R-Count के बढ़ने से देश में गंभीर हो सकते हैं संक्रमण के हालात

भारत में कोरोना संक्रमण के नए मामलों में इज़ाफा देखा जा रहा है. देश में कोरोना के मामले कम हो कर 30,000 तक पहुंच गए थे हालांकि अब फिर कोविड ग्राफ बढ़ रहा है लेकिन इससे भी ज़्यादा परेशान करने वाला है देश में R-count का 1 के पार चला जाना. मिशिगन युनिवर्सिटी के कोविड-19 स्टडी ग्रुप के जारी आंकड़े बताते हैं कि भारत में आर-लेवल 30 जुलाई को 1.01 हो गया है.
इस स्टडी टीम को लीड करने वाली सीताभरा सिन्हा ने इकॉनॉमिक टाइम्स से कहा कि हाल ही के आंकड़े बताते हैं कि भारत का आर-लेवल 1 के पार चला गया है. उन्होंने कहा कि अगर एक्टिव केस की संख्या कुछ सौ के आसपास हो और आर-लेवल 1 के आसपास को तो किसी आउटब्रेक पर काबू पाया जा सकता है.
देश में जब कोरोना की दूसरी लहर चरम पर थी तब 9 मार्च से 21 अप्रैल के बीच आर वेल्यू 1.37 थी. फिर आर-वेल्यू के 24 अप्रैल से 1 मई के बीच 1.18, 29 अप्रैल से 7 मई के बीच 1.11, 9 से 11 मई के बीच लगभग 0.98, 14 मई से 30 मई के बीच 0.82 और 15 मई से 26 जून तक 0.78 होने का अनुमान था हालांकि, आर-वैल्यू फिर 20 जून से 7 जुलाई तक 0.88 और फिर 3-22 जुलाई से 0.95 हो गई.
बता दें कि आर वेल्यू वह दर होती है जिस दर से संक्रमण लोगों के बीच फैलता है. आर-काउंट के 0.95 होने का मतलब है कि औसतन 100 संक्रमित लोग आगे 95 लोगों तक संक्रमण फैलाते हैं. आर-काउंट का 1 से कम होने का मतलब है कि देश में एक्टिव केसों की संख्या पिछले समय के मुकाबले कम है और संक्रमित मामले कम हो रहे हैं.
शोध के आंकड़े बताते हैं कि आठ भारतीय राज्यों में आर-वेल्यू बढ़ी है. इनमें पूर्वोत्तर राज्य, राजधानी दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड शामिल हैं. इन राज्यों में आर-वेल्यू 1 के पार चली गई है. बता दें कि उत्तराखंड में कुंभ मेले का आयोजन किया गया था जिसके बाद से विशेषज्ञों ने राज्य में कोरोना संक्रमण के गंभीर हालात बनने की चिंता जताई थी जबकि दिल्ली से बड़ी संख्या में पर्यटक हिमाचल प्रदेश के हिल स्टेशन पर पहुंचे थे.
आंकड़ों के अनुसार उत्तराखंड में R-count फिलहाल 1.17 है, जबकि दिल्ली और हिमाचल प्रदेश में ये क्रमशः 1.01 और 1.13 है. केरल में आर-वेल्यू सबसे अधिक 1.2 है. इसके अलावा पूर्वोत्तर राज्यों मिजोरम, मेघालय, सिक्किम, मणिपुर में आर-काउंट 1.56, 1.27, 1.26, और 1.08 है.
भारत में फरवरी 17 के आसपास आर वेल्यू 1.01 थी. इसके बाद देश में मार्च के महीने से संक्रमण के मामले बढ़े और विशेषज्ञों ने बढ़ते मामलों को कोरोना की दूसरी लहर कहा.
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