साल 2019-20 में नहीं छपा 2000 का एक भी नोट, जाली नोट भी पकड़े गए: आरबीआई

भारतीय रिज़र्व बैंक ने साल 2019-20 के दौरान 2000 रुपए का एक भी नोट नहीं छापा. धीरे-धीरे इसकी संख्या भी घटती जा रही है. आरबीआई ने यह नोट 8 नवंबर 2018 को जारी किया था. इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में नोटबंदी का ऐलान कर दिया था.
2000 के नोटों की छपाई नहीं होने की जानकारी आरबीआई की सालाना रिपोर्ट में आई है. इसके मुताबिक मार्च 2018 तक अर्थव्यवस्था में दो हज़ार की नोटों की संख्या 33 लाख 632 थी जो मार्च 2019 में घटकर 32 लाख 910 रह गई. वहीं मार्च 2020 में नोटों की संख्या में और गिरावट आई और यह घटकर 27 लाख 398 हो गई है.
इसका मतलब है कि कुल मुद्राओं में दो हज़ार की नोट की हिस्सेदारी मार्च 2018 में 3.3 फ़ीसदी थी जो मार्च 2020 में घटकर 2.4 फ़ीसदी रह गई है. इस दौरान 200 और 500 की नोटों का तेज़ी से प्रसार हुआ है.
आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 में 10,23,951 नोट चलन में थे जो 2019 में बढ़कर 10,87,594 हो गए और साल 2020 में ये आंकड़ा और बढ़कर 11,59,768 हो गया. साफ शब्दों में कहें तो अब बाज़ार में पहले से ज्यादा नोट और सिक्के चलन में आ गए हैं.
वहीं नोटों की वैल्यू की बात करें तो साल 2018 में 18,03,709 करोड़ के नोट बाज़ार में थे जो 2019 में बढ़कर 21,10,892 करोड़ हो गए और 2020 में यह आंकड़ा पहुंच गया 24,20,975 करोड़ पर.
रिपोर्ट यह भी बताती है कि साल 2019-20 में 2 लाख 96 हज़ार 695 हज़ार के जाली नोट पकड़े गए. इनमें 4.6 फ़ीसदी नोट केंद्रीय बैंक के स्तर पर और 95.4 फ़ीसदी नोट दूसरे बैंकों ने पकड़े. इनमें 17 हज़ार से ज़्यादा नोट 2000 रुपए के थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को नोटबंदी का ऐलान करते हुए कहा था कि इससे डिजिटल इकोनॉमी को बढ़ावा मिलेगा और जाली नोटों का तंत्र टूटेगा. मगर इन आंकड़ों से बिलकुल साफ़ है कि डिजिटल इकोनॉमी बढ़ने की बजाय करंसी का चलन बढ़ रहा है और जाली नोटों का मिलना बदस्तूर जारी है. यही वजह है कि पीएम मोदी और केंद्रीय मंत्री नोटेबंदी पर बात करने से कतराते हैं.

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