संसद में सरकार से सवाल अनेक, जवाब एक- ‘पता नहीं’

संसद का मॉनसून सत्र चल रहा है और विपक्षी दल भारत-चीन सीमा विवाद, आर्थिक मंदी और बेकाबू हो रही कोरोना महामारी जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने में जुटे हैं। सरकार पहले ही कोविड का हवाला देकर प्रश्नकाल को इस सत्र में ख़त्म कर चुकी है। ऐसे में विपक्षी दलों के पास लिखित में सरकार से सवाल पूछने का एकमात्र विकल्प है। लेकिन ज़रूरी मुद्दों पर पूछे गए सवाल का मोदी सरकार से जवाब मिलता है 'नहीं पता'।
मसलन सत्र की शुरुआत में ही सरकार से पूछा गया की लॉकडाउन की वजह से देश के अलग-अलग राज्यों में घर जाने के दौरान कितने मज़दूरों की मौत हुई और कितनों ने रोज़गार खोया, इसपर सरकार ने जवाब दिया कि उनके पास कोई जानकारी मौजूद नहीं है।
यही नहीं, श्रम मंत्रालय के पास प्रवासी मज़दूरों का राज्यवार और ज़िलेवार डेटा भी नहीं है। यानि कितने लोग अपने राज्य या अपने ज़िले को रोजी-रोटी की वजह से छोड़ते हैं, इससे जुड़ा आंकड़ा भी सरकार के पास नहीं है। कमोबेश यही हाल अन्य केंद्रीय मंत्रालयों का भी है। अब जैसे मोदी सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लगातार वादा करती रही है लेकिन लॉकडाउन से किसानों का कितना नुकसान हुआ, इससे जुड़ा आंकड़ा फ़िलहाल उनके पास नहीं है। कोरोना वॉरियर के सम्मान में ताली-थाली बजवाई जाती है लेकिन कितने स्वास्थ्यकर्मी कोरोना काल में मरीज़ों की सेवा करते हुए जान गंवाए, उससे जुड़ा आंकड़ा सरकार के पास नहीं। महामारी से चल रही लड़ाई में सबसे अग्रणी आंगनवाड़ी कर्मचारियों में से कितनों की नौकरी लॉकडाउन में गई, इसकी जानकारी केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के पास नहीं है। इनके अलावा किसान आत्महत्या, ऑटो सेक्टर में कितनी नौकरी गई और भी कई मुद्दों से जुडी जानकारी सरकार के पास नहीं है। ध्यान रहे, भारत सरकार हर वर्ष सैकड़ों क़िस्म की योजनाएं चलाती है। सवाल है कि अगर सरकार के पास डेटा ही नहीं है तो आख़िर योजना के तहत मिलने वाली मदद को सरकार पहुँचाती कैसे है ?
यही नहीं, श्रम मंत्रालय के पास प्रवासी मज़दूरों का राज्यवार और ज़िलेवार डेटा भी नहीं है। यानि कितने लोग अपने राज्य या अपने ज़िले को रोजी-रोटी की वजह से छोड़ते हैं, इससे जुड़ा आंकड़ा भी सरकार के पास नहीं है। कमोबेश यही हाल अन्य केंद्रीय मंत्रालयों का भी है। अब जैसे मोदी सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लगातार वादा करती रही है लेकिन लॉकडाउन से किसानों का कितना नुकसान हुआ, इससे जुड़ा आंकड़ा फ़िलहाल उनके पास नहीं है। कोरोना वॉरियर के सम्मान में ताली-थाली बजवाई जाती है लेकिन कितने स्वास्थ्यकर्मी कोरोना काल में मरीज़ों की सेवा करते हुए जान गंवाए, उससे जुड़ा आंकड़ा सरकार के पास नहीं। महामारी से चल रही लड़ाई में सबसे अग्रणी आंगनवाड़ी कर्मचारियों में से कितनों की नौकरी लॉकडाउन में गई, इसकी जानकारी केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के पास नहीं है। इनके अलावा किसान आत्महत्या, ऑटो सेक्टर में कितनी नौकरी गई और भी कई मुद्दों से जुडी जानकारी सरकार के पास नहीं है। ध्यान रहे, भारत सरकार हर वर्ष सैकड़ों क़िस्म की योजनाएं चलाती है। सवाल है कि अगर सरकार के पास डेटा ही नहीं है तो आख़िर योजना के तहत मिलने वाली मदद को सरकार पहुँचाती कैसे है ?
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