2019 में हुई 1339 हत्याओं का पुलिस के पास कोई सुराग नहीं : NCRB

नेशनल क्राइम रेकर्ड्स ब्यूरो के मुताबिक साल 2019 में 1,339 ऐसे खून हुए जिनको पुलिस ने ब्लाइंड मर्डर की श्रेणी में डाल दिया। ब्लाइंड मर्डर वो हत्याएँ होती है जिसमे हत्यारे का पुलिस के पास कोई सबूत नहीं मिलता और वो कानून की गिरफ़्त के बाहर ही रहता है।
देश में बीते वर्ष 29 हज़ार 928 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था। ज्यादातर मामलों में वजह थे प्रॉपर्टी विवाद, घरेलू झगड़े और पुरानी रंजिश। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर साल हज़ारों हत्यारे पकड़े ही नहीं जाते क्योंकि उनका कोई सुराग पुलिस के हाथ नहीं लगता। ऐसे बिना सुराग वाली हत्याएँ राज्य की जांच एजेंसियों की काबलियत पर भी सवाल उठाती है।
मसलन बिहार में साल 2019 में 3 हज़ार 138 हत्या के मामले दर्ज़ हुए लेकिन इसमें से 240 मामलो में पुलिस कातिल तक नहीं पहुंच सकी। इसी तरह उत्तर प्रदेश में 3806 लोगों की हत्या हुई लेकिन इसमें भी 122 मामलो में पुलिस खुनी तक नहीं पहुंच सकी। महाराष्ट्र में साल 2019 में 2142 हत्या के मामले दर्ज़ हुए लेकिन पुलिस 109 मामले नहीं सुलझा सकी। मध्य प्रदेश में 1795 मर्डर के मामले दर्ज़ हुए लेकिन यहाँ भी 97 मामले पुलिस की समझ से बाहर ही रहे। इसके मुकाबले केरल में 323 खून के मामले दर्ज़ हुए लेकिन यहाँ एक भी ब्लाइंड मर्डर की श्रेणी में नहीं रखा गया। यानि पुलिस ने उस मामले को सुलझा लिया। इसके अलावा ओडिशा में भी 1356 हत्या के मामले सामने आये लेकिन एक भी मामला ऐसा नहीं है जिसमें कातिलों की शिनाख़्त ना हुई हो। गोवा में 33 खून हुए लेकिन 2 मामले ऐसे हैं जिसमें पुलिस अभी तक खाली हाथ है। ज़ाहिर है लगभग 4.47 फीसदी हत्या के केस पुलिस सुलझा नहीं पाती है और इसमें ये सभी खतरनाक अपराधी समाज में आम जीवन बिताते हैं। राज्य सरकारों को चाहिए की वो पुलिस को जांच करने की नवीनतम ट्रेनिंग, फॉरेंसिक साइंस और मॉडर्न इक्विपमेंट दे जिससे एक भी कातिल क़ानून की गिरफ्त से बाहर ना रह सके।
मसलन बिहार में साल 2019 में 3 हज़ार 138 हत्या के मामले दर्ज़ हुए लेकिन इसमें से 240 मामलो में पुलिस कातिल तक नहीं पहुंच सकी। इसी तरह उत्तर प्रदेश में 3806 लोगों की हत्या हुई लेकिन इसमें भी 122 मामलो में पुलिस खुनी तक नहीं पहुंच सकी। महाराष्ट्र में साल 2019 में 2142 हत्या के मामले दर्ज़ हुए लेकिन पुलिस 109 मामले नहीं सुलझा सकी। मध्य प्रदेश में 1795 मर्डर के मामले दर्ज़ हुए लेकिन यहाँ भी 97 मामले पुलिस की समझ से बाहर ही रहे। इसके मुकाबले केरल में 323 खून के मामले दर्ज़ हुए लेकिन यहाँ एक भी ब्लाइंड मर्डर की श्रेणी में नहीं रखा गया। यानि पुलिस ने उस मामले को सुलझा लिया। इसके अलावा ओडिशा में भी 1356 हत्या के मामले सामने आये लेकिन एक भी मामला ऐसा नहीं है जिसमें कातिलों की शिनाख़्त ना हुई हो। गोवा में 33 खून हुए लेकिन 2 मामले ऐसे हैं जिसमें पुलिस अभी तक खाली हाथ है। ज़ाहिर है लगभग 4.47 फीसदी हत्या के केस पुलिस सुलझा नहीं पाती है और इसमें ये सभी खतरनाक अपराधी समाज में आम जीवन बिताते हैं। राज्य सरकारों को चाहिए की वो पुलिस को जांच करने की नवीनतम ट्रेनिंग, फॉरेंसिक साइंस और मॉडर्न इक्विपमेंट दे जिससे एक भी कातिल क़ानून की गिरफ्त से बाहर ना रह सके।
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