लॉकडाउन: मई 2020 की तुलना में इस साल बिजली का उत्पादन और गिरा

प्रमुख संकेतकों से पता चलता है कि पिछले साल राष्ट्रीय लॉकडाउन के बाद से देश की आर्थिक गतिविधियां अभी भी पूरी तौर से पटरी पर नहीं लौट सकी है। हालिया एक रिपोर्ट से पता चला है कि पिछले हफ्ते बिजली का उत्पादन पिछले साल की तुलना में और नीचे गिर गया है। इससे यह ज़ाहिर होता है कि लॉकडाउन से आर्थिक गतिविधियों में निरंतर गिरावट जारी है।
इस साल राज्यों में लॉकडाउन लागू करने से पहले बिजली उत्पादन अपने चरम पर था। इस दौरान प्रति दिन 4200 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन हो रहा था। लेकिन राज्यों के पाबंदियां लगाने के बाद यह 23 फीसदी कम हो गया है जो मार्च 2020 में लॉकडाउन की घोषणा के तुरंत बाद गिरावट से बहुत अलग नहीं है।
मसलन इस साल मई महीने के दूसरे हफ्ते के दौरान प्रति दिन बिजली का उत्पादन 3,391.1 मिलियन यूनिट रहा। जबकि पिछले साल यह 3,506.1 मिलियन यूनिट रहा था। उससे भी पहले अगर साल 2019 में मई महीने में प्रति दिन बिजली उत्पादन की बात करें तो यह 4,008.1 मिलियन यूनिट रहा था।
बिजली उत्पादन में आई इस गिरावट की मुख्य वजह लॉकडाउव से कारोबार और उद्योग धंधों का बंद होना है। ऐसे में यह साफ है कि देश की आर्थिक गतिविधियों पर कोरोना संक्रमण की पहली लहर से ज़्यादा दूसरी लहर कहर बरपा रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक़ कुल बिजली की मांग का 41.16 फीसदी औद्योगिक और 17.69 फीसदी कृषि खपत है। इनके अलावा बिजली की कुल मांग का 8.24 फीसदी कॉमर्शियल इस्तेमाल होता है।
जानकार बताते हैं कि पाबंदियों की वजह से औद्योगिक गतिविधियां धीमी पड़ी है, यही वजह है कि बिजली का उत्पादन भी कम हुआ है। अब औद्योगिक गतिविधियां कम होने से देश में बेरोजगारी की समस्या भी पैदा हो गई है। अगर सीएमआइई के आंकड़े देखें तो पता चलता है कि मई महीने में बेरोजगारी दर लगातार बढ़ रही है।
मसलन ताज़ा आंकड़े के मुताबिक़ 24 मई तक देशभर में बेरोजगारी दर 10.77 फीसदी दर्ज की गई है। जबकि देशभर में 1 मई तक बेरोजगारी दर 7.91 फीसदी रहा था। इनमें भी ताज़ा हालात पर ग़ौर करें तो शहरों में बेरोजगारी दर 12.98 फीसदी है जबकि ग्रामीण इलाकों में यह 9.76 फीसदी है।
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