बिहार में सड़क पर बेरोजगार; चुनावी राज्यों में रोजगार की हालत !

बिहार में स्टूडेंट्स का विरोध-प्रदर्शन तेज़ होता जा रहा है। आज, 28 जनवरी 2022 को रेलवे ग्रुप डी के उम्मीदवारों ने बिहार बंद का आह्वान किया है। 'बंद' को विपक्षी दलों के महागठबंधन ने समर्थन भी दिया है। इसमें राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस, सीपीआई और सीपीएम शामिल हैं।
स्टूडेंट्स को विपक्षी दलों के साथ-साथ एनडीए के सहयोगियों का भी समर्थन मिला है जिसमें हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) और विकासशील इंसान पार्टी (VIP) शामिल हैं। रेलवे भर्ती नौकरियों के नतीजों में गड़बड़ी को लेकर बिहार बंद के दौरान प्रदर्शन कर रहे स्टूडेंट्स ने सड़कों और हाइवे को जाम कर दिया है।
स्टूडेंट्स के विरोध-प्रदर्शन को दबाने के लिए कथित तौर पर रेल मंत्री ने एक कमेटी का गठन किया है जिसे स्टूडेंट्स ने ख़ारिज कर दिया है। प्रदर्शनकारी स्टूडेंट्स का कहना है कि "राज्यों के चुनाव को लेकर इस कमेटी का गठन किया गया है, ताकि राज्यों के चुनाव के बाद वे (सरकार) अपने मन की कर सकें।" चुनावी राज्यों में बेरोजगारी ! पांच राज्यों में अगर चार प्रमुख राज्यों गोवा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में पांच सालों में बेरोजगारी का आलम देखें तो इन सभी राज्यों में रोजगार लोगों की संख्या घटी है। आसान शब्दों में कहें तो इन चुनावी राज्यों में सितंबर-दिसंबर 2016 के मुक़ाबले सितंबर-दिसंबर 2021 में रोजगार लोगों की संख्या में गिरावट देखी गई है। साथ ही आपको बता दें कि इन पांच साल की अवधि में वर्किंग एज पॉपुलेशन यानि जिनकी उम्र 15 साल से ज़्यादा की है और जो रोजगार की तलाश कर रहे हैं, की संख्या बढ़ी है। गोवा गोवा में सितंबर-दिसंबर 2016 में वर्किंग एज पॉपुलेशन 1,229,000 थी जिनमें 606,000 लोग काम कर रहे थे। इसका मतलब है कि राज्य में 2016 के दौरान रोजगार दर (Employment Rate) 48.31 फीसदी थी। जबकि 2021 में समान अवधि की बात करें तो वर्किंग एज पॉपुलेशन बढ़कर 1,313,000 हो गई लेकिन इनमें सिर्फ 420,000 लोगों को ही रोजगार मिला। मतलब पांच साल में रोजगार दर 48.31 फीसदी से गिरकर करीब 32 फीसदी पर आ गया। आसान भाषा में कहें तो भाजपा सरकार के कार्यकाल में गोवा में शून्य रोजगार पैदा हुए और जिनके पास रोजगार था, वे भी बेरोजगार हो गए। उत्तर प्रदेश चुनावी राज्यों में उत्तर प्रदेश आबादी के हिसाब से देश का सबसे बड़ा राज्य है जहां बेरोजगारों की संख्या बहुत ज़्यादा है। मसलन राज्य में वर्किंग एज पॉपुलेशन 149,570,000 से बढ़कर 170,730,000 हो गई है। इस हिसाब से रोजगार लोगों की संख्या भी बढ़नी चाहिए लेकिन यह पांच साल में घटी है। सितंबर-दिसंबर 2016 में रोजगार लोगों की संख्या राज्य में 57,589,000 थी जो अब सितंबर-दिसंबर 2021 में घटकर 55,976,000 पर आ गई है। इसका मतलब है कि रोजगार दर (Employment Rate) सितंबर-दिसंर 2016 में 38.5 फीसदी से सितंबर-दिसंबर 2021 में गिरकर 32.79 फीसदी पर आ गई