IAS Cadre Rules में बदलाव कर नौकरशाही के ज़रिये राज्य को कंट्रोल करने की कोशिश !
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केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के बीच आइएएस कैडर रूल-1954 में बदलाव के प्रस्ताव को लेकर ठन गई है। अबतक छाह राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने चिट्ठी लिखकर केन्द्र के इस क़दम का विरोध किया है। राज्य के मुख्यमंत्रियों का कहना है आईएएस (कैडर) नियमों में प्रस्तावित संशोधन से अधिकारियों की नियुक्ति पर केन्द्र सरकार का नियंत्रण बढ़ जाएगा।
इस संशोधन के तहत केन्द्र सरकार को आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की केन्द्रीय नियुक्ति के माध्यम से अधिकारियों के ट्रांसफर के लिए राज्य सरकार के इजाज़त की ज़रूरत नहीं पड़ेगी और केन्द्र अपने हिसाब से स्टेट कैडर के अधिकारियों का ट्रांसफर कर सकेगा।
हालांकि केन्द्र ने अपने इस क़दम का बचाव किया है। केन्द्र की दलील है यह संशोधन अधिकारियों की कमी को ध्यान में रखकर किया जा रहा है, जिसकी वजह से कामकाज़ प्रभावित होता है। 12 जनवरी 2022 को डीओपीटी- डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग की तरफ से सभी राज्यों के चीफ सेक्रेटरी को चिट्ठी लिखकर इस बारे में सूचित किया गया था और अपनी टिप्पणी भेजने का निर्देश दिया गया था। संशोधन की योजना को राज्य सरकारों ने कठोर और देश के फेडरल स्ट्रक्चर को कमज़ोर करने वाला बताया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के भूपेश बधेल, झारखंड के हेमंत सोरेन, तमिलनाडु के एमके स्टालिन और केरल के पिनरई विजयन ने प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिखकर इस प्रस्तावित संशोधन पर रोक लगाने की अपील की है। राज्य सरकार का आरोप है कि इस प्रस्तावित संशोधन से अधिकरियों की नियुक्ति को वीटो करने की राज्य सरकार की शक्ति ख़त्म हो जाएगी। वर्तमान में, राज्य किसी IAS या IPS अधिकारी की केंद्रीय नियुक्ति को वीटो कर सकते हैं, या आपत्ति या नोटिस जारी कर सकते हैं। राज्य सरकारों का आरोप है कि प्रस्तावित संशोधन नौकरशाही पर राज्य के राजनीतिक नियंत्रण को कमज़ोर करेगा। यह प्रभावी शासन को बाधित करेगा और कानूनी और प्रशासनिक विवाद पैदा करेगा। केंद्र एक चुनी हुई राज्य सरकार के खिलाफ नौकरशाही को हथियार बना सकता है। केन्द्र ने प्रस्तावित संशोधन पर अपनी टिप्पणी भेजने के लिए राज्यों को 12 दिनों का वक़्त दिया है, जबकि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। डीओपीटी का कहना है यह संशोधन एआईएस (All India Services) ऑफिसर की कमी को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। डोओपीटी की दलील है कि राज्य की सरकार केन्द्रीय नियुक्ति के लिए पर्याप्त अधिकारियों को प्रायोजित नहीं कर रहे हैं, ऐसे में अधिकारियों की संख्या बाद के लिए पर्याप्त नहीं है। इस प्रस्तावित संशोधन में कहा गया है कि,
हालांकि केन्द्र ने अपने इस क़दम का बचाव किया है। केन्द्र की दलील है यह संशोधन अधिकारियों की कमी को ध्यान में रखकर किया जा रहा है, जिसकी वजह से कामकाज़ प्रभावित होता है। 12 जनवरी 2022 को डीओपीटी- डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग की तरफ से सभी राज्यों के चीफ सेक्रेटरी को चिट्ठी लिखकर इस बारे में सूचित किया गया था और अपनी टिप्पणी भेजने का निर्देश दिया गया था। संशोधन की योजना को राज्य सरकारों ने कठोर और देश के फेडरल स्ट्रक्चर को कमज़ोर करने वाला बताया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के भूपेश बधेल, झारखंड के हेमंत सोरेन, तमिलनाडु के एमके स्टालिन और केरल के पिनरई विजयन ने प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिखकर इस प्रस्तावित संशोधन पर रोक लगाने की अपील की है। राज्य सरकार का आरोप है कि इस प्रस्तावित संशोधन से अधिकरियों की नियुक्ति को वीटो करने की राज्य सरकार की शक्ति ख़त्म हो जाएगी। वर्तमान में, राज्य किसी IAS या IPS अधिकारी की केंद्रीय नियुक्ति को वीटो कर सकते हैं, या आपत्ति या नोटिस जारी कर सकते हैं। राज्य सरकारों का आरोप है कि प्रस्तावित संशोधन नौकरशाही पर राज्य के राजनीतिक नियंत्रण को कमज़ोर करेगा। यह प्रभावी शासन को बाधित करेगा और कानूनी और प्रशासनिक विवाद पैदा करेगा। केंद्र एक चुनी हुई राज्य सरकार के खिलाफ नौकरशाही को हथियार बना सकता है। केन्द्र ने प्रस्तावित संशोधन पर अपनी टिप्पणी भेजने के लिए राज्यों को 12 दिनों का वक़्त दिया है, जबकि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। डीओपीटी का कहना है यह संशोधन एआईएस (All India Services) ऑफिसर की कमी को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। डोओपीटी की दलील है कि राज्य की सरकार केन्द्रीय नियुक्ति के लिए पर्याप्त अधिकारियों को प्रायोजित नहीं कर रहे हैं, ऐसे में अधिकारियों की संख्या बाद के लिए पर्याप्त नहीं है। इस प्रस्तावित संशोधन में कहा गया है कि,
- अगर राज्य सरकार स्टेट कैडर अधिकारियों की नियुक्ति में देरी करती है और केन्द्र सरकार के आदेश का तय समय में पालन नहीं करती है तो उस अधिकारी को केन्द्र सरकार द्वारा तय समय के बाद उस कैडर से हटा दिया जाएगा।
- केन्द्र राज्य के साथ मीटिंग के बाद केन्द्र सरकार में नियुक्त किए जाने वाले वास्तविक अधिकारियों की संख्या तय करेगा।
- केन्द्र और राज्य के बीच किसी भी असहमति के मामले में, केन्द्र सरकार द्वारा तय किया जाएगा और राज्य केन्द्र के फैसले को लागू करेगा।
- कुछ हालात में जहां केन्द्र सरकार द्वारा “जनहित” में कैडर अधिकारियों की सेवाओं की ज़रूरत होती है, तो राज्य सरकार को तय समय के भीतर केन्द्र के फैसले को हरी झण्डी देनी होगी।
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