पराली से प्रदूषण, तो पंजाब के शहरों की हवा दिल्ली/एनसीआर से बेहतर कैसे ?

दिल्ली में सर्दी की दस्तक के साथ ही वायु प्रदूषण का मुद्दा फिर ज़ोर पकड़ने लगा है। राज्य की केजरीवाल सरकार वैसे तो बढ़ते प्रदूषण के लिए पड़ोसी राज्य हरियाणा और पंजाब को जिम्मेदार ठहराती रही है लेकिन ताज़ा आंकड़े कुछ और कहानी बयान कर रहे है।
ताज़ा जानकारी के मुताबिक बीते दिनों पंजाब में सबसे अधिक पराली जलाई गई, लेकिन इसके बावजूद हरियाणा, यूपी और दिल्ली के आसपास के इलाके के मुकाबले पंजाब में प्रदूषण का स्तर काफी कम रहा.
सेंट्रल पोलुशन कंट्रोल बोर्ड के AQI बुलेटिन के मुताबिक 28 अक्टूबर को सबसे ज्यादा बुरे हालत हरियाणा के कई शहरों के रहे. हरियाणा के चरखी दादरी में PM 2. 5 का स्तर सबसे ज्यादा 386 रहा, यमुना नगर में 345, धरुहेरा में 333, फतेहबाद में 328, अंबाला में 317, गुरुग्राम में 313, जींद में 306, बल्लभगढ़ में 305 और मानेसर में PM 2. 5 का स्तर 302 रहा. अगर उत्तर प्रदेश की बात करें तो 28 अक्टूबर को बुलंदशहर में PM 2. 5 का स्तर 329, लखनऊ 326, ग्रेटर नोएडा में 324, बाघपत में 322, गाज़ियाबाद 317, मुरादाबाद में 313, आगरा में 308, मेरठ में 302 और नोएडा में में PM 2. 5 का स्तर 301 रहा. जबकि इसी दौरान दिल्ली में PM 2. 5 का स्तर 297 रहा. लेकिन 28 अक्टूबर को पंजाब में सबसे ज्यादा पराली जलने के बाद भी राज्य में हरियाणा, दिल्ली और यूपी की तुलना में काफी कम प्रदूषण रहा। पंजाब के पटियाला में PM 2. 5 का स्तर 219 रहा, जालंधर में 206, अमृतसर में 193, भटिंडा में 166 और राजधानी चंडीगढ़ में PM 2. 5 का स्तर 125 रहा. बीते साल केंद्र सरकार द्वारा संचालित संस्था इंडिया सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च यानी सफर ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया था कि दिल्ली और आसपास के इलाकों में दूषित हवा के लिए जिम्मेदार कारणों में पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने का 27 प्रतिशत योगदान है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की भी रिपोर्ट में यही बात कही गई थी दिल्ली के प्रदूषण के लिए सिर्फ पराली जिम्मेदार नहीं है. बोर्ड के मुताबिक दिल्ली के प्रदूषण में पराली का 25 फीसदी योगदान था. आंकड़ों से यह बात साफ़ है कि दिल्ली-एनसीआर में होने वाले वायु प्रदुषण के पीछे की वजह सिर्फ पराली नहीं है. गाड़ियों और फ़ैक्टरियों से निकलने वाले धुंए की वजह से प्रदूषण कई गुना ज्यादा है.
सेंट्रल पोलुशन कंट्रोल बोर्ड के AQI बुलेटिन के मुताबिक 28 अक्टूबर को सबसे ज्यादा बुरे हालत हरियाणा के कई शहरों के रहे. हरियाणा के चरखी दादरी में PM 2. 5 का स्तर सबसे ज्यादा 386 रहा, यमुना नगर में 345, धरुहेरा में 333, फतेहबाद में 328, अंबाला में 317, गुरुग्राम में 313, जींद में 306, बल्लभगढ़ में 305 और मानेसर में PM 2. 5 का स्तर 302 रहा. अगर उत्तर प्रदेश की बात करें तो 28 अक्टूबर को बुलंदशहर में PM 2. 5 का स्तर 329, लखनऊ 326, ग्रेटर नोएडा में 324, बाघपत में 322, गाज़ियाबाद 317, मुरादाबाद में 313, आगरा में 308, मेरठ में 302 और नोएडा में में PM 2. 5 का स्तर 301 रहा. जबकि इसी दौरान दिल्ली में PM 2. 5 का स्तर 297 रहा. लेकिन 28 अक्टूबर को पंजाब में सबसे ज्यादा पराली जलने के बाद भी राज्य में हरियाणा, दिल्ली और यूपी की तुलना में काफी कम प्रदूषण रहा। पंजाब के पटियाला में PM 2. 5 का स्तर 219 रहा, जालंधर में 206, अमृतसर में 193, भटिंडा में 166 और राजधानी चंडीगढ़ में PM 2. 5 का स्तर 125 रहा. बीते साल केंद्र सरकार द्वारा संचालित संस्था इंडिया सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च यानी सफर ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया था कि दिल्ली और आसपास के इलाकों में दूषित हवा के लिए जिम्मेदार कारणों में पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने का 27 प्रतिशत योगदान है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की भी रिपोर्ट में यही बात कही गई थी दिल्ली के प्रदूषण के लिए सिर्फ पराली जिम्मेदार नहीं है. बोर्ड के मुताबिक दिल्ली के प्रदूषण में पराली का 25 फीसदी योगदान था. आंकड़ों से यह बात साफ़ है कि दिल्ली-एनसीआर में होने वाले वायु प्रदुषण के पीछे की वजह सिर्फ पराली नहीं है. गाड़ियों और फ़ैक्टरियों से निकलने वाले धुंए की वजह से प्रदूषण कई गुना ज्यादा है.
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