है। आसान भाषा में कहें तो योगी सरकार के दौरान उत्तर प्रदेश में रोजगार लोगों की संख्या बढ़ी नहीं बल्कि घटी है जिसका मतलब है कि राज्य में बेरोजगारी दर बढ़ी है। उत्तराखंड उत्तराखंड एक अन्य राज्य है जहां बीजेपी ने मुख्यमंत्री बदल-बदलकर अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। राज्य में वर्किंग एज पॉपुलेशन 8,037,000 से बढ़कर 9,141,000 हो गई है लेकिन इस दरमियान जिस हिसाब से लोगों को रोजगार मिलनी चाहिए, नहीं मिली। राज्य में सितंबर-दिसंबर 2016 में 3,223,000 के मुक़ाबले सितंबर-दिसंबर 2021 में रोजगार लोगों की संख्या गिरकर 2,782,000 पर आ गई। इसका मतलब है कि इस अवधि में रोजगार दर (Employment Rate) 40.1 फीसदी से गिरकर 30.43 फीसदी पर आ गया। आसान भाषा में कहें तो इन पांच साल के दरमियान रोजगार दर में दस फीसदी से ज़्यादा की गिरावट आई जिसका मतलब है कि पांच साल में बेरोजगारी दर उत्तराखंड में बढ़ी है। पंजाब पंजाब उन पांच राज्यों में शामिल है जहां चुनाव होने है लेकिन यह एकमात्र राज्य है जो ग़ैर-भाजपा शासित है। पंजाब में भी मुख्यमंत्री बदला गया है लेकिन राज्य में रोजगार दर की बात करें तो वो घटी है। मसलन सितंबर-दिसंबर 2016 में 23,268,000 के मुक़ाबले सितंबर-दिसंबर 2021 में बढ़कर 25,818,000 हो गया है। इस अवधि में रोजगार लोगों की संख्या में गिरावट आई है। आंकड़ों के मुताबिक़ पंजाब में सितंबर-दिसंबर 2016 में रोजगार लोगों की संख्या 9,837,000 से गिरकर 9,516,000 पर आ गई। इसका मतलब है कि इन पांच साल की अवधि में रोजगार दर (Employment Rate) 42.28 फीसदी से गिरकर 36.86 फीसदी पर आ गया है। आसान भाषा में कहें तो इन पांच साल की अवधि में पंजाब में वर्किंग एज पॉपुलेशन तो बढ़ी है लेकिन रोजगार लोगों की संख्या घटी है, जिसकी वजह से बेरोजगारी दर का बढ़ना स्वाभाविक है।
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स्टूडेंट्स के विरोध-प्रदर्शन को दबाने के लिए कथित तौर पर रेल मंत्री ने एक कमेटी का गठन किया है जिसे स्टूडेंट्स ने ख़ारिज कर दिया है। प्रदर्शनकारी स्टूडेंट्स का कहना है कि "राज्यों के चुनाव को लेकर इस कमेटी का गठन किया गया है, ताकि राज्यों के चुनाव के बाद वे (सरकार) अपने मन की कर सकें।" चुनावी राज्यों में बेरोजगारी ! पांच राज्यों में अगर चार प्रमुख राज्यों गोवा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में पांच सालों में बेरोजगारी का आलम देखें तो इन सभी राज्यों में रोजगार लोगों की संख्या घटी है। आसान शब्दों में कहें तो इन चुनावी राज्यों में सितंबर-दिसंबर 2016 के मुक़ाबले सितंबर-दिसंबर 2021 में रोजगार लोगों की संख्या में गिरावट देखी गई है। साथ ही आपको बता दें कि इन पांच साल की अवधि में वर्किंग एज पॉपुलेशन यानि जिनकी उम्र 15 साल से ज़्यादा की है और जो रोजगार की तलाश कर रहे हैं, की संख्या बढ़ी है। गोवा गोवा में सितंबर-दिसंबर 2016 में वर्किंग एज पॉपुलेशन 1,229,000 थी जिनमें 606,000 लोग काम कर रहे थे। इसका मतलब है कि राज्य