कोरोना से पहले संक्रमित हुए लोगों पर टीके की एक ही खुराक कारगर : स्टडी

एक तरफ़ कोरोना लगातार अपने पैर पसार रहा है तो वहीं दूसरी तरफ़ दुनियाभर में कोरोना की वैक्सीन को लेकर कई अध्ययन भी चल रहे हैं और नई-नई बातें सामने आ रही हैं। अभी तक ऐसा ही माना जा रहा है कि कोरोना के ख़िलाफ़ एंटीबॉडी बनाने के लिए वैक्सीन के दो डोज ज़रूरी हैं। लेकिन अब एक स्टडी में नई बात सामने आई है और वो यह कि जो लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं, उनके ऊपर वैक्सीन की एक डोज ही काफी है और वैक्सीन की एक डोज ही कोरोना के ख़िलाफ़ पर्याप्त प्रोटेक्शन देने में कारगर है।
इस स्टडी को लंदन के इंपीरियल कॉलेज, क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी कॉलेज के वैज्ञानिकों ने मिलकर किया है। ये स्टडी एक साइंस जर्नल में छपी है। स्टडी में दावा है कि जो लोग कोरोना से संक्रमित हुए थे, उनमें वैक्सीन के एक डोज से ही पर्याप्त एंटीबॉडी बन गई। वैज्ञानिकों ने ये स्टडी दक्षिण अफ्रीकी वैरिएंट पर की थी। उन्हें उम्मीद है कि यह ब्राजील वैरिएंट (P.1) और इंडियन वैरिएंट (B.1.617 और B.1.618) पर भी असरकारक हो सकता है।
स्टडी के लिए वैज्ञानिकों ने फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन का इस्तेमाल किया। उन्होंने पाया कि जो लोग पहले कोरोना संक्रमित हो चुके थे और जिनमें कोरोना के मामूली लक्षण थे या लक्षण थे ही नहीं, उनमें वैक्सीन का एक ही डोज केंट और दक्षिणी अफ्रीकी वैरिएंट के ख़िलाफ़ असरदार दिखा। वहीं, जो लोग कोरोना से पहले संक्रमित नहीं हुए थे, उनमें पहले डोज के बाद इम्यूनिटी कम थी और उनके वायरस से संक्रमित होने का ख़तरा था। इंपीरियल कॉलेज के प्रोफेसर रोजमेर बॉयटन ने बताया, "हमारी स्टडी में सामने आया है कि जिन लोगों को वैक्सीन की पहली डोज लगी और जिन्हें पहले संक्रमण नहीं हुआ था, उन्हें कोरोना के नए स्ट्रेन से संक्रमित होने का खतरा है।" उन्होंने कहा कि इसलिए लोगों को वैक्सीन का दूसरा डोज लेना जरूरी है। उन्होंने कहा कि "कोरोना के नए-नए स्ट्रेन सामने आ रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को वैक्सीन लगाई जाए। इसलिए जो लोग कोरोना से ठीक हो चुके हैं, उन्हें वैक्सीन की एक डोज ही लगाकर इम्यून किया जा सकता है।"
साथ ही उन्होंने कहा कि यह अध्ययन लोगों को कोरोना वायरस से पूर्ण सुरक्षा देने के लिए टीके की दूसरी खुराक लेने की अहमियत को भी रेखांकित करता है।
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स्टडी के लिए वैज्ञानिकों ने फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन का इस्तेमाल किया। उन्होंने पाया कि जो लोग पहले कोरोना संक्रमित हो चुके थे और जिनमें कोरोना के मामूली लक्षण थे या लक्षण थे ही नहीं, उनमें वैक्सीन का एक ही डोज केंट और दक्षिणी अफ्रीकी वैरिएंट के ख़िलाफ़ असरदार दिखा। वहीं, जो लोग कोरोना से पहले संक्रमित नहीं हुए थे, उनमें पहले डोज के बाद इम्यूनिटी कम थी और उनके वायरस से संक्रमित होने का ख़तरा था। इंपीरियल कॉलेज के प्रोफेसर रोजमेर बॉयटन ने बताया, "हमारी स्टडी में सामने आया है कि जिन लोगों को वैक्सीन की पहली डोज लगी और जिन्हें पहले संक्रमण नहीं हुआ था, उन्हें कोरोना के नए स्ट्रेन से संक्रमित होने का खतरा है।" उन्होंने कहा कि इसलिए लोगों को वैक्सीन का दूसरा डोज लेना जरूरी है। उन्होंने कहा कि "कोरोना के नए-नए स्ट्रेन सामने आ रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को वैक्सीन लगाई जाए। इसलिए जो लोग कोरोना से ठीक हो चुके हैं, उन्हें वैक्सीन की एक डोज ही लगाकर इम्यून किया जा सकता है।"
साथ ही उन्होंने कहा कि यह अध्ययन लोगों को कोरोना वायरस से पूर्ण सुरक्षा देने के लिए टीके की दूसरी खुराक लेने की अहमियत को भी रेखांकित करता है।
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