सोशल मीडिया पर कोरोना से जुड़े भ्रामक पोस्ट की भरमार, क्यों नहीं हटाए जाते मेसेज?

by GoNews Desk 2 years ago Views 2967

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भारत में कोरोना रोधी वैक्सीन की कमी के बीच आम लोग देशी  नुस्खे अपना कर खुद को संक्रमण से सुरक्षित रखने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में लोग बड़ीं संख्या में कोरोना से जुड़ी झूठी जानकारी और इसे ठीक करने के गलत नुस्खों के शिकार भी हो रहे हैं. भारत में फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म से धड़ल्ले से कोरोना का इलाज करने वाली भ्रामक दवाओं की जानकारी साझा की जा रही है.

उस पर हैरानी की बात ये है कि लोग लाखों की संख्या में ऐसी जानकारियों को फॉलो भी करते हैं. ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल से मई के महीने के बीच सोशल मी़डिया पर 150 ऐसी  पोस्ट की गई हैं जिनमें संक्रमण के इलाज के देशी नुस्खे बताए गए थे. इन्हें 10 करोड़ से अधिक लोग फॉलो भी कर रहे थे. उस पर आलम ये है कि जून तक इन पोस्ट में सिर्फ 10 पोस्ट को ही हटाया गया था उन पर झूठी जानकारी का लेबल लगाया गया. इसी तरह ट्विटर पर भी एक हफ्ते में ऐसे 60 दावे किए गए जिन्हें 33 लाख लोग फॉलो कर रहे थे. 

ऐसे दावे हिंदी भाषा में अधिक किए जाते हैं क्योंकि सोशल मीडिया कंपनियों के पास हिंदी भाषा के फैक्ट चेक के लिए कोई ठोस सिस्टम नहीं है. कई फैक्ट चेक संस्थानों का मानना है कि फेसबुक जैसी सोशल मीडिया कंपनियों को झूठी जानकारियों और दावों से लड़ने के लिए अधिक स्टाफ की ज़रूरत है लेकिन मुनाफा कमाने के कारण ऐसा हो नहीं पाता है.

इसका कारण ये है कि अमेरिका और भारत में विज्ञापनों की कीमतों में अंतर है. यहां कंपनियों को एड से रेवेन्यू नहीं मिल पाता है. ऐसे में कंपनियां स्टाफ में निवेश करने में रूचि नहीं लेती और नतीजतन पोस्ट फिल्टर नहीं हो पाती.  

केंद्र सरकार हालांकि अब इस तरह की जानकारियों को लेकर सख्त होती नज़र आ रही है.  बीते महींने मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स और इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ने सोशल मीडिया कंपनियों को निर्देश दिया था कि वह अपने पेज से ऐसे मेसेज को हटाए जो कोरोना के बारे में गलत और भ्रामक जानकारियां फैला रहे हैं.

गौरतलब है कि स्वतंत्र शोध परियोजना ल्यूमेन डेटाबेस के मुताबिक ट्विटर ने ऐसी 50 पोस्ट प्लेटफॉर्म से हटाई हैं. इसमें आम लोगों के साथ बड़ी हस्तियों, नेताओं और सांसदों के किए गए पोस्ट भी शामिल हैं. ये हैरान करने वाला है कि बड़े नेता भी कोरोना से जुड़े भ्रामक दावों को पोस्ट करते हैं.

इंद्रदेवजी महाराज नाम के स्वामी ने यूट्यूब पर  दावा किया कि भाप लेने से कोरोना नहीं होगा. उन्होंने इस वीडियो में कहा कि पूरे परिवार के भाप लेने से ये शरीर को बिना मास्क और सेनेटाइजर के ही अंदर से सेनेटाइज करेगा और फेफड़े ठीक हो जाएंगे जबकि WHO ने इसे लेकर चेतावनी जारी की थी और कई अध्ययनों में इसे खतरनाक भी बताया गया था. 

कोरोना से जुड़े भ्रामक और गलत दावे करने में पतंजलि के रामदेव भी पीछे नहीं है. सोशल मीडिया पर उनकी ठीक से सांस न लेने वालों के लिए पोस्ट करोड़ों लोगों ने देखी थी. वह अपनी कंपनी की बनाई दवा कोरोनिल से भी कोरोना के इलाज का दावा कर चुके हैं जिसके कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है.

ऑक्सफोर्ड की रिसर्च फेलो सुमित्रा बद्रीनाथन के मुताबिक सोशल मीडिया पर रामदेव की मौजूदगी करोड़ो डॉलर का सवाल है ऐसे में फेसबुक  भी उनके भ्रामक दावों वाली पोस्ट को हटा नहीं पाता है.
 

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