लड़कियों की शादी की उम्र 21 साल करने का प्रस्ताव !

by GoNews Desk 1 year ago Views 3134

Legal marriage Age for girls

भारत में लड़कियों की शादी की लीगल एज जल्द ही 18 साल से बढ़ाकर 21 साल की जा सकती है। इस प्रस्ताव को बुधवार को कैबिनेट की मंज़ूरी मिल चुकी है। कहा जा रहा है कि सरकार अब बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 और कुछ निजी विवाह कानून जैसे हिंदु मैरिज ऐक्ट आदि और स्पेशल मैरिज एक्ट में संशोधन कर इस प्रस्ताव को क़ानून की शक्ल देगी। हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के मुताबिक महिलाओं और पुरूषों में शादी की न्यूनतम उम्र 18 और 21 साल होंनी चाहिए। अंतर्जातीय जोड़े को विवाह की अनुमति देने वाले विशेष विवाह अधिनियम, 1954 में भी यही नियम है 

महिलाओं की शादी की उम्र को बढ़ाया जाएगा जबकि पुरूषों के लिए इस क़ानून में कोई बदलाव नहीं होगा। ऐसे में भारत में महिलाओं और पुरूषों की शादी की लीगल एज 21 साल हो जाएगी। कैबिनेट का यह प्रस्ताव जय जेटली कमेटी द्वारा नीति आयोग को दी गई सिफ़ारिश पर आधारित है। इस कमेटी का काम “मां बनने की उम्र, मांओं के बीच मौत की दर को कम करने, पोषण स्तर में सुधार और इससे जुड़े मुद्दों” का विश्लेषण करना था।
 

हाल ही में जारी NFHS के आंकड़े बताते हैं कि देश में प्रजनन दर कम हो रही है जबकि बाल विवाह भी 2015-16 के मुक़ाबले 27 फ़ीसदी से कम हो कर 23 प्रतिशत पर आ गए हैं। इन आंकड़ों के हवाले से कमेटी का नेतृत्व कर रही जया जेटली ने कहा कि सिफ़ारिश का मक़्सद प्रजनन दर को नियंत्रित करना नहीं है बल्कि यह पहले से ही कम हो रही है। इन सिफ़ारिशों का उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना है। 

बता दें कि भारत में 1978 तक महिलाओं की शादी की न्यूनतम वैध उम्र 15 साल थी जिसे तत्कालीन शारदा अधिनियम, 1929 में संशोधन के जरिए बढ़ाकर 18 साल कर दिया गया था। 'बाल विवाह प्रतिबन्ध अधिनियम, 1929 अधिनियम 1 अप्रैल 1930 को ब्रिटिश भारत के लोगों के लिए लागू हुआ था जिसके तहत लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 14 और लड़कों की 18 थी। इसमें फिर संशोधन किया गया और महिलाओं और पुरूषों की शादी की उम्र बढ़ा दी गई। 

इस संशोधन के स्पॉन्सर  हरविलास शारदा थे जिनके नाम पर इसे 'शारदा अधिनियम' के नाम से जाना जाता है। जया जेटली कमेटी का कहना है कि उन्होंने महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ाने की सिफ़ारिश 16 यूनिवर्सिटी के युवाओं और 15 NGO द्वारा मिले फीडबैक के आधार पर लिया गया है जिसमें कहा गया था कि शादी की उम्र 22-23 साल होंनी चाहिए हालांकि इस प्रस्ताव का एक वर्ग विरोध भी कर रहा है। 

महिला और बाल अधिकार कार्यकर्ता और फैमिली प्लानिंग एक्सपर्ट विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाओं की लीगल मैरिज एज बढ़ाने से ग़ैर-क़ानूनी विवाह में इज़ाफा होगा और इससे हाशिए पर मौजूद समुदाय क़ानून तोड़ने वाले प्रतीत होंगे।

कार्यकर्ता और CPM नेता कविता कृष्णन ने इस प्रस्ताव को ‘परेशानी से भरा’ बताया है। उनका कहना है कि ऐसा महिलाओं की स्वतंत्रता को और ज़्यादा नियंत्रित करने के लिए किया गया है। पहले से महिलाओं की शादी के अधिकार पर हमला किया जा चुका है और इस प्रस्ताव से यह हमला और बढ़ जाएगा क्योंकि अब लड़कियों को शादी करने से रोकने के लिए क़ानून भी होगा। 
 
 

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