सरकार उनका बकाया जीएसटी का पैसा रिलीज़ करके उनकी मदद करेगी लेकिन केंद्र सरकार ने पैसा देने की बजाए राज्यों को सलाह दी है कि वे रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया से कर्ज़ा लेकर फ़िलहाल अपना खर्च चलाएं.
ताज़ा वीडियो