UP First Phase Poll: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसका पलड़ा भारी ?

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान ख़त्म हो चुका है। मतदान ख़त्म होने तक पश्चिमी यूपी में 5 बजे तक करीब 60 फीसदी मतदान हुआ है।
माना जा रहा है कि यह चुनाव भाजपा बनाम सपा-आरएलडी गठबंधन है। गोन्यूज़ ने आपको बताया था कि 2017 के चुनाव में पश्चिमी यूपी में बीजेपी ने विपक्षी दलों का सफाया कर दिया था। भगवा पार्टी ने 91 फीसदी विनिंग रेट के साथ 58 में 53 सीटें जीती थी। तब बीजेपी के समर्थन में ब्राम्हण और जाट समुदाय की बड़ी भूमिका रही थी।
बहुजन समाज पार्टी के ब्राम्हण मतदाता भी बीजेपी की तरफ शिफ्ट हो गए थे। यह भी बता दें कि पिछले चुनाव में बीएसपी ही पश्चिमी यूपी में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। 33 सीटों पर बीएसपी, बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती साबित हुई थी। वहीं समाजवादी पार्टी सिर्फ 15 सीटों और आरएलडी सिर्फ तीन सीटों पर ही रनर-अप की भूमिका में रही थी। माना जा रहा कि यूपी चुनाव विकास के मुद्दे से हटकर जाति और धर्म पर शिफ्ट हो गया है जहां मुस्लिम और एससी समुदाय के मतदाता एक निर्णायक भूमिका अदा कर सकते हैं। सपा को पश्चिमी यूपी में 45 फीसदी मुस्लिम मतादाताओं ने मतदान किया था और कांग्रेस और बसपा को 19-19 फीसदी मुस्लिम वोट मिले थे। गोन्यूज़ ने आपको पहले बताया था कि पिछले विघानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी का ब्राम्हण वोट बीजेपी में शिफ्ट हुआ जिसकी वजह से पार्टी को बड़ी जीत मिली। हालांकि बीएसपी के जाटव और अन्य दलित मतदाताओं ने मायावती का साथ नहीं छोड़ा। माना जा रहा है कि कमोबेश यही हाल इस चुनाव में भी रहने वाला है। बहुजन समाज पार्टी ने इन क्षेत्रों में अपने कोर वोटर के अलावा ब्राम्हण और मुस्लिम मतदाताओं को टार्गेट किया है। बीएसपी ने पश्चिमी यूपी में 44 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं जो किसी भी अन्य दल से ज़्यादा है। पश्चिमी यूपी के मुज़फ्फरनगर में 41 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं और अगर इनके साथ दलित समुदाय के मतादातओं को जोड़ दिया जाए तो यह कुल 55 फीसदी हो जाता है जो किसी भी दल को जीत दिला सकते हैं। इनके अलावा मेरठ में 34 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं और यहां भी अगर दलित मतदाताओं को जोड़ा जाए तो यह 52 फीसदी होता है।
बहुजन समाज पार्टी के ब्राम्हण मतदाता भी बीजेपी की तरफ शिफ्ट हो गए थे। यह भी बता दें कि पिछले चुनाव में बीएसपी ही पश्चिमी यूपी में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। 33 सीटों पर बीएसपी, बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती साबित हुई थी। वहीं समाजवादी पार्टी सिर्फ 15 सीटों और आरएलडी सिर्फ तीन सीटों पर ही रनर-अप की भूमिका में रही थी। माना जा रहा कि यूपी चुनाव विकास के मुद्दे से हटकर जाति और धर्म पर शिफ्ट हो गया है जहां मुस्लिम और एससी समुदाय के मतदाता एक निर्णायक भूमिका अदा कर सकते हैं। सपा को पश्चिमी यूपी में 45 फीसदी मुस्लिम मतादाताओं ने मतदान किया था और कांग्रेस और बसपा को 19-19 फीसदी मुस्लिम वोट मिले थे। गोन्यूज़ ने आपको पहले बताया था कि पिछले विघानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी का ब्राम्हण वोट बीजेपी में शिफ्ट हुआ जिसकी वजह से पार्टी को बड़ी जीत मिली। हालांकि बीएसपी के जाटव और अन्य दलित मतदाताओं ने मायावती का साथ नहीं छोड़ा। माना जा रहा है कि कमोबेश यही हाल इस चुनाव में भी रहने वाला है। बहुजन समाज पार्टी ने इन क्षेत्रों में अपने कोर वोटर के अलावा ब्राम्हण और मुस्लिम मतदाताओं को टार्गेट किया है। बीएसपी ने पश्चिमी यूपी में 44 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं जो किसी भी अन्य दल से ज़्यादा है। पश्चिमी यूपी के मुज़फ्फरनगर में 41 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं और अगर इनके साथ दलित समुदाय के मतादातओं को जोड़ दिया जाए तो यह कुल 55 फीसदी हो जाता है जो किसी भी दल को जीत दिला सकते हैं। इनके अलावा मेरठ में 34 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं और यहां भी अगर दलित मतदाताओं को जोड़ा जाए तो यह 52 फीसदी होता है।
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