में 2016 के दौरान रोजगार दर (Employment Rate) 48.31 फीसदी थी। जबकि 2021 में समान अवधि की बात करें तो वर्किंग एज पॉपुलेशन बढ़कर 1,313,000 हो गई लेकिन इनमें सिर्फ 420,000 लोगों को ही रोजगार मिला। मतलब पांच साल में रोजगार दर 48.31 फीसदी से गिरकर करीब 32 फीसदी पर आ गया। आसान भाषा में कहें तो भाजपा सरकार के कार्यकाल में गोवा में शून्य रोजगार पैदा हुए और जिनके पास रोजगार था, वे भी बेरोजगार हो गए। उत्तर प्रदेश चुनावी राज्यों में उत्तर प्रदेश आबादी के हिसाब से देश का सबसे बड़ा राज्य है जहां बेरोजगारों की संख्या बहुत ज़्यादा है। मसलन राज्य में वर्किंग एज पॉपुलेशन 149,570,000 से बढ़कर 170,730,000 हो गई है। इस हिसाब से रोजगार लोगों की संख्या भी बढ़नी चाहिए लेकिन यह पांच साल में घटी है। सितंबर-दिसंबर 2016 में रोजगार लोगों की संख्या राज्य में 57,589,000 थी जो अब सितंबर-दिसंबर 2021 में घटकर 55,976,000 पर आ गई है। इसका मतलब है कि रोजगार दर (Employment Rate) सितंबर-दिसंर 2016 में 38.5 फीसदी से सितंबर-दिसंबर 2021 में गिरकर 32.79 फीसदी पर आ गई है। आसान भाषा में कहें तो योगी सरकार के दौरान उत्तर प्रदेश में रोजगार लोगों की संख्या बढ़ी नहीं बल्कि घटी है जिसका मतलब है कि राज्य में बेरोजगारी दर बढ़ी है। उत्तराखंड उत्तराखंड एक अन्य राज्य है जहां बीजेपी ने मुख्यमंत्री बदल-बदलकर अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। राज्य में वर्किंग एज पॉपुलेशन 8,037,000 से बढ़कर 9,141,000 हो गई है लेकिन इस दरमियान जिस हिसाब से लोगों को रोजगार मिलनी चाहिए, नहीं मिली। राज्य में सितंबर-दिसंबर 2016 में 3,223,000 के मुक़ाबले सितंबर-दिसंबर 2021 में रोजगार लोगों की संख्या गिरकर 2,782,000 पर आ गई। इसका मतलब है कि इस अवधि में रोजगार दर (Employment Rate) 40.1 फीसदी से गिरकर 30.43 फीसदी पर आ गया। आसान भाषा में कहें तो इन पांच साल के दरमियान रोजगार दर में दस फीसदी से ज़्यादा की गिरावट आई जिसका मतलब है कि पांच साल में बेरोजगारी दर उत्तराखंड में बढ़ी है। पंजाब पंजाब उन पांच राज्यों में शामिल है जहां चुनाव होने है लेकिन यह एकमात्र राज्य है जो ग़ैर-भाजपा शासित है। पंजाब में भी मुख्यमंत्री बदला गया है लेकिन राज्य में रोजगार दर की बात करें तो वो घटी है। मसलन सितंबर-दिसंबर 2016 में 23,268,000 के मुक़ाबले सितंबर-दिसंबर 2021 में बढ़कर 25,818,000 हो गया है। इस अवधि में रोजगार लोगों की संख्या में गिरावट आई है। आंकड़ों के मुताबिक़ पंजाब में सितंबर-दिसंबर 2016 में रोजगार लोगों की संख्या 9,837,000 से गिरकर 9,516,000 पर आ गई। इसका मतलब है कि इन पांच साल की अवधि में रोजगार दर (Employment Rate) 42.28 फीसदी से गिरकर 36.86 फीसदी पर आ गया है। आसान भाषा में कहें तो इन पांच साल की अवधि में पंजाब में वर्किंग एज पॉपुलेशन तो बढ़ी है लेकिन रोजगार लोगों की संख्या घटी है, जिसकी वजह से बेरोजगारी दर का बढ़ना स्वाभाविक है।
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