'किसान आंदोलन' के निशाने पर आये रिलायंस समूह को भारी नुकसान
जानकारों के मुताबिक अगर किसान आंदोलन में जन भागीदारी बढ़ती है और यह लंबे समय तक चलता है तो रिलायंस को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ महीनों से जारी किसान आंदोलन न सिर्फ सरकार बल्कि रिलायंस के मालिक मुकेश अंबानी के लिए भी समस्या बन चुका है। दरअसल, प्रर्दशनकारी किसानों का मानना है कि इन विवादित कानूनों को सरकार मुकेश अंबानी और गौतम अडानी जैसे उद्योगपतियों को फ़ायदा पहुंचाने के लिए लायी है।
किसान कई बड़े कॉर्पोरेट घरानों के बहिष्कार का ऐलान कर चुके हैं और उनके सबसे बड़े प्रतीक के रूप में रिलायंस और उसके मालिक मुकेश अंबानी निशाने पर हैं। हालाँकि रिलायंस ने सफ़ाई दी है कि नए कृषि कानूनों से उसका कोई वास्ता नहीं है लेकिन किसान भरोसा करने को तैयार नहीं हैं।
अंतर्राष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसी रायटर्स ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि नये कृषि कानूनों के खिलाफ़ तीन महीने से ज्यादा समय से चल रहे आंदोलन के चलते रिलायंस इंडस्ट्रीज के दर्जनों रिटेल स्टोर बंद हैं जिससे कंपनी को करोड़ो रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है । अक्टूबर के बाद से, पंजाब के टॉप रिटेलर में शामिल रिलायंस रिटेल के लगभग 100 से अधिक स्टोर में से आधे, और विरोध प्रदर्शन का केंद्र, बठिंडा जिले में वॉलमार्ट का 50,000 वर्ग फुट में फैला स्टोर पूरी तरह बंद है। दरअसल, यह सभी स्टोर किसानों द्वारा संभावित हिंसा के चलते बंद किये गये हैं। एजेंसी के मुताबिक रिलायंस के स्टोर पूरे राज्य में बंद होने से नुकसान का अनुमान लाखों डॉलर यानी कई करोड़ रुपए में है जबकि वॉलमार्ट को अनुमानित 80 लाख डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ है। वॉलमार्ट के देश में 29 स्टोर हैं। इससे पहले दिसंबर में, विरोध प्रदर्शनों ने रिलायंस जियो के लगभग 2,000 टॉवरों और कंपनी के कई पेट्रोल पंपों को भी बाधित कर दिया था। उससे पहले किसानों की ओर से जियो सिम और रिलायंस के म्यूजिक एप के बहिषकार का ऐलान हुआ था। किसान अपना रोष जताने के लिए जगह जगह न सिर्फ सिम जला रहे हैं, बल्कि बाकायदा सोशल मीडिया पर 'बायकाट जियो' और 'पोर्ट जियो' के अभियान चला रहे हैं। इन नामों से बने हैशटैग वायरल हो रहे हैं। कई उपयोगकर्ताओं ने अपने Jio मोबाइल नेटवर्क और Jio Fibernet कनेक्शन को रद्द करने के बारे में सोशल मीडिया पर पोस्ट करना शुरू कर दिया। उन्होंने पोर्टिंग और सिम रद्द करने के अनुरोध के स्क्रीनशॉट पोस्ट किए और दूसरों से भी ऐसा करने का आग्रह किया। नवंबर में, विरोध प्रदर्शनों के चलते पंजाब में कारोबार को 4 बिलियन डॉलर के आर्थिक नुकसान का अनुमान लगाया गया है, जबकि एक उद्योगों पर नज़र रखने वाली एक संस्था ने इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को 9.6 बिलियन डॉलर के कुल नुकसान का अनुमान लगाया है। जानकारों के मुताबिक अगर किसान आंदोलन में जन भागीदारी बढ़ती है और यह लंबे समय तक चलता है तो रिलायंस को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
अंतर्राष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसी रायटर्स ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि नये कृषि कानूनों के खिलाफ़ तीन महीने से ज्यादा समय से चल रहे आंदोलन के चलते रिलायंस इंडस्ट्रीज के दर्जनों रिटेल स्टोर बंद हैं जिससे कंपनी को करोड़ो रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है । अक्टूबर के बाद से, पंजाब के टॉप रिटेलर में शामिल रिलायंस रिटेल के लगभग 100 से अधिक स्टोर में से आधे, और विरोध प्रदर्शन का केंद्र, बठिंडा जिले में वॉलमार्ट का 50,000 वर्ग फुट में फैला स्टोर पूरी तरह बंद है। दरअसल, यह सभी स्टोर किसानों द्वारा संभावित हिंसा के चलते बंद किये गये हैं। एजेंसी के मुताबिक रिलायंस के स्टोर पूरे राज्य में बंद होने से नुकसान का अनुमान लाखों डॉलर यानी कई करोड़ रुपए में है जबकि वॉलमार्ट को अनुमानित 80 लाख डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ है। वॉलमार्ट के देश में 29 स्टोर हैं। इससे पहले दिसंबर में, विरोध प्रदर्शनों ने रिलायंस जियो के लगभग 2,000 टॉवरों और कंपनी के कई पेट्रोल पंपों को भी बाधित कर दिया था। उससे पहले किसानों की ओर से जियो सिम और रिलायंस के म्यूजिक एप के बहिषकार का ऐलान हुआ था। किसान अपना रोष जताने के लिए जगह जगह न सिर्फ सिम जला रहे हैं, बल्कि बाकायदा सोशल मीडिया पर 'बायकाट जियो' और 'पोर्ट जियो' के अभियान चला रहे हैं। इन नामों से बने हैशटैग वायरल हो रहे हैं। कई उपयोगकर्ताओं ने अपने Jio मोबाइल नेटवर्क और Jio Fibernet कनेक्शन को रद्द करने के बारे में सोशल मीडिया पर पोस्ट करना शुरू कर दिया। उन्होंने पोर्टिंग और सिम रद्द करने के अनुरोध के स्क्रीनशॉट पोस्ट किए और दूसरों से भी ऐसा करने का आग्रह किया। नवंबर में, विरोध प्रदर्शनों के चलते पंजाब में कारोबार को 4 बिलियन डॉलर के आर्थिक नुकसान का अनुमान लगाया गया है, जबकि एक उद्योगों पर नज़र रखने वाली एक संस्था ने इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को 9.6 बिलियन डॉलर के कुल नुकसान का अनुमान लगाया है। जानकारों के मुताबिक अगर किसान आंदोलन में जन भागीदारी बढ़ती है और यह लंबे समय तक चलता है तो रिलायंस को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
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