Lakhimpur: वाहन हमलों को 'आतंकी हमले' के रूप में देखती है दुनिया !
आशीष मिश्र के नाम पर IPC 302 (हत्या) सहित आरोपों में मामले दर्ज हैं, जिसके तहत उम्रक़ैद और मृत्युदंड की सज़ा का प्रावधान है...

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में कथित मंत्री के बेटे द्वारा किसानों को कुचलने की ख़बर ने दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि एक तेज़ रफ्तार थार प्रदर्शनकारी किसानों को किस तरह से पीछे से कुचलते हुए निकल गई।
यह भयावह घटना भारत को अपने नागरिकों पर जानबूझकर हमले करने की लिस्ट में शामिल करती है जिसकी दुनियाभर में निंदा की गई है। इनमें जुलाई 2016 में फ्रांस के नीस में हुई घटना उल्लेखनीय है जिसमें 86 लोगों की जान चली गई थी।
फ्रांस के नीस में एक 31 वर्षीय शख़्स द्वारा इस हमले को अंजाम दिया गया था जिसे पुलिस ने मौके पर ही गोली मार दी थी। इस घटना को लेकर फ्रांस के राष्ट्रपति और शहर के मेयर ने ख़ुद उनके स्मारक पर बात की और पीड़ितों के नाम ज़ोर से पढ़े गए, जो लखीमपुर खीरी की घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी के बिल्कुल उलट है। लखीमपुर हिंसा के दो दिन बाद मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी ‘[email protected] - New Urban India: Transforming Urban Landscape' और ‘Expo’ के उद्घाटन के लिए लखनऊ पहुंचे थे, जो घटनास्थल से 130 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां रविवार को एक किलर कार ने किसानों को कुचल दिया था, जो केन्द्रीय मंत्री के बेटे की है। घटना में चार किसानों और एक पत्रकार सहित चार अन्य लोगों की मौत हो गई थी। लखीमपुर खीरी के समान वाहन हमले यूएस डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी ने 'व्हीकल रैमिंग: सिक्योरिटी अवेयरनेस फॉर सॉफ्ट टार्गेट्स एंड क्राउडेड प्लेसेस' शीर्षक से एक सार्वजनिक दस्तावेज जारी किया है जिसमें यह कहा गया है कि "आतंकवादी हमले में हथियार के रूप में वाहन का इस्तेमाल कोई नई बात नहीं है।” इस दस्तावेज़ में यह हाल के वाहनों के हमलों की एक लिस्ट भी दी गई है जिसे वैश्विक मीडिया ने व्यापक रूप से प्रमुखता दी थी और दुनियाभर में इसकी निंदा भी की गई थी। इनमें… जुलाई 2016 में फ्रांस के नीस शहर में 19 टन के किराये के एक ट्रक ने सैकड़ों लोगों को कुचल दिया था जिसमें 86 लोगों की मौत हो गई थी और 430 लोग घायल हो गए थे। इसी तरह नवंबर 2016 में अमेरिका के ओहियो विश्वविद्यालय के पास एक निजी वाहन ने फुटपाथ पर पैदल चलने वाले लोगों को टक्कर मार थी दी और इस घटना में 11 लोग घायल हो गए थे। इनके अलावा मार्च 2017 में लंदन के वेस्टमिंस्टर ब्रिज पर एक किराये की कार ने लोगों को कुचल दिया जिसमें चार की मौत और 40 लोग घायल हो गए थे। इसके बाद अप्रैल 2017 में स्वीडन के स्कॉटहोम में 30 टन के ट्रक की टक्कर से चार लोग मारे गए थे और 15 लोग घायल हो गए थे। इसी तरह की घटना अक्टूबर 2017 में भी घटी जब अमेरिका के न्यू यॉर्क शहर में एक वाणिज्यिक ट्रक की टक्कर में आठ लोग मारे गए। यह ध्यान देने वाली बात है कि इन सभी घटनाओं में पुलिस ने एक त्वरित पहली प्रतिक्रिया शुरु की और संबंधित क़ानूनों के तहत आरोपियों के ख़िलाफ कार्रवाई भी की गई। ओहियो, नीस और वेस्टमिंस्टर में हमलावरों को घटनास्थल पर ही मार गिराया गया था, जबकि स्टॉकहोम और मैनहट्टन में अपराधियों को उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई थी। लखीमपुर हिंसा पर अबतक कोई कार्रवाई नहीं ! यह फिर से लखीमपुर खीरी की घटना में प्रशासन की प्रतिक्रिया के विपरीत है जहां आरोपी आशीष मिश्र उर्फ मोनू हैं, जो गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे हैं। राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा और एनडीए के नेतृत्व वाले केन्द्र पर आरोपितों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के लिए विपक्ष का भारी दबाव है। हालाँकि, आशीष मिश्र के नाम पर IPC 302 (हत्या) सहित आरोपों में मामले दर्ज हैं, जिसके तहत उम्रक़ैद और मृत्युदंड की सज़ा का प्रावधान है और अभी तक एक किसी की भी गिरफ़्तारी नहीं हुई है। वहीं कृषि नेता राकेश टिकैत ने केन्द्रीय राज्य मंत्री को हत्या का दोषी और उनपर हत्या की साज़िश रचने का भी आरोप लगाया है। इन दोनों मामलों के लिए आईपीसी में अलग-अलग धाराए हैं। ऐसी परिस्थिति में आईपीसी की धारा 307 और 308 के तहत दस साल तक कारावास का प्रावधान है जो आगे भी बढ़ाया जा सकता है।
