क्रिकेट के लिटिल स्टार सुनिल गावस्कर की कहानी

क्रिकेट के लिटिल मास्टर को सालगिरह मुबारक। सबसे पहले आपसे तीन सवाल।
आपने सुनील गावस्कर की ऑटो बायोग्राफी ‘सनी डेज़’ पढ़ी है ? पहले चैप्टर की पहली लाइन से आख़री चैप्टर की आख़री लाइन तक वैसा ही मज़ा आएगा, जैसा उनकी बैटिंग देखने में आता था। पहला चैप्टर तो स्कूल में पढ़ाया भी जाता है कि कैसे अस्पताल में कुछ बच्चे बदल गए थे और गावस्कर एक मछुआरे के बच्चे से बदल गए थे। फिर गावस्कर की बायीं कान में एक-एक छोटा सा छेद था जिसे उनके अंकल ने पहले देख लिया था और उन्हें मछुआरे से वापस लाया गया। वरना वो क्रिकेटर ना बन कर कहीं मछली मार रहे होते। वीडियो देखिए क्रिकेट की दुनिया उन्हें अलग-अलग नामों से जानती है। लिटिल मास्टर, सनी, सनी भाई, सुनिल सर, सुनिल गावस्कर और वेस्ट इंडीज़ में ‘गावस्का’। वेस्ट इंडीज़ में तो गावस्कर आज भी इतने पॉपुलर हैं कि उनके सड़क पर निकलते ही लोग उन्हें घेर लेते हैं। गावस्कर वेस्ट इंडीज़ में आउट ही नहीं होते थे। किलिस्पो सिंर विलार्ड ने गाना गाया ‘We could’t out Gavaska at all’. उस वक़्त वेस्ट इंडीज़ की टीम में एक से एक ख़तरनाक तेज़ गेंदबाज़ थे और गावस्कर बिना हेल्मेट खेलते थे। इसकी भी एक कहानी है कि आख़िर गावस्कर हेल्मेट क्यों नहीं पहनते थे। गावस्कर ने लिखा है कि उन्हें पढ़ने की आदत थी और लेट के पढ़ने की वजह से गर्दन में हल्का दर्द रहता था। हेल्मेट पहनने से दर्द होता था और दूसरी बात जो ज़्यादा टेक्निकल है- वो मानते थे कि हेल्मेट पहन लेने से उनकी बॉडी का बैलेन्स बिगड़ता था। विरेंद्र सहवाग कहते हैं कि गावस्कर ने बिना हेल्मेट पहने जिस तरह से खेला है वो काम आज सारे इक्वीपमेंट के साथ भी मुश्किल है। अगर क्रिकेट कोई फ़िल्म होती तो गावस्कर उसके ‘शोले’ होते। गावस्कर के रिकॉर्ड्स देख कर आज भी बड़े-बड़े खिलाड़ियों के होश ठिकाने आ जाते हैं और क्रिकेट में दिलचस्पी रखने वालों को ये याद है।
- पहला सवाल- जब गावस्कर ने पहला टेस्ट मैच और पहला ओडीआई खेला था तो इंडिया का कप्तान कौन था ?
- दूसरा सवाल- क्या आपको मालूम है कि गावस्कर ने टेस्ट और वन डे में कुल कितने विकेट लिए हैं ?
- तीसरा सवाल- सुनील गावस्कर ने अपने बेटे का नाम रोहन क्यों रखा ?
आपने सुनील गावस्कर की ऑटो बायोग्राफी ‘सनी डेज़’ पढ़ी है ? पहले चैप्टर की पहली लाइन से आख़री चैप्टर की आख़री लाइन तक वैसा ही मज़ा आएगा, जैसा उनकी बैटिंग देखने में आता था। पहला चैप्टर तो स्कूल में पढ़ाया भी जाता है कि कैसे अस्पताल में कुछ बच्चे बदल गए थे और गावस्कर एक मछुआरे के बच्चे से बदल गए थे। फिर गावस्कर की बायीं कान में एक-एक छोटा सा छेद था जिसे उनके अंकल ने पहले देख लिया था और उन्हें मछुआरे से वापस लाया गया। वरना वो क्रिकेटर ना बन कर कहीं मछली मार रहे होते। वीडियो देखिए क्रिकेट की दुनिया उन्हें अलग-अलग नामों से जानती है। लिटिल मास्टर, सनी, सनी भाई, सुनिल सर, सुनिल गावस्कर और वेस्ट इंडीज़ में ‘गावस्का’। वेस्ट इंडीज़ में तो गावस्कर आज भी इतने पॉपुलर हैं कि उनके सड़क पर निकलते ही लोग उन्हें घेर लेते हैं। गावस्कर वेस्ट इंडीज़ में आउट ही नहीं होते थे। किलिस्पो सिंर विलार्ड ने गाना गाया ‘We could’t out Gavaska at all’. उस वक़्त वेस्ट इंडीज़ की टीम में एक से एक ख़तरनाक तेज़ गेंदबाज़ थे और गावस्कर बिना हेल्मेट खेलते थे। इसकी भी एक कहानी है कि आख़िर गावस्कर हेल्मेट क्यों नहीं पहनते थे। गावस्कर ने लिखा है कि उन्हें पढ़ने की आदत थी और लेट के पढ़ने की वजह से गर्दन में हल्का दर्द रहता था। हेल्मेट पहनने से दर्द होता था और दूसरी बात जो ज़्यादा टेक्निकल है- वो मानते थे कि हेल्मेट पहन लेने से उनकी बॉडी का बैलेन्स बिगड़ता था। विरेंद्र सहवाग कहते हैं कि गावस्कर ने बिना हेल्मेट पहने जिस तरह से खेला है वो काम आज सारे इक्वीपमेंट के साथ भी मुश्किल है। अगर क्रिकेट कोई फ़िल्म होती तो गावस्कर उसके ‘शोले’ होते। गावस्कर के रिकॉर्ड्स देख कर आज भी बड़े-बड़े खिलाड़ियों के होश ठिकाने आ जाते हैं और क्रिकेट में दिलचस्पी रखने वालों को ये याद है।
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