धान की कटाई होते ही पराली जलाना शुरू, रफ़्तार पिछले साल से ज़्यादा

धान की कटाई के साथ ही पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों में पराली जलाना शुरु हो गया है. पंजाब रिमोट सेन्सिंग सेंटर या पीआरएससी के मुताबिक 21 सितंबर को राज्य में 14 जगहों पर पराली जलाने के मामले सामने आए थे जबकि 24 सितंबर को सिर्फ अमृतसर में ही 67 मामले मिले. आंकड़ों के मुताबिक राज्य में अबतक 138 मामले दर्ज हुए हैं और पिछले साल के मुक़ाबले इस साल पराली जलाने की रफ़्तार तेज़ है.
पिछले साल 2019 में 21 से 24 सितंबर तक पंजाब में पराली जलाने के 117 मामले सामने आए थे जबकि इस साल इसी दौरान 138 मामले दर्ज हुए हैं. पिछले साल पंजाब सरकार ने पराली नहीं जलाने वाले किसानों को प्रति एकड़ 2500 रूपये मुआवज़ा देने की घोषणा की थी मगर इस योजना का फायदा कम से कम पांच एकड़ ज़मीन वाले किसानों को मिलता है.
आंकड़े बताते हैं कि इस योजना के तहत पिछले साल नवंबर में 29,343 किसानों को 2500 रूपये का मुआवज़ा दिया गया जबकि मुआवज़े की अर्ज़ी देने वाले किसानों की संख्या 85,000 थी. इसके अलावा पंजाब सरकार ने पराली के निपटान के लिए 75,000 मशीनों का भी इंतज़ाम किया है. आंकड़ों के मुताबिक राज्य में हर साल दो करोड़ टन पराली इकट्ठा होता है लेकिन 80 फीसदी तक पराली खेतों में जला दी जाती है. ऐसे में मशीनों की संख्या बढ़ाए जाने की ज़रूरत है. नेशनल ग्रीन ट्रायब्यूनल ने साल 2015 में पराली के जलाने पर रोक लगा दी थी और राज्य सरकार को मशीनों पर सब्सिडी देने का आदेश दिया था. हालांकि इसके बावजूद राज्य सरकारें पर्याप्त इंतज़ाम कर पाने में नाकाम साबित हुई हैं. कृषि विशेषज्ञ का कहना है कि सरकार को फसल खरीद की तरह ही पराली खरीद की व्यवस्था शुरु करनी चाहिए जिसका इस्तेमाल रिन्वेबल पॉवर प्लांट में ईंधन के रूप में किया जा सकता है या फिर कार्डबोर्ड भी बनाया जा सकता है.
आंकड़े बताते हैं कि इस योजना के तहत पिछले साल नवंबर में 29,343 किसानों को 2500 रूपये का मुआवज़ा दिया गया जबकि मुआवज़े की अर्ज़ी देने वाले किसानों की संख्या 85,000 थी. इसके अलावा पंजाब सरकार ने पराली के निपटान के लिए 75,000 मशीनों का भी इंतज़ाम किया है. आंकड़ों के मुताबिक राज्य में हर साल दो करोड़ टन पराली इकट्ठा होता है लेकिन 80 फीसदी तक पराली खेतों में जला दी जाती है. ऐसे में मशीनों की संख्या बढ़ाए जाने की ज़रूरत है. नेशनल ग्रीन ट्रायब्यूनल ने साल 2015 में पराली के जलाने पर रोक लगा दी थी और राज्य सरकार को मशीनों पर सब्सिडी देने का आदेश दिया था. हालांकि इसके बावजूद राज्य सरकारें पर्याप्त इंतज़ाम कर पाने में नाकाम साबित हुई हैं. कृषि विशेषज्ञ का कहना है कि सरकार को फसल खरीद की तरह ही पराली खरीद की व्यवस्था शुरु करनी चाहिए जिसका इस्तेमाल रिन्वेबल पॉवर प्लांट में ईंधन के रूप में किया जा सकता है या फिर कार्डबोर्ड भी बनाया जा सकता है.
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