पेगासस जासूसी: कोर्ट ने जारी किया नोटिस, केन्द्र ने कहा- "नेश्नल सिक्योरिटी का मामला"

पेगासस जासूसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की जांच को लेकर अलग-अलग कई याचिकाएं दाख़िल की गई थी और कोर्ट की अगुवाई में जांच की मांग की गई थी। कोर्ट ने केन्द्र सरकार को दस दिनों के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट में केन्द्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उनके (सरकार के) पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है, यह एक नेश्नल सिक्योरिटी का मामला है। उन्होंने कहा कि इस मामले से जुड़ी जो भी बातें है वो केन्द्र सरकार एक्सपर्ट कमेटी को बताएगी। उन्होंने कहा कि यह नेश्नल सिक्योरिटा का मामला है इसलिए इस बात की जानकारी कोर्ट के सामने नहीं दी जा सकती।
इतना ही नहीं तुषार महता ने यह भी कहा कि अगर केन्द्र सरकार यह जानकारी बताएगी कि पेगासस का इस्तेमाल हुआ है या नहीं, तो इससे आतंकवादियों को मदद मिलेगी और वो इससे बचने का तरीका ढूंढ लेंगे। सॉलिसिटर जनरल ने कहा, "सरकार को विशेषज्ञ समूह के सामने यह कहने में कोई दिक्कत नहीं है। मान लीजिए कि एक आतंकवादी संगठन स्लीपर सेल के साथ संवाद करने के लिए कम्युनिकेशन का इस्तेमाल करता है और हम कहते हैं कि हम पेगासस का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो वे इस तरह से तंत्र को संशोधित करेंगे कि यह पेगासस के अनुकूल नहीं है।" मेहता ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ वेब पोर्टल इस मुद्दे पर कहानी बुन रहे हैं। उन्होंने कहा, "मैं यह नहीं कह रहा हूं कि मैं किसी को (डिटेल) नहीं बताऊंगा। मैं केवल इतना कह रहा हूं कि मैं इसे सार्वजनिक रूप से नहीं बताऊंगा। हम विशेषज्ञ समिति के सामने बता सकते हैं।" सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर एक हलफनामे में, केंद्र सरकार ने खुलासा किया था कि वह पेगासस स्पाइवेयर घोटाले की जांच के लिए विशेषज्ञों की एक समिति का गठन करेगी। कोर्ट में सोमवार की सुनवाई में कोर्ट ने इस बात पर ग़ौर किया था कि केन्द्र सरकार द्वारा दायर हलफनामे में यह नहीं बताया गया कि उन्होंने पेगासस का इस्तेमाल किया या नहीं। कोर्ट ने एसजी तुषार मेहता को सुझाव दिया था, "हम देखते हैं कि आप कोई स्टैंड नहीं लेना चाहते... आप जो भी कहना चाहते हैं, आप हलफनामा क्यों नहीं दाखिल करते? हमें भी एक स्पष्ट तस्वीर मिलेगी।" हालांकि सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट के इस सुझाव का विरोध किया था और कहा था कि यह नेश्नल सिक्योरिटी का मामला है, और अगर टॉप कोर्ट में इस मामले की जांच होती है तो यह नेश्नल सिक्योरिटी पर सवाल होगा।
CJI: Notice issued, Matter to be listed after 10 days. Meanwhile further course of action will be deliberated upon #supremecourt
— Bar & Bench (@barandbench) August 17, 2021
इतना ही नहीं तुषार महता ने यह भी कहा कि अगर केन्द्र सरकार यह जानकारी बताएगी कि पेगासस का इस्तेमाल हुआ है या नहीं, तो इससे आतंकवादियों को मदद मिलेगी और वो इससे बचने का तरीका ढूंढ लेंगे। सॉलिसिटर जनरल ने कहा, "सरकार को विशेषज्ञ समूह के सामने यह कहने में कोई दिक्कत नहीं है। मान लीजिए कि एक आतंकवादी संगठन स्लीपर सेल के साथ संवाद करने के लिए कम्युनिकेशन का इस्तेमाल करता है और हम कहते हैं कि हम पेगासस का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो वे इस तरह से तंत्र को संशोधित करेंगे कि यह पेगासस के अनुकूल नहीं है।" मेहता ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ वेब पोर्टल इस मुद्दे पर कहानी बुन रहे हैं। उन्होंने कहा, "मैं यह नहीं कह रहा हूं कि मैं किसी को (डिटेल) नहीं बताऊंगा। मैं केवल इतना कह रहा हूं कि मैं इसे सार्वजनिक रूप से नहीं बताऊंगा। हम विशेषज्ञ समिति के सामने बता सकते हैं।" सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर एक हलफनामे में, केंद्र सरकार ने खुलासा किया था कि वह पेगासस स्पाइवेयर घोटाले की जांच के लिए विशेषज्ञों की एक समिति का गठन करेगी। कोर्ट में सोमवार की सुनवाई में कोर्ट ने इस बात पर ग़ौर किया था कि केन्द्र सरकार द्वारा दायर हलफनामे में यह नहीं बताया गया कि उन्होंने पेगासस का इस्तेमाल किया या नहीं। कोर्ट ने एसजी तुषार मेहता को सुझाव दिया था, "हम देखते हैं कि आप कोई स्टैंड नहीं लेना चाहते... आप जो भी कहना चाहते हैं, आप हलफनामा क्यों नहीं दाखिल करते? हमें भी एक स्पष्ट तस्वीर मिलेगी।" हालांकि सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट के इस सुझाव का विरोध किया था और कहा था कि यह नेश्नल सिक्योरिटी का मामला है, और अगर टॉप कोर्ट में इस मामले की जांच होती है तो यह नेश्नल सिक्योरिटी पर सवाल होगा।
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