पश्चिम बंगाल : क्या है नारद रिश्वत कांड?

पश्चिम बंगाल में एक बार फिर राजनीतिक पारा चढ़ गया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने ममता बनर्जी सरकार के दो मंत्रियों फरहाद हकीम और सुब्रत मुखर्जी को नारद स्टिंग ऑपरेशन से जुड़े मामले में कोलकाता में गिरफ्तार कर लिया है। इन दोनों के अलावा सीबीआई ने वरिष्ठ विधायक मदन मित्रा और पूर्व मेयर शोभन चटर्जी को भी गिरफ्तार किया है। अपने मंत्रियों, विधायकों की गिरफ्तारी के खिलाफ सीएम ममता बनर्जी सीबीआई दफ्तर पहुंच गईं और उन्होंने खुद को भी गिरफ्तार करने की चुनौती दे डाली। ममता करीब 45 मिनट तक सीबीआई दफ्तर पर डटी रहीं।
पर इन सबके बीच सवाल खड़ा होता है कि आख़िर यह नारद स्टिंग केस है क्या? यह मामला 2016 का है। 2016 के पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव से ठीक पहले नारद न्यूज पोर्टल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मैथ्यू सैमुएल ने एक स्टिंग वीडियो जारी कर बंगाल की राजनीति में हलचल मचा दी थी। स्टिंग में सैमुएल एक कंपनी के प्रतिनिधि के तौर पर तृणमूल कांग्रेस के 7 सांसदों, 3 मंत्रियों और कोलकाता नगर निगम के मेयर शोभन चटर्जी को काम कराने के बदले में मोटी रकम देते नजर आ रहे थे।
इस स्टिंग को ममता बनर्जी ने साजिश करार दिया था, जबकि विपक्षियों को ममता के खिलाफ एक बड़ा हथियार मिल गया था। साल 2017 में कोलकाता हाईकोर्ट ने मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा था। वर्ष 2014 में कथित अपराध के समय ये सभी मंत्री थे। नारद टीवी के स्टिंग में नजर आने वाले नेताओं में तत्कालीन टीएमसी नेता मुकुल रॉय (अब भाजपा में), शुभेंदु अधिकारी (अब भाजपा में), सुब्रत मुखर्जी, सुल्तान अहमद, प्रसून बनर्जी, शोभन चटर्जी, मदन मित्रा, काकोली घोष दास्तीकार, इकबाल अहमद और फरहाद हकीम शामिल थे। इनके अलावा एक सीनियर पुलिस अफसर एम एच अहमद मिर्जा को भी स्टिंग में रिश्वत लेते दिखाया गया था। फॉरेंसिक जांच में स्टिंग का वीडियो सही पाया गया था और इससे नारद टीवी के सीईओ मैथ्यू को हाईकोर्ट से राहत मिल गई थी। तब बताया गया था कि टेप 2014 में रिकॉर्ड किया गया था। नारद स्टिंग केस में नामित सात तृणमूल सांसदों में से छह लोकसभा से और मुकुल रॉय राज्यसभा से थे। मुकुल रॉय अब बीजेपी के साथ हैं और अभी-अभी विधायक चुने गए हैं। उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। स्टिंग टेप में वह असल में कैश लेते नहीं दिख रहे थे। एक अन्य आरोपी सांसद सुल्तान अहमद का निधन हो चुका है। सीबीआई ने काकोली घोष दस्तीदार, प्रसून बनर्जी और अपरूपा पोद्दार के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी है लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ने मंजूरी नहीं दी है।
इस स्टिंग को ममता बनर्जी ने साजिश करार दिया था, जबकि विपक्षियों को ममता के खिलाफ एक बड़ा हथियार मिल गया था। साल 2017 में कोलकाता हाईकोर्ट ने मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा था। वर्ष 2014 में कथित अपराध के समय ये सभी मंत्री थे। नारद टीवी के स्टिंग में नजर आने वाले नेताओं में तत्कालीन टीएमसी नेता मुकुल रॉय (अब भाजपा में), शुभेंदु अधिकारी (अब भाजपा में), सुब्रत मुखर्जी, सुल्तान अहमद, प्रसून बनर्जी, शोभन चटर्जी, मदन मित्रा, काकोली घोष दास्तीकार, इकबाल अहमद और फरहाद हकीम शामिल थे। इनके अलावा एक सीनियर पुलिस अफसर एम एच अहमद मिर्जा को भी स्टिंग में रिश्वत लेते दिखाया गया था। फॉरेंसिक जांच में स्टिंग का वीडियो सही पाया गया था और इससे नारद टीवी के सीईओ मैथ्यू को हाईकोर्ट से राहत मिल गई थी। तब बताया गया था कि टेप 2014 में रिकॉर्ड किया गया था। नारद स्टिंग केस में नामित सात तृणमूल सांसदों में से छह लोकसभा से और मुकुल रॉय राज्यसभा से थे। मुकुल रॉय अब बीजेपी के साथ हैं और अभी-अभी विधायक चुने गए हैं। उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। स्टिंग टेप में वह असल में कैश लेते नहीं दिख रहे थे। एक अन्य आरोपी सांसद सुल्तान अहमद का निधन हो चुका है। सीबीआई ने काकोली घोष दस्तीदार, प्रसून बनर्जी और अपरूपा पोद्दार के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी है लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ने मंजूरी नहीं दी है।
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