Power Crisis India: आर्थिक संकट से उबरते भारत में फिर ब्लैकआउट की आशंका !

by M. Nuruddin 1 year ago Views 19572

Power Crisis: possibility of blackout again in Ind
भारत में एक बार फिर ब्लैकआउट की समस्या पैदा हो सकती है। गर्मी की वजह से बढ़ते तापमान और बिजली की बढ़ती मांग के बीच कई राज्यों में पॉवर प्लांट कोयले की कमी का सामना कर रहे हैं। कर्नाटक, पंजाब, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य प्रमुख रूप से बिजली संकट या ब्लैकआउट का सामना कर सकते हैं। 

केन्द्रीय बिजली विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ 173 पॉवर प्लांट में कम से कम 100 प्लांट में कोयले की कमी देखी जा रही है। इन प्लांटों में सामान्य स्टॉक की तुलना में कोयला स्टॉक 25 फीसदी कम है।


रिपोर्ट के मुताबिक़ सामान्य स्टॉक 66.72 मिलियन टन की तुलना में 18 अप्रैल तक 22.52 मिलियन टन का स्टॉक बचा था, जो सामान्य स्टॉक का सिर्फ 34 फीसदी है। इस स्टॉक से 9 दिनों तक बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। 

रिपोर्ट के मुताबिक़ कर्नाटक के सभी चार प्लांट में कोयले की कमी देखी गई है जिनमें एनटीपीसी द्वारा संचालित प्लांट भी शामिल है। इनके अलावा राज्य द्वारा संचालित तीन प्लांट में सामान्य स्टॉक 16.99 लाख टन की तुलना में सिर्फ 11 फीसदी या 1.87 लाख टन स्टॉक बचा है।

जबकि एनटीपीसी द्वारा संचालित प्लांट में सामान्य 7.99 लाख टन के मुक़ाबले सिर्फ 8 फीसदी या 60 हज़ार टन कोयला ही स्टॉक में है। रिपोर्ट के मुताबिक़ इसकी वजह से रेलवे रेक्स को सप्लाई की जाने वाली बिजली को दूसरे प्लांट से जोड़ा जा रहा है। 

अप्रैल से अक्टूबर महीने में बिजली की मांग ज़्यादा होती है जिससे संकट पैदा होना आम है। जानकार बताते हैं कि प्रत्येक साल ऐसी समस्या आती है लेकिन इस साल वैश्विक स्तर पर कोयले की कीमतों में बढ़ोत्तरी और सप्लाई बाधित होने से कम आयात हुआ है जिससे समस्या और बढ़ सकती है।

यह संकट ऐसे समय में खड़ी हो गई है जब बिजली की मांग ज़्यादा होती है - और माना जा रहा है कि जुलाई 2021 में 200 गीगावाट की तुलना में मांग और ज़्यादा बढ़ सकती है। वित्त वर्ष 2022 के चौथी तिमाही में बिजली की मांग 187 गीगावाट थी, जबकि 1-12 अप्रैल 2022 के बीच यह 194 गीगावाट दर्ज की गई थी।

देश में मार्च 2022 तक कुल बिजली उत्पादन 396 गीगावाट में कोयला-आधारित बिजली उत्पादन 210 गीगावट रहा था, जो कुल बिजली क्षमता का 53 फीसदी है। आपको बता दें कि देश में 11 बड़े पॉवर प्लांट जो कोयले की कमी का सामना कर रहे हैं - सीधे तौर पर आयात पर निर्भर हैं।

केन्द्र सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 में 173.32 मिलियन टन कोयले का आयात किया है जो चार साल में - सालाना स्तर पर सबसे कम है - और यह संकट से उबर रही अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का विषय है। भारत सरकार ने 2020-21 में 215.25 मिलियन टन, 2019-20 में 248.54 मिलियन टन और 2018-19 में 235.35 मिलियन टन कोयले का आयात किया था।

ग़ौरतलब है कि पंजाब और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में करीब 7-8 घंटे तक बिजली गुल रहने की संभावना है। अगर कोयला स्टॉक की समस्या का समाधान जल्द नहीं किया जाता है तो आर्थिक संकट से उबर रहे 2.7 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का पहिया थम सकता है।

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