आयुर्वेदिक डाक्टरों को सर्जरी का हक़ देने के ख़िलाफ़ 11 को एलोपैथिक डाक्टरों की देशव्यापी हड़ताल
आईएमए के बयान में कहा गया है कि ‘11 दिसंबर को सभी डॉक्टर सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक हड़ताल पर रहेंगे। सीसीआईएम की अधिसूचना और नीति आयोग द्वारा चार समितियों के गठन से सिर्फ मिक्सोपैथी को बढ़ावा मिलेगा।'

इंडियन मेडिकल असोसिएशन (आईएमए) ने 11 दिसंबर को देशभर में हड़ताल की घोषणा की है। यह ऐलान आयुर्वेद के डॉक्टरों को सर्जरी की मंजूरी देने के फैसले के खिलाफ किया गया है। इस दौरान सभी गैर-जरूरी और गैर-कोविड सेवाएं बंद रहेंगीं। हालांकि, आईसीयू जैसी आपातकालीन सेवाएं जारी रहेंगी। लेकिन पहले से तय ऑपरेशन नहीं किए जाएंगे।इसके अलावा 8 दिसंबर को दो घंटे का सांकेतिक प्रदर्शन भी किया जायेगा।
दरअसल, केंद्र सरकार ने हाल ही में एक अध्यादेश जारी कर आयुर्वेद में पोस्ट ग्रैजुएट करने वाले डॉक्टरों को 58 प्रकार की सर्जरी सीखने और प्रैक्टिस करने की अनुमति दी है। इस निर्णय से ऐलोपैथ के डॉक्टरों में काफी नाराज़गी है। डॉक्टरों के सबसे बड़े संगठन आईएमए ने सरकार के इस फैसले को मरीज़ों की जान के साथ खिलवाड़ करना बताया है। साथ ही इस निर्णय को तुरंत वापस लेने की मांग की है।
आईएमए के बयान में कहा गया है कि ‘ 11 दिसंबर को सभी डॉक्टर सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक हड़ताल पर रहेंगे। सीसीआईएम की अधिसूचना और नीति आयोग द्वारा चार समितियों के गठन से सिर्फ मिक्सोपैथी को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही आईएमए ने अधिसूचना को वापस लेने और नीति आयोग की ओर से गठित समितियों को रद्द करने की मांग की है।’ वहीं, आईएमए महाराष्ट्र के अध्यक्ष डॉ अविनाश भोंडवे का कहना है कि, ‘'सेंट्रल काउंसिल ऑफ़ इंडियन मेडिसिन का दावा है कि ये ओरिजनल आयुर्वेदिक सर्जरी हैं, उन्होंने इसे कोई संस्कृत नाम भी दिए हैं, लेकिन ये सारी मॉडर्न साइंस से ली हुईं सर्जरी हैं, इसलिए राष्ट्रीय स्तर पर हम इसका विरोध कर रहे हैं। इसका असर उन तमाम मेडिकल छात्रों पर होगा जो डिग्री पाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। महाराष्ट्र में सरकारी-प्राइवेट के 20 हज़ार मेडिकल स्टूडेंट आज से ही इस फ़ैसले का विरोध शुरू कर रहे हैं।’’ वैसे क़ानून के जानकार भी सरकारी क़दम को जल्दबाज़ी में लिया फ़ैसला बता रहे हैं। एक इंटरव्यू में वरिष्ठ वकील श्रीराम परक्कत ने कहा, ‘'मुझे लगता है कि जल्दबाज़ी में यह फ़ैसला लिया गया क्योंकि सर्जरी सिर्फ़ आयुर्वेदिक मेडिसिन के दम पर नहीं होती, इसमें एलोपैथिक एनेस्थीशिया की ज़रूरत पड़ती हैं, एलोपेथिक पोस्ट सर्जिकल केयर की ज़रूरत पड़ती है, ऐसे में एक मरीज़ को आयुर्वेदिक और एलोपैथी के मिक्स एंड मैच में डालना गलत है।’’ वहीं आईएमए द्वारा इस विरोध और मिक्सोपैथी को बढ़ावा देने वाली बात पर आयुष मंत्रालय ने भी जवाब देते हुए कहा है कि, ‘ वैज्ञानिक प्रगति पर किसी भी व्यक्ति या समूह का एकाधिकार नहीं है। वहीं आधुनिक चिकित्सा के साथ आयुर्वेद के "मिश्रण" का सवाल यहाँ नहीं उठता है क्योंकि सीसीआईएम भारतीय चिकित्सा पद्धति की प्रामाणिकता को बनाए रखने के लिए गहरायी से प्रतिबद्ध है, और ऐसे किसी भी "मिश्रण" के खिलाफ है।
आईएमए के बयान में कहा गया है कि ‘ 11 दिसंबर को सभी डॉक्टर सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक हड़ताल पर रहेंगे। सीसीआईएम की अधिसूचना और नीति आयोग द्वारा चार समितियों के गठन से सिर्फ मिक्सोपैथी को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही आईएमए ने अधिसूचना को वापस लेने और नीति आयोग की ओर से गठित समितियों को रद्द करने की मांग की है।’ वहीं, आईएमए महाराष्ट्र के अध्यक्ष डॉ अविनाश भोंडवे का कहना है कि, ‘'सेंट्रल काउंसिल ऑफ़ इंडियन मेडिसिन का दावा है कि ये ओरिजनल आयुर्वेदिक सर्जरी हैं, उन्होंने इसे कोई संस्कृत नाम भी दिए हैं, लेकिन ये सारी मॉडर्न साइंस से ली हुईं सर्जरी हैं, इसलिए राष्ट्रीय स्तर पर हम इसका विरोध कर रहे हैं। इसका असर उन तमाम मेडिकल छात्रों पर होगा जो डिग्री पाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। महाराष्ट्र में सरकारी-प्राइवेट के 20 हज़ार मेडिकल स्टूडेंट आज से ही इस फ़ैसले का विरोध शुरू कर रहे हैं।’’ वैसे क़ानून के जानकार भी सरकारी क़दम को जल्दबाज़ी में लिया फ़ैसला बता रहे हैं। एक इंटरव्यू में वरिष्ठ वकील श्रीराम परक्कत ने कहा, ‘'मुझे लगता है कि जल्दबाज़ी में यह फ़ैसला लिया गया क्योंकि सर्जरी सिर्फ़ आयुर्वेदिक मेडिसिन के दम पर नहीं होती, इसमें एलोपैथिक एनेस्थीशिया की ज़रूरत पड़ती हैं, एलोपेथिक पोस्ट सर्जिकल केयर की ज़रूरत पड़ती है, ऐसे में एक मरीज़ को आयुर्वेदिक और एलोपैथी के मिक्स एंड मैच में डालना गलत है।’’ वहीं आईएमए द्वारा इस विरोध और मिक्सोपैथी को बढ़ावा देने वाली बात पर आयुष मंत्रालय ने भी जवाब देते हुए कहा है कि, ‘ वैज्ञानिक प्रगति पर किसी भी व्यक्ति या समूह का एकाधिकार नहीं है। वहीं आधुनिक चिकित्सा के साथ आयुर्वेद के "मिश्रण" का सवाल यहाँ नहीं उठता है क्योंकि सीसीआईएम भारतीय चिकित्सा पद्धति की प्रामाणिकता को बनाए रखने के लिए गहरायी से प्रतिबद्ध है, और ऐसे किसी भी "मिश्रण" के खिलाफ है।
ताज़ा वीडियो