केंद्र ने नहीं दी तब्लीग़ी जमात के बारे में ग़लत रिपोर्टिंग करने वालों पर कार्रवाई की जानकारी, सुप्रीम कोर्ट नाराज़

सुप्रीम कोर्ट ने तब्लीग़ी जमात को लेकर केन्द्र द्वारा दाख़िल हलफनामे पर चिंता जताई है। कोर्ट ने केन्द्र से इस मामले में ग़लत रिपोर्टिंग करने वाले मीडिया चैनलों के ख़िलाफ की गई कार्रवाई का ब्योरा मांगा था। मामले की सुनवाई कर रहे सीजेआई एसए बोबड़े ने कहा कि ‘हम हलफनामे से संतुष्ट नहीं हैं।’
सीजेआई ने केन्द्र सरकार को कहा, ‘हमने आपको यह बताने के लिए कहा था कि आपने केबल टीवी अधिनियम के तहत क्या किया है? हलफनामे में इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। हमें आपको बताना चाहिए कि हम इन मामलों में केन्द्र के हलफनामे से निराश हैं।’
सीजेआई एसए बोबड़े ने कहा, ‘जब आपके (केन्द्र के) पास अधिकार है तो हम एनबीएसए को इस मामले में कार्रवाई के लिए क्यों कहें? अगर कुछ नहीं होता तो आप एक अथॉरिटी बनाइए, नहीं तो हम इसे किसी बाहरी एजेंसी को सौंप देंगे।’ सुप्रीम कोर्ट सांप्रदायिक प्रोपेगेंडा फैलाने वाले मीडिया संस्थानों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि तब्लीग़ी जमात को लेकर कई टीवी चैनलों ने एक मुहिम के तहत सांप्रदायिक दुष्प्रचार किया। इसको लेकर कोर्ट ने केन्द्र से केबल टीवी नेटवर्क (रेगुलेशन) एक्ट-1995 के तहत ऐसे चैनलों के ख़िलाफ़ की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी थी। मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केन्द्र ने इस तरह की कोई जानकारी अपनी हलफनामे में नहीं दी। साथ ही केबल टीवी एक्ट को लेकर भी कोई ख़ास जवाब केन्द्र की तरफ से नहीं दिया गया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट के सामने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कंटेंट के रेगुलेट करने के लिए नियम नहीं है। इसको लेकर कोर्ट ने तीख़े लफ्ज़ों में कहा कि, ‘अगर कोई मैकेनिज़्म नहीं है तो बनाइए।’ इससे पहले 18 अक्टूबर को भी कोर्ट ने हलफनामें में जानकारी नहीं होने को लेकर केन्द्र को खड़ी-खोटी सुनाई थी। इसके बाद ही केन्द्र ने सोमवार को एक अन्य हलफनामा दाख़िल किया था जिसपर कोर्ट ने फिर असंतोष जताया। अब एक बार फिर हलफनामा दाख़िल करने के लिए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तीन हफ़्ते की मोहलत मांगी है। मीडिया रेगुलेशन को लेकर हाल के दिनों में बहस छिड़ी हुई है। रिपोर्टिंग के तरीके और कंटेंट की अश्लीलता को लेकर न्यूज़ चैनल लगातार विवादों में हैं। चाहे वो सुशांत की आत्महत्या का मामला हो, तब्लीग़ी जमात या फिर सुदर्शन टीवी के कथित ‘यूपीएससी जिहाद’ कार्यक्रम का मामला, पूरे मीडिया जगत को आलोचना झेलनी पड़ी है।
सीजेआई एसए बोबड़े ने कहा, ‘जब आपके (केन्द्र के) पास अधिकार है तो हम एनबीएसए को इस मामले में कार्रवाई के लिए क्यों कहें? अगर कुछ नहीं होता तो आप एक अथॉरिटी बनाइए, नहीं तो हम इसे किसी बाहरी एजेंसी को सौंप देंगे।’ सुप्रीम कोर्ट सांप्रदायिक प्रोपेगेंडा फैलाने वाले मीडिया संस्थानों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि तब्लीग़ी जमात को लेकर कई टीवी चैनलों ने एक मुहिम के तहत सांप्रदायिक दुष्प्रचार किया। इसको लेकर कोर्ट ने केन्द्र से केबल टीवी नेटवर्क (रेगुलेशन) एक्ट-1995 के तहत ऐसे चैनलों के ख़िलाफ़ की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी थी। मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केन्द्र ने इस तरह की कोई जानकारी अपनी हलफनामे में नहीं दी। साथ ही केबल टीवी एक्ट को लेकर भी कोई ख़ास जवाब केन्द्र की तरफ से नहीं दिया गया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट के सामने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कंटेंट के रेगुलेट करने के लिए नियम नहीं है। इसको लेकर कोर्ट ने तीख़े लफ्ज़ों में कहा कि, ‘अगर कोई मैकेनिज़्म नहीं है तो बनाइए।’ इससे पहले 18 अक्टूबर को भी कोर्ट ने हलफनामें में जानकारी नहीं होने को लेकर केन्द्र को खड़ी-खोटी सुनाई थी। इसके बाद ही केन्द्र ने सोमवार को एक अन्य हलफनामा दाख़िल किया था जिसपर कोर्ट ने फिर असंतोष जताया। अब एक बार फिर हलफनामा दाख़िल करने के लिए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तीन हफ़्ते की मोहलत मांगी है। मीडिया रेगुलेशन को लेकर हाल के दिनों में बहस छिड़ी हुई है। रिपोर्टिंग के तरीके और कंटेंट की अश्लीलता को लेकर न्यूज़ चैनल लगातार विवादों में हैं। चाहे वो सुशांत की आत्महत्या का मामला हो, तब्लीग़ी जमात या फिर सुदर्शन टीवी के कथित ‘यूपीएससी जिहाद’ कार्यक्रम का मामला, पूरे मीडिया जगत को आलोचना झेलनी पड़ी है।
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