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फ्रांस के नीस में एक 31 वर्षीय शख़्स द्वारा इस हमले को अंजाम दिया गया था जिसे पुलिस ने मौके पर ही गोली मार दी थी। इस घटना को लेकर फ्रांस के राष्ट्रपति और शहर के मेयर ने ख़ुद उनके स्मारक पर बात की और पीड़ितों के नाम ज़ोर से पढ़े गए, जो लखीमपुर खीरी की घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी के बिल्कुल उलट है। लखीमपुर हिंसा के दो दिन बाद मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी ‘[email protected] - New Urban India: Transforming Urban Landscape' और ‘Expo’ के उद्घाटन के लिए लखनऊ पहुंचे थे, जो घटनास्थल से 130 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां रविवार को एक किलर कार ने किसानों को कुचल दिया था, जो केन्द्रीय मंत्री के बेटे की है। घटना में चार किसानों और एक पत्रकार सहित चार अन्य लोगों की मौत हो गई थी। लखीमपुर खीरी के समान वाहन हमले यूएस डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी ने 'व्हीकल रैमिंग: सिक्योरिटी अवेयरनेस फॉर सॉफ्ट टार्गेट्स एंड क्राउडेड प्लेसेस' शीर्षक से एक सार्वजनिक दस्तावेज जारी किया है जिसमें यह कहा गया है कि "आतंकवादी हमले में हथियार के रूप में वाहन का इस्तेमाल कोई नई बात नहीं है।” इस दस्तावेज़ में यह हाल के वाहनों के हमलों की एक लिस्ट भी दी गई है जिसे वैश्विक मीडिया ने व्यापक रूप से प्रमुखता दी थी और दुनियाभर में इसकी निंदा भी की गई थी। इनमें… जुलाई 2016 में फ्रांस के नीस शहर में 19 टन के किराये के एक ट्रक ने सैकड़ों लोगों को कुचल दिया था जिसमें 86 लोगों की मौत हो गई थी और 430 लोग घायल हो गए थे। इसी तरह नवंबर 2016 में अमेरिका के ओहियो विश्वविद्यालय के पास एक निजी वाहन ने फुटपाथ पर पैदल चलने वाले लोगों को टक्कर मार थी दी और इस घटना में 11 लोग घायल हो गए थे। इनके अलावा मार्च 2017 में लंदन के वेस्टमिंस्टर ब्रिज पर एक किराये की कार ने लोगों को कुचल दिया जिसमें चार की मौत और 40 लोग घायल हो गए थे। इसके बाद अप्रैल 2017 में स्वीडन के स्कॉटहोम में 30 टन के ट्रक की टक्कर से चार लोग मारे गए थे और 15 लोग घायल हो गए थे। इसी तरह की घटना अक्टूबर 2017 में भी घटी जब अमेरिका के न्यू यॉर्क शहर में एक वाणिज्यिक ट्रक की टक्कर में आठ लोग मारे गए। यह ध्यान देने वाली बात है कि इन सभी घटनाओं में पुलिस ने एक त्वरित पहली प्रतिक्रिया शुरु की और संबंधित क़ानूनों के तहत आरोपियों के ख़िलाफ कार्रवाई भी की गई। ओहियो, नीस और वेस्टमिंस्टर में हमलावरों को घटनास्थल पर ही मार गिराया गया था, जबकि स्टॉकहोम और मैनहट्टन में अपराधियों को उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई थी। लखीमपुर हिंसा पर अबतक कोई कार्रवाई नहीं ! यह फिर से लखीमपुर खीरी की घटना में प्रशासन की प्रतिक्रिया के विपरीत है जहां आरोपी आशीष मिश्र उर्फ मोनू हैं, जो गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे हैं। राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा और एनडीए के नेतृत्व वाले केन्द्र पर आरोपितों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के लिए विपक्ष का भारी दबाव है। हालाँकि, आशीष मिश्र के नाम पर IPC 302 (हत्या) सहित आरोपों में मामले दर्ज हैं, जिसके तहत उम्रक़ैद और मृत्युदंड की सज़ा का प्रावधान है और अभी तक एक किसी की भी गिरफ़्तारी नहीं हुई है। वहीं कृषि नेता राकेश टिकैत ने केन्द्रीय राज्य मंत्री को हत्या का दोषी और उनपर हत्या की साज़िश रचने का भी आरोप लगाया है। इन दोनों मामलों के लिए आईपीसी में अलग-अलग धाराए हैं। ऐसी परिस्थिति में आईपीसी की धारा 307 और 308 के तहत दस साल तक कारावास का प्रावधान है जो आगे भी बढ़ाया जा सकता है।
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