टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन की चिट्ठी ने फेसबुक की मुश्किलें बढ़ाईं

सत्तारूढ़ दल बीेजेपी और फेसबुक इंडिया की कथित सांठगांठ को लेकर राजनीतिक दल सतर्क हो गए हैं. इस सिलसिले में टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने भी फेसबुक के चेयरमैन मार्क ज़ुकरबर्ग को चिट्ठी लिखकर अपनी आपत्ति दर्ज करा दी है.
सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने अपनी चिट्ठी में कहा है कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने से ठीक कुछ महीने पहले कई फेसबुक पेज और अकाउंट्स को फेसबुक ब्लॉक कर रहा है. यह सीधे-सीधे फेसबुक और भारतीय जनता पार्टी के बीच जारी सांठगांठ की ओर इशारा कर रहा है.
उन्होंने आगे कहा कि फेसबुक इंडिया के वरिष्ठ अधिकारीयों के कई ऐसे सबूत सार्वजनिक मंच पर मौजूद हैं, जो फेसबुक-बीजेपी के बीच सांठगांठ और फेसबुक की ओर से किए जा रहे पक्षपात को साबित करने को काफी हैं. डेरेक ओ ब्रायन ने चिट्ठी में याद दिलाया है कि वो इस मुद्दे को पिछले साल जून में संसद में भी उठा चुके हैं. डेरेक संसदीय कार्यवाही के उस वीडियो को भी चिट्ठी के साथ फेसबुक को भेज रहे हैं. राजनीतिक दलों की ओर से लगातार पहुंच रही चिट्ठियों से फेसबुक की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. सबसे बड़ा सवाल भारत में उसकी विश्वसनीयता को लेकर खड़ा हो गया है क्योंकि फेसबुक इंडिया की शीर्ष अधिकारी अंखी दास पर ही मोदी समर्थक होने और बीजेपी को फायदा पहुंचाने का आरोप लग रहा है. यह मामला फेसबुक के लिए इसलिए भी परेशानी भरा है क्योंकि आईटी मामलों के मंत्री रविशंकर प्रसाद ने फेसबुक कर्मचारियों पर ग़ैर बीजेपी दल का समर्थक होने का आरोप लगाया है. मार्क ज़ुकरबर्ग को भेजी गई चिट्ठी में उन्होंने यह भी साफ किया है कि फेसबुक के कर्मचारियों ने पीएम मोदी के लिए अपशब्द कहे हैं. कांग्रेस नेता शशि थरूर की अगुवाई वाली आईटी मामलों की संसदीय समिति भी इस मामले की जांच में जुटी है. वहीं दिल्ली विधानसभा की भी एक समिति दिल्ली दंगों में फेसबुक की भूमिका की जांच कर रही है. ऐसा लगता है कि आने वाले वक़्त में फेसबुक इंडिया में पारदर्शिता का मुद्दा और तेज़ हो सकता है.
उन्होंने आगे कहा कि फेसबुक इंडिया के वरिष्ठ अधिकारीयों के कई ऐसे सबूत सार्वजनिक मंच पर मौजूद हैं, जो फेसबुक-बीजेपी के बीच सांठगांठ और फेसबुक की ओर से किए जा रहे पक्षपात को साबित करने को काफी हैं. डेरेक ओ ब्रायन ने चिट्ठी में याद दिलाया है कि वो इस मुद्दे को पिछले साल जून में संसद में भी उठा चुके हैं. डेरेक संसदीय कार्यवाही के उस वीडियो को भी चिट्ठी के साथ फेसबुक को भेज रहे हैं. राजनीतिक दलों की ओर से लगातार पहुंच रही चिट्ठियों से फेसबुक की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. सबसे बड़ा सवाल भारत में उसकी विश्वसनीयता को लेकर खड़ा हो गया है क्योंकि फेसबुक इंडिया की शीर्ष अधिकारी अंखी दास पर ही मोदी समर्थक होने और बीजेपी को फायदा पहुंचाने का आरोप लग रहा है. यह मामला फेसबुक के लिए इसलिए भी परेशानी भरा है क्योंकि आईटी मामलों के मंत्री रविशंकर प्रसाद ने फेसबुक कर्मचारियों पर ग़ैर बीजेपी दल का समर्थक होने का आरोप लगाया है. मार्क ज़ुकरबर्ग को भेजी गई चिट्ठी में उन्होंने यह भी साफ किया है कि फेसबुक के कर्मचारियों ने पीएम मोदी के लिए अपशब्द कहे हैं. कांग्रेस नेता शशि थरूर की अगुवाई वाली आईटी मामलों की संसदीय समिति भी इस मामले की जांच में जुटी है. वहीं दिल्ली विधानसभा की भी एक समिति दिल्ली दंगों में फेसबुक की भूमिका की जांच कर रही है. ऐसा लगता है कि आने वाले वक़्त में फेसबुक इंडिया में पारदर्शिता का मुद्दा और तेज़ हो सकता है.
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